Yamuna Cleaning
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    Yamuna Cleaning: यमुना, जो कभी भारतीय संस्कृति और पारिस्थितिकी का जीवंत प्रतीक थी, आज एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रही है। दिल्ली के जल संसाधन मंत्री पर्वेश वर्मा द्वारा शुरू किया गया यह सफाई अभियान सिर्फ एक साफ-सफाई का काम नहीं, बल्कि एक जटिल पारिस्थितिक पुनर्जीवन प्रक्रिया है।

    Yamuna Cleaning प्रदूषण का दशक-

    पिछले कई दशकों से यमुना नदी लगातार प्रदूषण और उपेक्षा का शिकार रही है। औद्योगिक अपशिष्ट, घरेलू कचरा, और असंवेदनशील शहरी विकास ने नदी को एक जलीय कब्रिस्तान में बदल दिया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिल्ली में यमुना में प्रतिदिन लगभग 3,600 मिलियन लीटर अशोधित मल-जल प्रवाहित होता है।

    Yamuna Cleaning एक व्यापक दृष्टिकोण-

    पर्वेश वर्मा के नेतृत्व में शुरू किया गया यह अभियान एक बहु-आयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है:

    1. कचरा निष्कासन-

    पिछले 10 दिनों में 1,300 टन कचरा हटाया गया है। यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि नदी के पारिस्थितिक तंत्र में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है।

    2. बाढ़ नियंत्रण-

    2023 में आई भयंकर बाढ़ के बाद, सभी बाढ़ नियंत्रण फाटकों की मरम्मत और उन्नयन किया गया है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण, बल्कि मानवीय सुरक्षा का भी प्रयास है।

    3. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट-

    18 प्रमुख नालों पर नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाएंगे। इससे नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल की मात्रा में काफी कमी आएगी।

    पारिस्थितिक और स्वास्थ्य प्रभाव-

    यमुना की सफाई सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि एक जन स्वास्थ्य चुनौती भी। नदी का प्रदूषण न केवल जलीय जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि आसपास रहने वाले लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है।

    राजनीतिक परिप्रेक्ष्य-

    वर्मा का यह दावा कि पिछली सरकारों ने यमुना के लिए कुछ नहीं किया, एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बयान है। उनका कहना है कि अब प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस अभियान में सक्रिय है, जो इसके महत्व को रेखांकित करता है।

    चुनौतियां और आशाएं-

    दो वर्षों में सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है। हालांकि, यह एक सकारात्मक संकेत है कि सरकार नदी पुनर्जीवन के प्रति गंभीर है।

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    सामुदायिक भागीदारी-

    यमुना को बचाने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ समुदाय की भागीदारी भी महत्वपूर्ण होगी। स्कूलों, कॉलेजों और स्थानीय समुदायों को इस अभियान में शामिल करने की आवश्यकता है। यमुना बचाओ अभियान सिर्फ एक नदी को साफ करने का प्रयास नहीं है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत, पारिस्थितिकी और भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण संघर्ष है।

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