Facts About Space: हमारा ब्रह्मांड कितना विशाल है, इसका अंदाजा आप एक पल में लगा सकते हैं और इसमें हमारी पृथ्वी कितनी बड़ी है। इसका अंदाजा भी आपको कुछ ही सेकंड में लग जाएगा। सिर्फ आपको करना यह है की आपको एक बार अपनी छत पर जाकर या खुले आसमान वाली जगह पर जाकर आधी रात के किसी भी समय जब ज्यादा लाइट ना जल रही हो, तो एक बार आकाश की ओर देखना है। आपको पता चल जाएगा कि हमारा ब्रह्मांड कितना विशाल है। यह जो टिमटिमाते तारे आप देखते हैं प्रत्येक तारे धरती से लाखों गुना बड़े हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी कितने स्पेस में व्यवस्थित है। हमारी पृथ्वी इसमें रेगिस्तान में रेत के कण के समान है। ब्रह्मांड इतना विशाल है कि उसमें ग्रह, तारे, आकाशगंगा और सभी अंतरिक्ष पदार्थ और ऊर्जा शामिल है।
सूर्य सबसे बड़ा तारा नहीं-
रात के समय आकाश को देखकर आपको बिलकुल आसानी से समझ में आ जाएगा, कि हमारी पृथ्वी एक कण भर से ज्यादा कुछ भी नहीं है। सूर्य के अंदर 1.3 मिलियन से भी ज्यादा पृथ्वी समा सकती हैं। 13 लाख पृथ्वी सूर्य में समा सकती है और सूर्य हमारे सौरमंडल का एकमात्र ऐसा तारा है लेकिन सूर्य कोई सबसे बड़ा तारा नहीं है। सूर्य से कई गुना बड़े तारे इस ब्रह्मांड में मौजूद है। लेकिन एक सर्किल आकाशगंगा में 100 बिलियन से भी ज्यादा अधिक तारे हैं।
100 बिलियन से भी ज्यादा आकाशगंगा-
जिसे हम मिल्की वे कहते हैं, यानी कि हमारी आकाशगंगा में कई बिलियन यानी 100 मिलियन से भी ज्यादा तारे मौजूद हैं। हमारे सूर्य का वजूद आप समझ ही सकते हैं और वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रह्मांड में 100 बिलियन से भी ज्यादा आकाशगंगाए हैं। वैज्ञानिक अभी भी ब्रह्मांड के बारे में 5% या हम कहें कि 0.5% से ज्यादा कुछ भी नहीं जानते। आज हम अंतरिक्ष से जुड़े कुछ ऐसी रोचक तथ्य जानेंगे जिनके आधार पर आपकी अंतरिक्ष के बारे में जानकारी बढ़ेगी और यह आपको हर मोड़ पर काम आने वाली जानकारी है।
सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह-
ब्रह्मांड का केवल 5% सामान्य पदार्थ से बना है, बाकी का 25% भाग डार्क मैटर और 70% डार्क एनर्जी से बना है। यानी कि हमारे ब्रह्मांड में 95% जो पदार्थ है वह हमें दिखाई ही नहीं देता। अगर हम शनि ग्रह को पानी में रख सकने में सक्षम है, तो वह पानी पर तैरने लगेगा। वह डूबेगा नहीं शनि हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। लेकिन पूरी तरह से गैस से बना होने की वजह से इसका घनत्व पानी से भी काम है। इसलिए अगर शनि ग्रह को पानी में रखा जाएगा तो वह एक गुब्बारे की तरह तैरने लग जाएगा। अगर हम सौरमंडल के कुछ ग्रहों पर छलांग लगा सकें। यानी कि जैसे कि हम चांद पर जा चुके हैं और आने वाले समय में हम मंगल पर भी होंगे, तो जितनी भी छलांग आप पृथ्वी पर लगा सकते हैं, बाकी ग्रह पर वह उससे अलग होगी।
कूदने की कैपेसिटी-
अगर हम पृथ्वी पर 1.5 फीट कूद सकते हैं, यानी की आप मंगल पर 3 फीट और चंद्रमा पर 10 फीट तक कूद सकते है और बृहस्पति पर तो आप कुद ही नहीं पाएंगे। हमारे कूदने की क्षमता गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करती है, यानी कि जितना ज्यादा गुरुत्वाकर्षण होगा, उतनी ही हमारे कूदने की कैपेसिटी कम हो जाती है। जितना कम गुरुत्वाकर्षण उतना ज्यादा हम कुद पाएंगे। आइंस्टीन के मुताबिक जो तारे हम रात में देखते हैं, वह वास्तव में उस समय वहां पर होते ही नहीं है। हम उन्हें लाखों, हजारों वर्ष पहले की स्थिति में छोड़े गए प्रकाश को देखते हैं, जो प्रकाश कई साल पहले वहां से चला था, हम उसी को देख रहे होते हैं। आज की तारीख में वह तारा वहां पर है या नहीं इसकी कोई जानकारी हमें नहीं है।
सूर्य सफेद-
क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष से देखने पर सूर्य सफेद दिखाई देता है। जबकि यह हमारी धरती से थोड़ा अलग रंग में दिखाई देता है। सूर्य का पूरा घुर्णन 25 से 30 दिन में पूरा हो जाता है, यानी कि जिस तरह से हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है। वैसे सूर्य अपना एक घूर्णन 25 से 35 दिन में पूरा करता है। हेली नाम का धूमकेतु पृथ्वी से 75 वर्षों में एक बार दिखाई देता है।
9 फरवरी 1986-
यह आखरी बार 9 फरवरी 1986 को देखा गया था और अब आगे यह जुलाई 2061 में दिखेगा। अगर अंतरिक्ष में एक ही प्रकार के धातु के टुकड़ों को आप एक साथ लेंगे, तो वह स्थाई रूप से जुड़ जाएंगे। इस प्रक्रिया को कोल्ड वेल्डिंग के रूप में जाना जाता है। क्योंकि वहां पर कोई हवा नहीं है। इसलिए जब इनको मिलाया जाता है, एक वेक्यूम क्रिएट हो जाता है और वह एक दूसरे को परमानेंटली पकड़ लेते हैं, परमानेंटली जकड़ लेते हैं।
चंद्रमा पर छोड़े गए निशान-
कोका कोला एक ऐसा शीतल पेय है जिसे अंतरिक्ष में पिया गया था और यहां पहले भोजन के तौर पर सेब को खाया गया था। चंद्रमा पर छोड़े गए पैरों के निशान या फिर किसी भी प्रकार का निशान गायब नहीं होगा। क्योंकि वहां पर कोई हवा नहीं है जिससे वह निशान मिट सके। बशर्ते कि वहां पर कोई हेलीकॉप्टर या फिर मानव ड्रोन न उतरे, जिसकी वजह से उसके पैरों के निशान खराब हों। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब जो चंद्रयान तीन गया है। उसके रोवर के पहिए में कुछ ऐसा निशाना बनाया गया है, जिससे जब रोवर चांद की सतह पर मूव करेगा तो एक तरफ तो वह हमारे अशोक चक्र को प्रिंट करेगा और दूसरी तरफ इसरो का नाम प्रिंट करेगा, जो आने वाले लाखों सालों तक वहां पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा देखा जा सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन-
यानी कि हमारे निशान चांद पर लाखों सालों के लिए अमिट हो गए हैं। हम पृथ्वी से अपनी नग्न आंखों से लगभग सात आकाशगंगाओं को देख सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन यानी ISS अंतरिक्ष में भेजा गया सबसे बड़ा मानव निर्मित वस्तु है। यह अंतरिक्ष में भेजी गई सबसे महंगी वस्तु भी है और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह अंतरिक्ष में ही असेंबल भी किया गया है। यानी कि धरती से इसे एडजेक्ट नहीं भेजा गया, अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन इस पृथ्वी की 90% से अधिक आबादी को दिखाई देता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तेज़ गति से चलते तारे के समान दिखाई देता है। अगर आप कभी भी रात में देखेंगे तो यह आपको हर 2 घंटे बाद दिखाई दे जाता है।
प्राकृतिक गैसों का तरल महासागर-
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन हर 92 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करता है। पृथ्वी के नेशनल स्पेस स्टेशन की गति 1,5,150 मील प्रति घंटा है। शनि का चंद्रमा यानी कि उपग्रह टाइटन प्राकृतिक गैसों का तरल महासागर है। यह हमारे सौरमंडल की इकलौती ऐसी अंतरिक्ष वस्तु है, जहां पर पृथ्वी की तरह नदियां भी बहती हैं और पहाड़ भी मौजूद है। मंगल की सतह लोहे की ऑक्साइड से बनी है, इसीलिए मंगल ग्रह लाल दिखाई देता है।
आकार का सूर्य का टुकड़ा-
यानी यह हमें लोहे के जंग की तरह दिखाई देता है। अगर आप पृथ्वी पर एक पेन के नोक के बराबर के आकार का सूर्य का टुकड़ा रखते हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसा वह सूर्य में है और आप उसे 145 किलोमीटर की दूरी से देखेंगे, तब भी आप सूर्य की गर्मी से मर जाएंगे। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सूर्य में कितनी गर्मी है। अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से बचने के लिए कम से कम 27.33 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चलना पड़ता है।
सौरमंडल का सबसे बड़ा पर्वत-
सूर्य के बाद प्रॉक्सिमा सेंचुरी पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है। मंगल ग्रह पर ओलंपस मून हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पर्वत है। यह पृथ्वी के माउंट एवरेस्ट से भी तीन गुना बड़ा है। यानी कि इसकी ऊंचाई लगभग 24 किलोमीटर है। न्यूट्रॉन तारों की गति इतनी तेज होती है कि यह एक सेकंड में 500 से अधिक चक्कर लगा लेते हैं। ज्यादातर लोग सोचते होंगे कि हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह बुध होगा। क्योंकि यह सूर्य के सबसे निकट है, लेकिन ऐसा नहीं है हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह शुक्र ग्रह है। यह सौरमंडल के चार स्थल ग्रह में से एक है। इसमें CO2 यानी कार्बन डाइऑक्साइड का घाना वातावरण है और इसमें 3.5 नाइट्रोजन गैस है।
आकाशगंगा में नए तारे का जन्म-
हर 18 दिन में हमारी आकाशगंगा में एक नए तारे का जन्म होता है, यानी कि अब भी हमारा ब्रह्मांड बढ़ रहा है। आकाशगंगाओं के कई प्रकार होते हैं जिनमें से तीन प्रमुख हैं अंडाकार, सर्किल और अनियमित। हमारी आकाशगंगा सर्किल आकर की है। नेप्चून यानी कि वरुण ग्रह का चंद्रमा टाइटन नेपच्यून के पीछे की ओर परिक्रमा करता है। यह सौरमंडल में ऐसा करने वाला किसी भी ग्रह का एकमात्र चंद्रमा है। बाकी चंद्रमा से विपरीत इसकी दिशा होती है। मंगल ग्रह हमारे सौरमंडल में पृथ्वी के बाद जीवन के लिए सबसे अधिक संभावनाओं वाला ग्रह कहा जाता है। अगर कोई तारा ब्लैक होल के पास से गुजरता है, तो वह फट सकता है। क्योंकि ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि वह तारे के टुकड़े-टुकड़े कर सकता है।
27 उपग्रह के नाम-
न्यूट्रॉन तारे का घनत्व इतना ज्यादा होता है कि इसका एक चम्मच भर पूरी पृथ्वी की आबादी के वजन के बराबर होगा। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि न्यूट्रॉन तारे कितने ज्यादा घने और भारी होते हैं। अंतरिक्ष से लौटने पर एक एस्ट्रोनॉट दो इंच तक लंबा हो सकता है। क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं है जिसकी वजह से रीड की हड्डी पर कोई खिंचाव नहीं होता और इसीलिए उसकी हड्डियों के जोड़ों में गैप बन जाते हैं। यूरेनस यानी अरुण के 27 उपग्रह के नाम विलियम शेक्सपियर और अलेक्जेंडर पोप के पात्रों पर रखा गया है।
यह कुछ किताबें हैं जिनके पात्रों के नाम पर इन उपग्रहों के नाम रखे गए हैं। बुध और शुक्र ग्रह हमारे सौरमंडल में से हैं, जिनका कोई चंद्रमा नहीं है। एक पूर्ण चंद्रमा आधे चंद्रमा की तुलना में 9 गुना ज्यादा चमकीला होता है। रात में पृथ्वी से सबसे ज्यादा चमकदार चीज शुक्र गृह दिखाई देता है। लेकिन सबसे ज्यादा चमकदार तारा सीरियस ए है, यह सूरज से 25 गुना ज्यादा चमकदार है।
रहस्यमय और अविश्वसनीय-
अंतरिक्ष यात्रियों का एक सूट बनाने में डेढ़ करोड़ डालर का खर्चा आता है। हर साल चंद्रमा पृथ्वी से 3.5 सेंटीमीटर दूर जा रहा है। कुछ मिलियन सालों में यानी कि कई लाख सालों में यह पृथ्वी से बहुत अधिक दूर चला जाएगा और उसके दूर जाने की गति भी बढ़ जाएगी। उस समय यह हमें और अधिक छोटा दिखाई देगा। बुद्ध सौरमंडल के सभी ग्रहों से तेजी से सूर्य की परिक्रमा करता है। यह 88 दिनों में सूर्य का संपूर्ण चक्कर भी लगा लेता है और दूसरा कारण यह है कि इस पर कोई वातावरण नहीं है, जो सूर्य से पड़ने वाली गर्मी को कुछ देर रोक के रख सके, जैसा कि हमारा वायुमंडल है।
मंगल ग्रह पर सूर्यास्त का नीले रंग का दिखाई देता है। हमारे सौरमंडल में किसी भी अन्य ग्रहों की तुलना में शुक्र पर बहुत अधिक ज्वालामुखी है। वहां पर ज्वालामुखी ऐसे बहती रहती है ऐसे फटते रहते हैं जैसे हमारी धरती पर नदियां और झरने बहते हैं। अंतरिक्ष में कई ऐसे ग्रह हैं जो अद्भुत रहस्यमय और अविश्वसनीय है। वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में एक ऐसा ही ग्रह मिला जो पूरी तरह से हीरे का बना हुआ है।
ग्रेट रेड स्पॉट-
वैज्ञानिकों ने इस ग्रह को नाम दिया है 55 केंक्री ई। यह ग्रह पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है और एक प्रकाश वर्ष वह दूरी होती है, जितनी प्रकाश एक वर्ष में दूरी तय करता है। बृहस्पति का ग्रेट रेड स्पॉट जो की एक बवंडर है कई सदियों से चला रहा है और इसमें दो पृथ्वीयां समा सकती है और यह आने वाले कई सैकड़ो सालों तक यूं ही चलता रहेगा। हमारे सौरमंडल से सबसे निकटतम गैलेक्सी एंड्रोमेडा गैलेक्सी है।
यह लगभग 2.5375 प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है। अगर अंतरिक्ष में मनुष्य को बिना स्पेससूट के छोड़ दिया जाए तो वह 15 सेकंड में बेहोश हो जाएगा और 2 मिनट में मर जाएगा। पृथ्वी का वजन चंद्रमा से लगभग 81 गुना ज्यादा है। बृहस्पति ग्रह इतना भारी है कि दो बार सौरमंडल के बाकी ग्रहों का द्रव्यमान इसके द्रव्यमान के बराबर होने के लिए पर्याप्त नहीं है।
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पेन को अंतरिक्ष में नहीं चला सकते-
नेप्चून को सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में 165 साल का समय लगता है। शनि के पास सौरमंडल में सबसे ज्यादा चंद्रमा है। आप सामान्य पेन को अंतरिक्ष में नहीं चला सकते, क्योंकि सामान्य पेन में स्याही पेन की नोक पर गुरुत्वाकर्षण के कारण आती है और अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता। अगर हम अंतरिक्ष में अपने आसपास खड़े साथी को चिल्ला कर कुछ बोलेंगे तो उन्हें कोई आवाज सुनाई नहीं देगी। आवाज को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए माध्यम यानी कि वायु नहीं मिलती।
यूरेनस यानी अरुण ग्रह के प्रत्येक ध्रुव में 42 साल का धूप और 42 साल का घनघोर अंधेरा होता है। सन् 1977 में अंतरिक्ष से 72 सेकंड का एक सिग्नल मिला था। लेकिन वैज्ञानिक अभी तक इस सिग्नल के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर यह आया कहां से था। इस सिग्नल को 'WOW' सिग्नल कहा जाता है। अंतरिक्ष में बिना स्पेस सूट के शरीर फट सकता है। क्योंकि वहां पर वायु दबाव नहीं होता।
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अंतरिक्ष में हाइड्रोजन बम का विस्फोट-
अंतरिक्ष में रो नहीं सकते क्योंकि आपके आंसू गिरेंगे ही नहीं, अंतरिक्ष में वेल्डिंग या गरम धातु जैसी महक भी आती है। अंतरिक्ष में सिटी बजाना असंभव है, अंतरिक्ष में डकार भी नहीं ले सकते क्योंकि अंतरिक्ष पर गुरुत्वाकर्षण नहीं होने की वजह से वहां गैस और द्रव्य अलग नहीं होते, इसीलिए आपको डकार नहीं आती है। चंद्रमा से पृथ्वी तक प्रकाश के आने में लगभग 1.3 सेकंड का समय लगता है। सन 1963 में अमेरिका ने अंतरिक्ष में हाइड्रोजन बम का विस्फोट किया था।
यह बम हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बम से 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली था। हमने कई बार सुना या पढ़ा होगा कि चीन की दीवार अंतरिक्ष से दिखाई देती है लेकिन अंतरिक्ष से चीन की दीवार दिखाई नहीं देती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष में पानी का भंडार विशाल रूप से तैरती हुई अवस्था में मौजूद है और इसी अवस्था में अंतरिक्ष में पानी धरती पर भी आया है। आपको अंतरिक्ष का कौन सा फैक्ट सबसे ज्यादा अच्छा लगा कमेंट में जरूर बताएं।