Bengaluru Moral Policing Case: हाल ही में Reddit की एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें 22 साल की बेंगलुरु की एक में महिला ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है। दरअल वह खुद के फ्लैट में अकेले रहती हैं, जो शहर के एक हाई रेजिडेंशियल कॉम्पलैक्स में मौजूद है। शनिवार की शाम उसके पांच दोस्त उससे मिलने आए थे, जिनमें चार लड़के और एक लड़की थी। वह सब मिलकर खाना बना रहे थे और बात कर रहे थे। लेकिन अचानक से समिति के कुछ बुजुर्ग लोगों ने उनके दरवाजे खटखटाया और बिना किसी कारण ने परेशान करना शुरू कर दिया। एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उनका दरवाजा खटखटाया और कहा, कि बैचलर्स को फ्लैट में रहने की परमिशन नहीं है।
फ्लैट के मालिक से मिलने की मांग-
उसने फ्लैट के मालिक से मिलने की मांग की, जब लड़की ने बताया, कि वह खुद ही मालिक है, तो वह नाराज हो गया और कुछ ही देर बाद और अंकल के साथ वहां पहुंच गए। उन पर शराब पीने और वीड स्मोकिंग का आरोप लगने लगे। इसके अलावा बिना इजाजत के उसके लिविंग रूम में घुसने की कोशिश करने लगे। उन्होंने महिला को अगले दिन फ्लैट खाली करने के लिए कहा, इस पर उसके दोस्तों ने उन्हें बाहर धकेल दिया। एक व्यक्ति जो फ्लैट की चेकिंग करने की कोशिश कर रहा था, उसे जबरदस्ती घुसने के लिए थप्पड़ भी मारा गया।
पूरी घटना रिकॉर्ड-
जिसके बाद बुज़ुर्गों ने पुलिस को बुलाया, पुलिस आई और महिला से फ्लैट के कागज मांगने लगी। लेकिन लड़की ने कागजात दिखाने से मना कर दिया। क्योंकि वहां कोई गड़बड़ी नहीं थी और पुलिस के पास घर में घुसने का कोई कानूनी कारण भी नहीं था। उसके लिविंग रूम में लगे कैमरे ने पूरी घटना को रिकॉर्ड किया। क्योंकि वह और उसके दोस्त लॉ स्टूडेंट हैं। इसलिए पुलिस ने कोई गलत कदम नहीं उठाया। वह अंकल यह बता बताते रहे, कि वह समिति बोर्ड के सदस्य है और सभी निवासियों को जानते हैं।
कानूनी नोटिस-
लड़की ने जवाब दिया है, कि वह उसे नहीं जानते। लेकिन लड़की बिल्डर को भी जानती थी, जो उसके पिता के दोस्त हैं। इसीलिए उनके डराने की रणनीति काम नहीं आई। अगली सुबह लड़की ने एक कानूनी नोटिस भेज कर सभी शामिल बोर्ड सदस्यों को हटाने की मांग की। उसने नोटिस भी जारी किया, बाद में बिल्डर ने उसे सीधा फोन किया और पूरी डिटेल मांगी। वह समिति अध्यक्ष के साथ उसके फ्लैट पर आए और सीसीटीवी फुटेज देखा। दोनों ने उसे पूरा सपोर्ट किया और आश्वासन दिया। एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई, मीटिंग में वीडियो सभी सदस्यों को दिखाया गया और उन आदमियों के व्यवहार की निंदा की गई।
62 लाख रुपए का सिविल सूट-
सभी शामिल लोगों को उनके पद से हटाया गया और समिति के नियम तोड़ने के लिए 20,000 का जुर्माना लगाया गया। लेकिन लड़की का फैसला यहीं नहीं रुका। शहर के एक बेहतरीन वकील से सलाह लेने के बाद उसने मानहानि, हमला, अतिक्रमण, बैटरी, स्टॉकिंग और प्राइवेसी के उल्लंघन के लिए 62 लाख रुपए का सिविल सूट दायर किया। अगले दिन दो पुरुषों की पत्नियों उससे केस वापस लेने की गुजारिश करने लगी। उन्होंने कहा बेटा अब ठीक है, फिर से नहीं होगा, तुम्हे जो चाहिए था, मिल गया उन्हें पदों से हटा दिया गया और जुर्माना भी लगाया गया।
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बीमारी का बहाना-
केस वापस ले लो, लेकिन लड़की ने साफ इनकार कर दिया एक और कपल ने बुज़ुर्ग की बीमारी का बहाना बनाया। लेकिन उसने कहा, कि उसे कंट्रोल करना उनकी जिम्मेदारी है। महिला ने यह लिखा, कि मैं एक सशक्त लड़की हूं, मुझे कोई नहीं तोड़ सकता। लेकिन सभी के पास इतना सपोर्ट नहीं होता। छोटे शहरों गांव से आने वाले युवा लड़के और लड़कियां, जो मेट्रो सिटीज में किराए पर रहते हैं। उनके पास ना तो संसाधन होते हैं, ना ही कानूनी जागरूकता और ना ही लड़ने की ताकत।
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