ISRO Aditya L1 Launch: ISRO चंद्रयान-3 मिशन में अपनी शानदार सफलता के बाद सूर्य के रहस्य को जानने के लिए अपना पहला सौर मिशन आदित्य L1 लॉन्च करने के लिए तैयार है। 2 सितंबर के लिए निर्धारित मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी एक्स से लॉन्च किया जाने वाला है। इसके साथ ही Aditya L1 का प्राथमिक उद्देश्य क्रोमोस्फीयर और कोरोना सहित सूर्य के ऊपरी वायुमंडल की गतिशीलता का अध्ययन करना है।
प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण-
इसका उद्देश्य क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग के आंशिक रूप से आयनित प्लाजा (ionised plasma) की भौतिक और कोरोना मास इजेक्शन के प्लेयर्स की शुरुआत जांच करना है। यह सूर्य से उत्पन्न होने वाले कण गतिशीलता पर डाटा इकट्ठा करने के लिए इन-सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का भी निरीक्षण करेगा। इसके साथ ही सौर कोरोना की भौतिक और तापमान तंत्र की खोज में मदद मिलेगी।
चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और माप का भी अध्ययन-
यह मिशन वेग, तापमान और घनत्व के बारे में कोरोना लूप्स के प्लाज्मा का निदान करेगा और कोरोना मास इजेक्शन की गतिशीलता विकास और उत्पत्ति का पता लगाएगा। इसके साथ ही ISRO कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और माप का भी अध्ययन करेगा। सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना, गतिशीलता सहित अंतरिक्ष मौसम के लिए ड्राइवर की भी जांच करेगा। यह अध्ययन अलग-अलग सौर घटनाओं जैसे कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, अंतरिक्ष मौसम और प्लेयर गतिविधियों की गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करेगा।
अंतरिक्ष में परिसंपत्तियों में वृद्धि-
उम्मीद जताई जा रही है कि आदित्य Aditya L1 मिशन सूर्य के बारे में हमारी समझ में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला है। Aditya L1 के पेलोड द्वारा एकत्र किया गया डाटा सौर गतिशीलता और अंतर ग्रह माध्यम से उनके प्रसार प्रभावों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाएगा। इसके साथ ही इसकी समझ महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि भारत अंतरिक्ष में परिसंपत्तियों में वृद्धि जारी रखता है और उनकी सुरक्षा सीधे सूर्य से होने वाले विस्फोट से संबंधित है।
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यूनिक कैपेबिलिटी-
इस मिशन को नासा के शोल्डर डायनामिक ऑब्जर्वेटरी, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर हेलियोस्फेरिक और ऑब्जर्वेटरी की तर्ज पर एक महत्वाकांक्षी वेधशाला वर्ग मिशन के रूप में देखा जा सकता है। इसमें यूनिक कैपेबिलिटी है, जो किसी भी वर्तमान अंतरिक्ष राष्ट्रीय मिशन में मौजूद नहीं है। इसे सूर्य की सतह के बहुत करीब से उसके मिलियन-डिग्री बाहरी वातावरण का निरीक्षण करने और पराबैंगनी प्रकाश में सूर्य की छवियां प्राप्त करने की क्षमता शामिल है। जो इसे चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत की बढ़ती शक्ति का प्रमाण-
Aditya L1 मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती शक्ति का प्रमाण है। यह पृथ्वी की जलवायु और अंतरिक्ष मौसम पर सूर्य के प्रभाव को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। जिसका हमारे ग्रह के पर्यावरण और प्रौद्योगिकी पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
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