Mysterious Places on Earth: हमारी इस दुनिया में बहुत बार कुछ ऐसा होता है, जिसे हम समझ ही नहीं पाते और कुदरत के यह करिश्मे महान वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए। आज हम आपको कुछ ऐसी ही चीज़ों के बारे में बताने वाले हैं, अगर इन्हें जानने के बाद आपको पता है, कि इनमें से कौन सी चीज कैसे होती है, तो कमेंट करके जरूर बताना, तो चलिए शुरु करते हैं-
सेलिंग स्टोन्स (Mysterious Places on Earth)-
सेलिंग स्टोन्स क्या आपने कभा ऐसे पत्थर के बारे में सुना है, जो एक जगह से दूसरी जगह पर ट्रैवल करता हो, नहीं ना अब आखिर एक पत्थर ऐसा करेगा भी क्यों। वह तो किसी भारी धातु की तरह होते हैं, जिन्हें अगर बाहरी ताकतों के से हिलाया नहीं गया, तो वह नहीं हिलते। तो कैलिफॉर्निया और नवादा के बीच मौजूद डेथ वैली नेशनल पार्क में क्या हो रहा है। यहां पर मौजूद पत्थर रातों-रात एक जगह से दूसरी जगह मिट्टी में निशाना बनाकर आगे खिसक जाते हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे यह बिल्कुल पानी में चलने वाली नाव की तरह मिट्टी पर तैर हों। पहली बार करीब 100 साल पहले साइंटिस्ट ने इस अनोखी चीज को नोटिस किया था। तब से लेकर अब तक इसके संबंध में कई सारी थियोरीज दी जा चुकी है।
जिसमें एलियंस की थ्योरी भी शामिल है। लेकिन सबसे यकीन करने वाली थ्योरी मैग्नेटिज्म की मानी जाती थी। जिसके मुताबिक धरती के मैग्नेटिज्म से पत्थर पर डायरेक्ट असर पड़ रहा था और वह एक जगह से जगह हिल रहे थे। लेकिन साल 2014 में जब इन्हें गौर से स्टडी किया गया, तो कुछ और ही देखने को मिला। असल में यह पत्थर एक सूखी नदी पर पड़े रहते हैं और रात में यह नदी पीनी से भर जाती है फ्रीज़ हो जाती है। फिर सुबह होते-होते ये पानी पिघल पिघल जाता है और फिर से भांप बन जाता है। इस वजह से यह पत्थर बर्फीले नदी पर फिसलकर कुछ फीट आगे बढ़ जाते हैं।
फेरी सर्कल नामिबिया(Mysterious Places on Earth)-
फेरी सर्कल नामिबिया का नामीब रेगिस्तान एक रहस्यमई गोलाकार वनस्पतियों का एक घर है। यह हर थोड़ी दूर पर रेगिस्तान में एक गोलाकरा शेप बना देते हैं। एक महान मैथमेटिशियन ने इन्हें पोलेका डॉट ड्रेस भी कहा है, जो शायद गलत भी नहीं है। इन सर्कल्स का साइज़ 7 से 49 फीट डायमीटर का हो सकता है। स्थानीय लोगों का मानना है, कि इन वनस्पतियों का इस अद्भुत आकार में होना, असल में फेरिज़ का काम है। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि यह असल में भगवान के पैरों के निशान हैं, हैरानी की बात तो यह है कि ठीक तरह से सांटिस्ट्स भी नहीं बता पा रहे की यह पौधे इस तरह का आकार क्यों ले रहे हैं। कुछ खोजकर्ता मानते हैं कि इन्हें प्यासे पौधों ने बनाया है, जो पानी तक दूर अपनी जड़ों को पहुंचाना चाहते हैं। वहीं कुछ वैज्ञानिक मानते हैं, कि यह आकार दिमक की कॉलोनी बना रही हैं और अपने घर को बड़ा कर रही हैं।
चॉकलेट हिल्स(Mysterious Places on Earth)-
जैसा आप सोच रहे हैं, यह उस तरीके के पहाड़ नहीं है, यहां चॉक्लेट्स नहीं उगाए जाते। लेकिन फिलिपींस में मौजूद इन पहाड़ियों का साइज़ बिल्कुल एक समान सा है, अच्छे मौसम में इनके ऊपर हरे भरे पौधे होते हैं। वहीं गर्मी का सीजन आने पर यही पौधे मर जाते हैं और ब्राउन कलर के हो जाते हैं। इस वजह से दूर से देखने पर ऐसा लगता है, मानो इन पर चॉकलेट्स गड़े हुए हो। दोस्तों यह सब चीज तो हम देख कर ही बता सकते हैं, लेकिन असली सवाल तो यह है, कि आखिर इस तरह के बिल्कुल एक ही आकार के पहाड़ आए कैसे और एक साथ इतने सारे कैसे बन गए। क्या इनका इजात एक ही समय में हुआ था। इन सभी सवालों के जवाब आज तक कोई नहीं दे पाया है। हालांकि कुछ रहस्मई कहानियां हैं, जो बड़े विशाल आकृति के लोगों का ज़िक्र करती है। ऐसा माना जाता है, कि पहले के वक्त में यह जाइंट इंसानों सानी बड़े इंसानों का घर हुआ करता था। वह खुद अपने हाथों से इन पहाड़ियों को आकार देते थे और उनके अंदर रह करते थे। लेकिन यह सिर्फ कहने की बाते हैं। क्योंकि आज तक इस बात का कोई भी सबूत नहीं मिला है।
लेक हिलियर-
लेक हिलियर, हमने सफेद, काली और नीली नदी के बारे में तो युना है, लेकिन क्या कभी आपने पिंक कलर की नदी के बारे में सुना है, ऑस्ट्रेलिया में मौजूद लेक हिलियर कुछ ऐसी ही नदी है, कुछ लोगों का मानना था, कि लाइट के रिफ्लैक्शन की वजह से पिंक दिख रही है और दूर से देखने की वजह से इसका कलर ऐसा दिखाई दे रहा है। लेकिन जब इस नदी को पास से जाकर देखा गया, तब भी इसका कलर पिंक ही था और जब नदी के पानी को एक बोतल में डाला गया, तब भी इसका कलर ही था। एक साइंटिस्ट के ग्रुप ने इस पानी का सैंपल लिया और इसे कुछ दिनों तक ऐसे ही रख दिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद भी इसके कलर भी कोई फर्क नहीं आया, तो आखिर यह हो कैसे रहा है। बदकिस्मती से किसी को भी इसका जवाब नहीं मालूम है। पर बहुत सारी थ्योरी के मुताबिक, यह केमिकल रिएक्शन या फिर पानी में मौजूद विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया की वजह से हो रहा है।
बॉल लाइटनिंग-
बॉल लाइटनिंग, हम सभी को पता है, बिजली एख ज़िकज़ैक बोल्ट के रुप में आसमान से धरती पर आते हुए दिखाई देती है। लेकिन ऐसा हर बार नहीं होता, कई बार लोगों ने आकाश से बिजली के गोले को गिरते हुए देखा है, जिसे बॉल लाइटनिंग कहते हैं। यह घटना बहुत दुर्लभ होती है। इसलिए सांइटिस्ट को अब तक इसके होने का कारण नहीं पता चला है। एक साधार बिजली के मुकाबले इस तरह की बिजली एक सेकंड से ज्यादा देर दिखाई देती है। लेकिन तब भी इसे य्टडी करना बहुत ही मुश्किल है। कई बार इसे लैब में भी बनाने की कोशिश की गई थी। लेकिन सिर्फ असफलता ही हाथ लगी। कई बार खोजकर्ताओं ने इसे थ्योरीज़ के माध्यम से बहुत समझाने की कोशिश की, की तूफान के वक्त हवा, इलेक्ट्रिकली चार्जड हो जाती है और उसमें मौजूद मैग्नेटिज्म की वजह से हमारा दिमाग धोखा खाने लगता है। इस तरह से वह काफी तुछ बताते हैं। लेकिन असल में क्या होता है, यह तो शायद बिजली के देवता पेरुन या फिर थॉर ही बता सकते हैं।
सींगिंग सेंड ड्यून्स-
सींगिंग सेंड ड्यून्स आपको जानकर हैरानी होगी, कि धरती पर लगभग जितने भी रेगिस्तान हैं, जहां तेज़ हवाए चलती है और रेत के पहाड़ जहां हर दिन अपना रुप बदलते हैं। वहां हमें धरती के गाने की आवाज सुनाई देती है। कैलिफोर्निया से लेकर अफ्रीका तक और चीन से लेकर कतार तक लगभग 35 डेज़र्ट में यह अजीब से संगीन की आवाज सुनाई देती है। यह बिल्कुल मधुमक्खी के भिनभिनाने की आवाज़ की तरह है। भले ही आप कभी रेगिस्तान नहीं गए हों। लेकिन फिर भी आपने यह आवाज़ ज़रुर सुनी होगी। क्योंकि अक्सर किसी फिल्म में रेगिस्तान का जब कोई सीन आता है, तो इसी तरह की धुन बैग्राउंड में बजती है। लेकिन यह आवाज़ आखिर कौन से साइंटिफिक प्रिंसिपल की वजह से होती है। यह बात बता पाना बहुत ही मुश्किल है। एक स्टडी के मुताबिक, अलग-अलग आवाज की यह अलग-अलग तरंग रेत के दाने के साइज और हवा की रफ्तार के ऊपर निर्भर होती है। लेकिन साइंटिस्ट यह पता नहीं लगा पाए हैं, की रेत के इस तरफ फ्लो होने से म्यूज़िक का साउंड कैसे पैधा होता है।
मैग्नेटिक हिल-
जब भी हम किसी पहाड़ के ऊपर बने रोड पर अपनी गाड़ी चलाते हैं, तब ढलान की वजह से हमारी गाड़ी अपने-आप रफ्तार पकड़ कर नीचे आने लगती है और बिल्कुल इसी तरह से इस पहाड़ी के ऊपर चढ़ने के लिए हमें ज़्यादा पावर से गाड़ी को चढ़ाना पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे पहाड़ी रास्ते के बारे में सुना है, जिसमें गाड़ियां अपने-आप ढलान पर चढ जाती है। हम आपको बता दें, कि ऐसी पहाड़ी हमारे भारत में ही मैजूद है। लेह शहर से 30 किमी की दूरी पर यह छोटा सा रोड है। जहां पर गाड़ी बिना स्टार्ट किए, 20 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ढलान पर चढ़ती जाती है। कार का इंजन बंद होने के बाद भी गाड़ी इस रोड पर चढ़ती जाती है। इस अद्भुत रोड को कई और नाम भी दिए गए हैं। जैसे मिस्ट्री हिल और ग्रेविटी हिल। लेकिन आखिर क्यों यह रोड ग्रेविटी के सभी सिद्धांतो को तोड़ रहा है। हालांकि इसका साइंटिफिक एक्सप्लेनेशन दिया जा सकता है। लेकिन यहां रहने वाले मूल निवासी आपको कुछ और ही कहानी बताएंगे।
यहां पर लोगों का मानना है, कि सीधा स्वर्ग की तरफ ये रोड ले जाता है, कहते हैं, जो दिल का सच्चा इंसान होगा। वह सीधा इस रास्ते से स्वर्ग पहुंच जाएगा और जो लायक नहीं होगा, वह रोड पर चलता ही चला जाएगा। हालांकि इसके बारे नें दो सांइटिफिक थ्योरी बताई गई है। जिसमें से सबसे कॉमन तो यह है, कि इस पहाड़ी पर बहुत ही ताकतवर मैग्नेटिक फोर्स है, जो गाड़ी को ऊपर तक खीचने में मदद करती है। माना जाता है, कि यह मैग्नेटिक फोर्स इतनी ज्यादा ताकतवर है, कि इंडियन एयरफोर्स भी इस रास्ते से नहीं गुज़रती की कहीं उनतके उपकरण खराब ना हो जाएं। वहीं एक ओर बहुत ही फेमस थ्योरी है, ऑप्टिकल इल्यूज़न की। इस थ्योरी के मुताबिक, असल में इस रोड पर कोई भी मैग्नेटिक फोर्स नहीं है। बल्कि ऑप्टिकल इल्यूज़न की वजह से नीचे की तरफ जा रही ढलान ऊपर की तरफ जाने वाली ढलान जैसी दिखती है। इस रोड की शुरुआत में एक बोर्ड भी लगा हुआ है। जहां से आप इस चीज़ को फीच कर सकते हैं। वैसे तो यह रोड पूरा साल खुला रहता है, लेकिन जुलाई से अक्टूबर के बीच अगर आप यहां आएंगे, तो इसका बहुत मजा ले पाएंगे।
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ग्रीन फ्लैश-
ग्रीन फ्लैश एक बहुत अद्भुत कुदरत का करिश्मा है, जो सिर्फ सूर्य उदय और सूर्यास्त पर ही दिखाई देता है। इस समय में सिर्फ एक सेकेंड के लिए आपको समुद्र में हरे रंग की लाइट दिखेगी के लिए आपको हर कलर की लाइट दिखेगी माना जाता है कि जब तब हेयर कलर की लाइट दिखेगी, जो बहुत दुर्लभ नज़ारा है। जिसे देखने के लिए लोग अपनी पूरी ज़िंदगी इसे ढ़ूंढने में लगा देते हैं। ऐसा माना जाता है, कि जब एख रुह दूसरी दुनिया में जाती है, तब हरे रंग की लाइट पैदा होती है। लेकिन यह सिर्फ सूर्य की किरण और धरती के वातावरण के मेल से होने वाला प्रकृति का एक करिश्मा है।
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