Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर पूरे देश में उत्साह बना हुआ है। इतने सालों के बाद रामलला अपनी जन्म भूमि पर वापस विराजमान होने वाले है। 22 जनवरी को राम लला अपने मंदिर में विराजमान होंगे। लेकिन उससे पहले बहुत सी तैयारियां अभी बाकी है और भगवान की मूर्ति को स्थापित करने से पहले प्राण प्रतिष्ठा को ज़रुरी माना जाता है। अब मेरी ही तरह बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आटा होगा कि आखिर यह प्राण प्रतिष्ठा होती क्या है? यह क्यों ज़रुरी है और इसके महत्व क्या है। इस लेख में आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देने वाले हैं। आईए विस्तार से जानते हैं-
प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ-
बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आता होगा कि आखिर प्राण प्रतिष्ठा होती क्या है। प्राण प्रतिष्ठा की बात की जाए तो सनातन धर्म में इसका बहुत महत्व है। मूर्ति की स्थापना के समय प्राण प्रतिष्ठा जरूरी होती है। किसी भी मूर्ति की स्थापना के समय प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि को प्राण प्रतिष्ठा कहा जाता है। प्राण शब्द का मतलब होता है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का मतलब होता है स्थापना। ऐसा माना जाता है कि प्राण प्रतिष्ठा का मतलब जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना है। कोई भी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूजा के योग्य नहीं मानी जाती है।
क्या है प्राण प्रतिष्ठा का महत्व-
प्राण प्रतिष्ठा के जरिए मूर्ति में जीवन शक्ति का संचार करके उसे देवता के रूप में बदल दिया जाता है। उसके बाद वह पूजा के योग्य होती है, प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति रूप में उपस्थित देवी देवता की विधि विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक अनुष्ठानों और मत्रों का जाप किया जाता है। कहा जाता है की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए किए जाने के बाद खुद भगवान उस प्रतिमा में उपस्थित हो जाते हैंय़ हालांकि प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान करने के लिए सही स्थिति और शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है, बिना मुहूर्त के प्राण प्रतिष्ठा करने से शुभ फल प्राप्त नहीं होता।
प्राण प्रतिष्ठा की विधी-
इसके लिए सबसे पहले प्रतिमा को गंगाजल और विभिन्न नदियों के जल से स्नान कराया जाता है। उसके बाद स्वच्छ वस्त्र से मूर्ति को साफ करके नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। उसके बाद प्रतिमा को शुद्ध एवं स्वच्छ स्थान पर विराजित करके चंदन का लेप लगाकर श्रृंगार किया जाता है। फिर मंत्रों का पाठ कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इस समय पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान की पूजा होती है और आखिर में आरती अर्चना कर लोगों को प्रसाद दिया जाता है।
तैयारियां जोरों शोरों पर-
इस समय अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है और सभी तैयारियां जल्द ही पूरी होने वाली हैं। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया जाएगा। सभी राम भक्त अपने आराध्य को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं और पूरी अयोध्या में को अच्छी तरह से सजाया गया है। पीएम मोदी के हाथों यहां प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसी के साथ लोगों में यह जानने की भी दिलचस्प है कि आखिर राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह में क्या होने वाला है।
आवश्यक दिशा निर्देश-
सामाचार वेबसाइट आजतक के मुताबिक, इसका जवाब राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने मंदिर के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया है और सभी आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए हैं। उसके साथ ही अन्य अङिकारी का कहना है कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा दिवस के मौके पर पीएम मोदी सभा को संबोधित करेंगे और वह रामलाल के प्रतिमा के नेत्र आवरण खोलेंगे। यानी इस दौरान श्री राम की प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराया जाएगा और स्वर्ण सिंहासन पर बिठाया जाएगा। सिंहासन पर अचल मूर्ति की स्थापना होगी। अगर पीएम मोदी को पूजा के लिए प्राण प्रतिष्ठा से पहले किसी अनुशासन व्यवस्था करनी है तो उन्हें पहले बता देने की मांग की गई है।
रविंद्र मिश्रा का कहना है-
पीएम मोदी उसका पालन करते हुए ही प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए आएंगे। रविंद्र मिश्रा का कहना है कि पीएम मोदी ने इस अनुशासन विधि के लिए खुद पूछा है, कि इसमें किसी तरह का व्रत उपासना या फिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले कोई विशेष पूजा हो सकती है तो वह उसका पालन ज़रुरु करेंगे। राम मंदिर के निर्माण के समिति अध्यक्ष का कहना है कि श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर पीएम मोदी जनसभा को संबोधित करेंगे और मंदिर के सामने एक केंद्रीय शिकार और दो परशुराम शिखर तथा खुले मंच पर कुर्सियां लगाई जाएगी। जानकारी के मुताबिक, यहां कुल 6000 कुर्सियां लगाई गई है।
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नेत्र अनावरण-
पीएम मोदी श्री राम की प्रतिमा के नेत्र अनावरण करेंगे और राम प्रतिमा को जल्द से स्नान करेंगे, लोग नई प्रतिमा के दर्शन को लेकर काफी उत्साहित है और साथ ही पुरानी प्रतिमा के प्रति लोगों की काफी श्रद्धा है और लोग इसके भी दर्शन करेंगे। इसके अलावा रविंद्र मिश्रा का कहना है की पुरानी रामलला की मूर्ति को नई की मूर्ति से पहले रखा जाएगा। 16 तारीख के बाद एक-दो दिन में दोनों मूर्तियों को राम मंदिर में रख दिया जाएंगा। क्योंकि श्रद्धालु पुरानी राम लाल की मूर्ति देखने भी आ रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने रामलाल के लिए 5 वर्षीय चुनी गई काले पत्थरों की मूर्ति को लेकर भी सवालों के जवाब दिए हैं, उनका कहना है की रामायण में रामलला के लिए श्याम रंग का जिक्र किया गया है।
अयोध्या राम मंदिर को इतनी खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि करीब 500 सैल के बाद रामलला अपनी जन्मभूमी पर वापिस विराजमान होने वाले है। इस कारण सभी भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण बड़े भव्य तरीके से किया जा रहा है। इसकी बहुत सी मुख्य विशेषताएं है।
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Ayodhya Ram Mandir क्यों है इतना खास, क्या हैं एंट्री के नियम, जानें यहां