PresVu Eye Drops: भातीय औषधि महानियंत्रक (Indian Drug Controller General) ने प्रेस्वु आई ड्रॉप को मंजूरी देने के कुछ ही दिनों बाद, आई ड्रॉप के विनिर्माण और मार्केटिंग लाइसेंस को निलंबित कर दिया है और कहा है कि इसके निर्माता एंटोड फार्मास्यूटिकल ने भ्रम पैदा करने वाले दावे किए थे, कि PresVu पहली आई ड्रॉप है, जो पढ़ने के चश्मे के चश्मे की ज़रुरत को कम करता है और पास की चीज़ों को देखने की क्षमता को बढ़ाता है और पास की नज़र को तेज़ करने के लिए एक गैर आक्रामक विकल्प है और यह 15 मिनट के अंदर पास के चश्मे को हटाने में मदद करता है और आंखों में के लेंस में फोकस देता है।
कोई नई दवाई नहीं (PresVu Eye Drops)-
इंडेक्स इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीलोकार्पिन हाइड्रोक्लोराइड आई ड्रॉप में इस्तेमाल किया जाने वाला सक्रिय घटक कोई नई दवाई नहीं है। असल में यह आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में से ही एक है। जिसके लिए सरकार निर्धारण को कंट्रोल करती है, इस दवा का इस्तेमाल मोतियाबिंद के लिए प्राथमिक उपचार के रूप में किया जाता रहा। लेकिन यह प्रेसबायोपिया में मदद करने के लिए जानी जाती है। यह आयरिश की मांसपेशियों को सिकोड़ कर ऐसा करती है, जिससे आंख को बेहतर तरीके से फोकस करने मदद मिलती है।
कंपनी सवालों के जवाब देने में विफल रही-
डीसीजीआई के आदेश में यह कहा गया है, कि कंपनी सवालों के जवाब देने में विफल रही है। इस उत्पादन के लिए उन दावों को सही ठहरने की कोशिश की, जिसके लिए कोई मंजूरी ही नहीं दी गई थी। बीसीसीआई ने स्पष्ट किया है, कि PresVu को प्रेसबायोपिया के लिए मंजूरी दी गई थी। लेकिन इसके किसी भी ऐसे दावे को मंजूरी नहीं दी गई थी, कि यह पढ़ने के चश्मे की जरूरत कम सकती है। वहीं एंटोड फार्मास्यूटिकल ड्रग्स कंट्रोल के आदेशों को चुनौती देगा। सीईओ निखिल मसूरकर ने एक बयान में कहा, कि भारत में सभी फार्मा कंपनियों द्वारा, मीडिया के सामने नए उत्पाद को लॉन्च करने की घोषणा की जाती है। हमारे मामले में मीडिया रिपोर्ट वायरल हो गई और लोगों की कल्पना ने एक असामान्य वृद्धि को जन्म दे दिया।
कंपनी ने कहा (PresVu Eye Drops)-
एंटोड फार्मास्यूटिकल को डीसीजीआई से निलंबन के आदेश मिला है, यहां लागू किया गया तर्क हमारे प्रेस विज्ञाप्ति, जिसमें आम प्रेस के लाभों के लिए इस नई दवा के आवेदन को स्वीकृत संकेत और सटीक शब्दों की तुलना में ज्यादा विस्तृत शब्दों में समझाया गया है। अगर आप अन्य बड़ी फार्मा कंपनियों की ऐसी कई प्रेस विज्ञाप्ति की जांच करते हैं, जो उनकी वेबसाइट पर मौजूद है, तो आपको हमेशा उत्पादन और स्थिति के बारे में सब ठीक जानकारी से पार अलग विवरण मिलेंगे। पढ़ने के चश्मे की जरूरत को कम करने के लिए डिजाइन की गई भारत की पहली आई ड्रॉप होने का दावा करने के जवाब में, कंपनी ने कहा कि वर्तमान में देश में प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए किसी अन्य आईड्रॉप को मंज़ूरी नहीं मिली है।
दावे के लिए अप्रूव नहीं किया गया-
डीसीजीआई ने कहा कि आपको सूचित किया जाता है, कि ऐसे किसी दावे के लिए अप्रूव नहीं किया गया है, कि इसे पढ़ने के लिए चश्मे की जरूरत कम करने के लिए डिजाइन किया गया। इस बात के जवाब में कंपनी ने दावा क्यों किया है, कि यह आई ड्रॉप नॉन एग्रेसिव ऑप्शन है, जो चश्मे की पढ़ने में जरूरत को कम कर सकती है। कंपनी ने कहा कि किए गए परीक्षण में टेस्टर्स ने चश्मा नहीं पहना था। वह दावा जिसमें कहा गया ता रकि यह 15 मिनट के अंदर पास की नज़र को बढ़ा सकता है, पर कंपनी ने कहा कि डॉक्टर ने पढ़ने के चश्मे की तुलना में उत्पादन का मूल्यांकन किया था।
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गुमराह किए जाने की संभावना-
आदेश में कहा गया, कि अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स को देखते हुए, आपके द्वारा किए गए दावों से आम जनता को गुमराह किए जाने की संभावना है। जिसके लिए कोई मजूंरी नहीं दी गई थी। इस सब चीज़ों को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक प्रचार करते हुए, हाइड्रोक्लोराइड आप्थाल्मिक सॉल्यूशन के निर्माण और मार्केटिंग के लिए जारी की गई अनुमति को अगले आदेश तक निलंबित किया जाता है।
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