Petrol Diesel Excise Duty: केंद्र सरकार ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आर्थिक फैसला लेते हुए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है। नई दरें 8 अप्रैल से लागू होंगी, जिसके तहत पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़कर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। हालांकि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस बढ़ोतरी का बोझ आम आदमी पर नहीं पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्यों में कोई वृद्धि नहीं की जाएगी।
Petrol Diesel Excise Duty बढ़ने का क्या होगा असर?
सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाए जाने का सीधा असर आमतौर पर इन ईंधनों के खुदरा मूल्यों पर पड़ता है। लेकिन इस बार पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस वृद्धि का बोझ आम जनता पर नहीं डाला जाएगा। इसका अर्थ यह है कि तेल विपणन कंपनियां अपने मार्जिन से इस अतिरिक्त शुल्क को वहन करेंगी, जिससे पंप पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर रहेंगी।
Central Government raises excise duty by Rs 2 each on petrol and diesel: Department of Revenue notification pic.twitter.com/WjOiv1E9ch
— ANI (@ANI) April 7, 2025
यह कदम सरकार के राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए उठाया गया है। "वैश्विक तेल की कीमतों में पिछले कुछ महीनों से आई गिरावट का लाभ उठाते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। इससे राजकोष को मजबूती मिलेगी, जबकि आम उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।"
Petrol Diesel Excise Duty में वृद्धि का संबंध-
दिसंबर 2024 में, सरकार ने घरेलू कच्चे तेल और ईंधन निर्यात पर लगाए गए विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स को समाप्त कर दिया था। यह टैक्स पहली बार 1 जुलाई, 2022 को लगाया गया था। विंडफॉल टैक्स की समाप्ति का फैसला वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट के बीच लिया गया था। अब एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि कर सरकार राजस्व के उस स्रोत को बहाल करने की कोशिश कर रही है जो विंडफॉल टैक्स की समाप्ति से प्रभावित हुआ था।
PSU Oil Marketing Companies have informed that there will be no increase in retail prices of #Petrol and #Diesel, subsequent to the increase effected in Excise Duty Rates today.#MoPNG
— Ministry of Petroleum and Natural Gas #MoPNG (@PetroleumMin) April 7, 2025
दोनों निर्णय आपस में जुड़े हुए हैं। वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच सरकार राजस्व के स्थिर स्रोत सुनिश्चित करना चाहती है। विंडफॉल टैक्स एक अस्थायी उपाय था, जबकि एक्साइज ड्यूटी राजस्व का एक स्थायी स्रोत है।"
तेल विपणन कंपनियों पर प्रभाव-
एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी का सबसे अधिक प्रभाव तेल विपणन कंपनियों पर पड़ेगा, जिन्हें इस अतिरिक्त बोझ को अपने मार्जिन से वहन करना होगा। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां पहले से ही मूल्य नियंत्रण के दबाव में हैं।
यदि सरकार कीमतों में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लेती है, तो तेल कंपनियों के मुनाफे पर दबाव बढ़ेगा। हालांकि, पिछले कुछ तिमाहियों में वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण ये कंपनियां इस अतिरिक्त बोझ को वहन करने की स्थिति में हैं।"
यह एक संतुलित निर्णय है। एक तरफ सरकार राजस्व बढ़ा रही है, दूसरी तरफ उपभोक्ताओं को राहत दे रही है। लेकिन यदि वैश्विक कीमतें बढ़ती हैं, तो कंपनियों के लिए लंबे समय तक इस बोझ को वहन करना मुश्किल हो सकता है।"
आम जनता पर क्या होगा असर?
सरकार के इस फैसले का सीधा असर आम जनता पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि पेट्रोल और डीजल के खुदरा मूल्य अपरिवर्तित रहेंगे। यह खबर राहत भरी है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो रोजाना वाहनों का उपयोग करते हैं या जिनकी आजीविका परिवहन क्षेत्र से जुड़ी है।
अगर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो सीधा असर हमारी रोजी-रोटी पर पड़ता है। लेकिन अगर सरकार दाम नहीं बढ़ा रही है तो यह अच्छी खबर है।" पेट्रोल और डीजल के मूल्य स्थिर रहें, तो इनका प्रभाव सीधे महंगाई पर पड़ता है। ईंधन की कीमतों में वृद्धि से आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई महंगी हो जाती है, जिससे खाद्य पदार्थों सहित सभी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं।"
सरकार के वित्तीय प्रबंधन की रणनीति-
यह कदम सरकार के वित्तीय प्रबंधन की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने और अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए सरकार विभिन्न उपाय अपना रही है।
सरकार अपने राजकोषीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोतों से राजस्व जुटा रही है। एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी इसका एक हिस्सा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस निर्णय से न तो महंगाई बढ़ेगी और न ही आम आदमी पर बोझ पड़ेगा।"
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भविष्य में क्या हो सकता है?
एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी के बावजूद खुदरा कीमतें स्थिर रखने का निर्णय अभी के लिए है। भविष्य में यदि वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार और तेल कंपनियों के लिए इस नीति को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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