No Gray Hair: सफेद बाल होना आम तौर पर बुढ़ापे की निशानी माना जाता है, लेकिन आपने देखा होगा, कि कुछ लोगों के बाल 60-70 साल की उम्र में भी बिल्कुल काले और घने रहते हैं। यह देखकर हर कोई सोचता है, कि आखिर इनका राज क्या है? क्यों इनके बाल इतनी उम्र में भी जवानों जैसे लगते हैं? इसका जवाब सिर्फ किस्मत में नहीं, बल्कि कई साइंटिफिक कारणों में छुपा है।
दरअसल, जेनेटिक्स के अलावा हमारी जीवनशैली, सेहत और पर्यावरणीय कारक भी बालों के सफेद होने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। तनाव का स्तर, पेट की सेहत, ऑक्सीडेटिव बैलेंस, हार्मोनल स्थिरता और थायरॉइड फंक्शन सभी मिलकर मेलानोसाइट्स की गतिविधि को प्रभावित करते हैं। ये वही कोशिकाएं हैं, जो हमारे बाल के रोम में रंग पैदा करती हैं।
जेनेटिक्स का महत्वपूर्ण रोल-
सबसे पहली और सबसे अहम बात यह है, कि बालों का सफेद होना काफी हद तक जेनेटिक्स पर निर्भर करता है। अगर आपके मां-बाप या दादा-दादी के बाल बुढ़ापे में भी काले रहे हैं, तो आपके बाल भी काले रहने की संभावना बहुत ज्यादा है। यह इसलिए होता है, क्योंकि कुछ लोग ऐसे जीन्स इनहेयर्ट करते हैं, जो मेलानोसाइट्स को दशकों तक एक्टिव रखने में मदद करते हैं।

ये जीन्स मेलानिन के प्रोडक्शन को बनाए रखने में सहायता करते हैं, जो कि बालों के रंग के लिए जिम्मेदार पिगमेंट है। मतलब यह, कि अगर आपकी फैमिली हिस्ट्री अच्छी है, तो आपके बाल भी लंबे समय तक अपना नेचुरल कलर बनाए रख सकते हैं। लेकिन जेनेटिक्स सिर्फ एक पहलू है और भी कई फैक्टर्स हैं, जो इस प्रोसेस को प्रभावित करते हैं।
तनाव कम रखना है जरूरी-
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि लगातार तनाव आपके बालों को समय से पहले सफेद कर सकता है? एनआईएच में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, अधिक तनाव कॉर्टिसोल हार्मोन का रिलीज बढ़ा देता है, जो मेलानोसाइट्स पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और बालों में पिगमेंट के नुकसान को तेज कर देता है।
इसके विपरीत, जो लोग तनाव को कंट्रोल करने के तरीके जानते हैं और उन्हें अपनाते हैं, उनके बाल काफी देर तक काले रहते हैं। रिलैक्सेशन टेक्नीक्स, मेडिटेशन, नियमित एक्सरसाइज या माइंडफुलनेस प्रैक्टिसेज करने वाले लोगों में बालों के सफेद होने की प्रक्रिया धीमी होती है। एक शांत और संतुलित जीवनशैली न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि बालों के रंग को भी लंबे समय तक बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पेट की सेहत का गहरा कनेक्शन-
यह बात शायद आपको अजीब लगे, लेकिन आपके पेट की सेहत और बालों के रंग के बीच गहरा कनेक्शन है। एक हेल्दी गट माइक्रोबायोम न्यूट्रिएंट्स के अब्जॉर्प्शन और ओवरऑल वेलबीइंग के लिए बेहद जरूरी है। पेट मेलानोसाइट फंक्शन के लिए आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स प्रदान करने में की रोल निभाता है, जिसमें विटामिन बी12, आयरन, कॉपर और जिंक शामिल हैं।

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इसके अलावा, फायदेमंद गट बैक्टीरिया शॉर्ट-चेन फैटी एसिड्स और अन्य कंपाउंड्स प्रोड्यूस करते हैं, जो सेल्युलर हेल्थ और ऑक्सीडेटिव बैलेंस को प्रभावित करते हैं। संतुलित गट फ्लोरा इंफ्लेमेशन को कम करता है और न्यूट्रिएंट एसिमिलेशन में सपोर्ट करता है, जिससे बाल के रोम को नुकसान से बचाने में मदद मिलती है। जिन लोगों का डाइजेस्टिव सिस्टम हेल्दी होता है, वे उन बायोकेमिकल प्रोसेसेज को बेहतर तरीके से मेंटेन कर पाते हैं, जो नेचुरल हेयर कलर को बनाए रखते हैं।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम रखें-
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस तब होता है, जब शरीर में फ्री रेडिकल्स जमा हो जाते हैं और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसमें बाल के रोम में मौजूद मेलानोसाइट्स भी शामिल हैं। डाइट और शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स का हाई लेवल इन फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज कर सकता है, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है और बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
जो लोग एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फूड्स जैसे बेरीज, हरी सब्जियां, नट्स और सीड्स का सेवन करते हैं, उनमें सफेद बालों की प्रगति अक्सर धीमी दिखाई देती है। जीवनशैली की पसंद जैसे कि अत्यधिक स्मोकिंग से बचना, प्रदूषण के एक्सपोज़र को कम करना और यूवी डैमेज से बचना भी कम ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बनाए रखने और बालों के पिगमेंट रिटेंशन को सपोर्ट करने में मदद करते हैं।
हार्मोन्स का बैलेंस जरूरी-
हार्मोन्स, जिसमें एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और कॉर्टिसोल शामिल हैं, बालों की सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन हार्मोन्स में असंतुलन मेलानोसाइट एक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है और बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है। जो व्यक्ति हार्मोनल बैलेंस बनाए रखते हैं, चाहे वह नेचुरली हो या लाइफस्टाइल और मेडिकल गाइडेंस के जरिए, वे सफेद बालों की शुरुआत को देर से कर सकते हैं।

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बैलेंस्ड हार्मोन्स न केवल बालों के रंग को बनाए रखने में योगदान देते हैं, बल्कि बालों की मोटाई, टेक्सचर और ओवरऑल स्कैल्प हेल्थ में भी सुधार लाते हैं। महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान और पुरुषों में एजिंग के साथ हार्मोनल चेंजेज होते हैं, इसलिए इस समय विशेष ध्यान देना जरूरी होता है।
थायरॉइड फंक्शन की अहमियत-
थायरॉइड ग्लैंड मेटाबॉलिज्म को रेग्युलेट करती है और बालों की ग्रोथ और पिगमेंटेशन को प्रभावित करती है। थायरॉइड डिसऑर्डर्स, खासकर हाइपोथायरॉइडिज्म, आमतौर पर प्रीमेच्योर ग्रेइंग से जुड़े होते हैं। सही डाइट, मेडिकल मॉनिटरिंग और जरूरत पड़ने पर सप्लीमेंटेशन के जरिए हेल्दी थायरॉइड फंक्शन बनाए रखना बालों के सफेद होने को रोकने या धीमा करने में मदद कर सकता है।
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नियमित थायरॉइड चेकअप्स और कमियों को जल्दी एड्रेस करना यह सुनिश्चित करता है, कि मेलानोसाइट्स ऑप्टिमली फंक्शन करते रहें, जिससे लंबे समय तक नेचुरल हेयर कलर को सपोर्ट मिलता है। थायरॉइड की समस्या होने पर न केवल बाल सफेद होते हैं, बल्कि बाल झड़ने की समस्या भी हो सकती है।
सेहतमंद लाइफस्टाइल अपनाएं-
हालांकि सफेद बाल एजिंग का एक नेचुरल हिस्सा है, लेकिन जेनेटिक्स, स्ट्रेस मैनेजमेंट, गट हेल्थ, ऑक्सीडेटिव बैलेंस, हार्मोनल स्टेबिलिटी और थायरॉइड फंक्शन सभी मिलकर यह तय करते हैं, कि बाल कैसे और कब अपना पिगमेंट खोते हैं। जो लोग हेल्दी लाइफस्टाइल, बैलेंस्ड डाइट और नियमित मेडिकल केयर के जरिए इन फैक्टर्स को मेंटेन करते हैं, वे अक्सर बुढ़ापे तक अपने नेचुरल हेयर कलर का आनंद लेते हैं।
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