Pahalgam Attack Response: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिक्रिया के बढ़ते संकेतों के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई के तरीके, लक्ष्यों और समय के बारे में निर्णय लेने की पूरी ऑपरेशनल स्वतंत्रता दी है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक में सेना की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा और विश्वास व्यक्त किया।
इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद, मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि भागवत ने पिछले सप्ताह कहा था कि "धर्म" के अनुसार भारत को दुश्मन को सज़ा देनी चाहिए।
Pahalgam Attack Response सुरक्षा पर उच्च स्तरीय बैठकें जारी-
प्रधानमंत्री ने पहलगाम हमले के बाद दूसरी बार बुधवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक बुलाई है। उसी दिन अन्य महत्वपूर्ण निकायों - राजनीतिक और आर्थिक मामलों की कैबिनेट समितियों और पूर्ण केंद्रीय मंत्रिमंडल की भी बैठक होने वाली है।
दिन में पहले, प्रधानमंत्री ने एक शिक्षा सम्मेलन में अपनी "समय सीमित है, लक्ष्य बड़े हैं" टिप्पणी के साथ पाकिस्तान के खिलाफ जल्द जवाब की उम्मीदों को बढ़ावा दिया था। जब दर्शकों ने तालियां बजाईं, तो मोदी ने संक्षिप्त रूप से रुककर कहा, "मैं वर्तमान स्थिति के बारे में बात नहीं कर रहा हूं।"
हालांकि, यह स्पष्टीकरण प्रभावी प्रतिक्रिया की बढ़ती अपेक्षाओं को कम करने में अधिक सफल नहीं हुआ। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान भी इसके लिए तैयार है। इस कार्रवाई भरे दिन में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ तैयारियों पर चर्चा की।
Pahalgam Attack Response पीएम मोदी का अनुभवी नेतृत्व-
सेना के प्रमुखों के साथ बैठक में, प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर अपना पूरा विश्वास जताया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, "प्रधानमंत्री ने साफ़ कर दिया है कि सेना को जो भी कार्रवाई करनी है, वह पूरी तरह से उनके विवेक पर निर्भर करेगी। उन्होंने किसी भी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप न करने का आश्वासन दिया है।"
यह 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी पिछली कार्रवाइयों के समान दृष्टिकोण का संकेत देता है, जहां सेना को रणनीतिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी गई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियां तेज़-
पहलगाम हमले के बाद से, सरकार और सुरक्षा एजेंसियां उच्च सतर्कता पर हैं। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की।
एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, "भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहा है। पहलगाम हमले जैसी घटनाओं के बाद प्रतिक्रिया देने में कोई देरी नहीं होगी।"
जनता का समर्थन और प्रतिक्रिया-
देश भर में लोग सरकार के निर्णायक कदम का समर्थन कर रहे हैं। दिल्ली के एक 45 वर्षीय व्यापारी रमेश कुमार ने कहा, "हमें आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जरूरत है। हम सरकार और हमारी सेना के साथ पूरी तरह से खड़े हैं।"
सोशल मीडिया पर भी नागरिकों ने अपने समर्थन का इजहार किया है, जहां #IndiaAgainstTerror और #ActionAgainstPakistan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
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पड़ोसी देशों की प्रतिक्रिया-
भारत की संभावित कार्रवाई के बारे में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। कई पड़ोसी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के कदमों का समर्थन किया है, जबकि कुछ ने संयम बरतने की अपील की है।
एक विदेश नीति विशेषज्ञ के अनुसार, "वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में, भारत की कार्रवाई संतुलित होगी, लेकिन निश्चित रूप से निर्णायक होगी। यह सिर्फ प्रतिशोध नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश होगा।"
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिक्रिया के बढ़ते संकेतों के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई के तरीके, लक्ष्यों और समय के बारे में निर्णय लेने की पूरी ऑपरेशनल स्वतंत्रता दी है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक में सेना की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा और विश्वास व्यक्त किया।
इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद, मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि भागवत ने पिछले सप्ताह कहा था कि "धर्म" के अनुसार भारत को दुश्मन को सज़ा देनी चाहिए।
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