Sold Grandson: ओडिशा के बलदिया गांव से एक ऐसी दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जिसने समाज के संवेदनहीन होने की पोल खोल दी है। 65 वर्षीय विधवा मंद सोरेन पर अपने 7 वर्षीय पोते को मात्र 200 रुपये में बेचने का आरोप लगा है। यह घटना मोराडा ब्लॉक के बलदिया गांव की है, जहां गरीबी की मार झेल रही एक बुजुर्ग महिला ने अपनी और अपने पोते की भूख मिटाने के लिए इस हद तक जाना पड़ा।
तनहाई और गरीबी का दंश झेलती बुजुर्ग महिला (Sold Grandson)-
मंद सोरेन की जिंदगी संघर्षों से भरी रही है। उनके पति की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी, बेटा लापता हो गया और कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी बहू भी इस दुनिया से चली गई। अब वह अपने नन्हे पोते के साथ अकेली रह गई थीं। मंद सोरेन के पास न तो अपना घर है और न ही कोई जमीन जिसपर वह खेती कर सकें। यहां तक कि उन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता भी नहीं मिलती, जो उनके जीवन में थोड़ी राहत ला सके। "हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था, हर दिन भूखे पेट सोना पड़ता था। मैं भीख मांगकर अपने पोते का पेट भरती थी, लेकिन अब मेरी उम्र और शरीर साथ नहीं दे रहे हैं," मंद सोरेन ने अपनी व्यथा बयां करते हुए कहा।
#Horrific Due to starvation, a Tribal woman sold her grandson for Rs 200, the incident took place in Odisha's Mayurbhanj district. pic.twitter.com/4j2vhEvetH
— The Dalit Voice (@ambedkariteIND) March 19, 2025
रायपाल गांव से शुरू हुई दर्दनाक कहानी (Sold Grandson)-
बेसहारा होने के बाद मंद सोरेन अपने पोते के साथ रासगोविंदपुर ब्लॉक के रायपाल गांव में अपनी बहन के पास रहने लगीं। वहां भी उनकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। बढ़ती उम्र और शारीरिक कमजोरी के कारण वह भीख मांगने के लिए ज्यादा दूर तक जाने में असमर्थ हो गईं, जिससे 7 साल के बच्चे की देखभाल करना उनके लिए और भी मुश्किल हो गया। "कई दिन ऐसे होते थे जब हम दोनों का पेट भरना मुश्किल हो जाता था। मेरे पोते को खाना, कपड़े और पढ़ाई की जरूरत थी, जो मैं उसे नहीं दे पा रही थी," बुजुर्ग महिला ने बताया।
200 रुपये में हुआ सौदा, बच्चे की जिंदगी से खिलवाड़(Sold Grandson)-
हताशा और निराशा के चलते मंद सोरेन ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसकी कल्पना भी दिल दहला देती है। उन्होंने कथित तौर पर मात्र 200 रुपये के बदले अपने पोते को एक अज्ञात व्यक्ति को सौंप दिया। यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई।
"यह मेरे जीवन का सबसे कठिन निर्णय था। लेकिन मैं सोचती थी कि शायद मेरा पोता किसी अच्छे परिवार में रहेगा, जहां उसे खाने-पीने की कमी नहीं होगी और वह स्कूल भी जा सकेगा," मंद सोरेन ने आंसू भरी आंखों से कहा।
समाज और सिस्टम की विफलता-
यह घटना हमारे समाज और सिस्टम की विफलता को दर्शाती है। गांव के ही कुछ जागरूक लोगों ने जब इस घटना के बारे में सुना, तो उन्होंने तुरंत स्थानीय पंचायत समिति के सदस्यों को सूचित किया। पंचायत के सदस्यों ने बिना देर किए पुलिस को जानकारी दी। "यह सुनकर हम सभी स्तब्ध रह गए। एक बच्चे की कीमत 200 रुपये से भी कम? हमारा समाज कहां जा रहा है? हमने तुरंत पुलिस को सूचित कर दिया," स्थानीय पंचायत समिति के एक सदस्य ने कहा।
पुलिस और बाल संरक्षण विभाग की त्वरित कार्रवाई-
सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आई। उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्चे को रेस्क्यू कर थाने ले आई। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए बाल संरक्षण विभाग और रासगोविंदपुर की CDPO (चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर) अधिकारी भी थाने पहुंचीं। "हमने जैसे ही इस घटना के बारे में सुना, तुरंत कार्रवाई की। हमारी टीम ने कड़ी मेहनत से बच्चे को ढूंढ निकाला। अब हमारी पूरी कोशिश है कि बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहे," पुलिस अधिकारी ने कहा।
सरकारी संरक्षण में बच्चा और दादी-
फिलहाल, मंद सोरेन और उनके पोते दोनों को सरकारी संरक्षण में रखा गया है। बच्चे को बारीपदा के बाल संरक्षण केंद्र में भेज दिया गया है, जहां उसकी उचित देखभाल की जाएगी। वहीं, बुजुर्ग महिला को भी सुरक्षित स्थान पर रखा गया है और उन्हें चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जा रही है। "बच्चे की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। वह अब बाल संरक्षण केंद्र में है, जहां उसे पढ़ाई-लिखाई समेत सभी जरूरी सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही, हम बुजुर्ग महिला के लिए भी उचित व्यवस्था कर रहे हैं," CDPO अधिकारी ने बताया।
सामाजिक संगठनों की मांग-
इस घटना के बाद स्थानीय सामाजिक संगठनों और गांव के लोगों ने सरकार से मंद सोरेन जैसी बुजुर्ग महिलाओं के लिए पेंशन और आवास सहायता की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं समाज के लिए कलंक हैं और इन्हें रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, यह सिर्फ एक मामला है जो सामने आया है, ऐसे न जाने कितने लोग होंगे जो गरीबी की मार झेल रहे हैं। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने चाहिए। बुजुर्ग महिलाओं और अनाथ बच्चों के लिए विशेष योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
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गरीबी और भुखमरी
मंद सोरेन का मामला भारत में गरीबी और भुखमरी की गंभीर समस्या को उजागर करता है। आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी भी लाखों लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां रोजगार के अवसर कम हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ सभी तक नहीं पहुंच पाता।
"सरकार पूरे देश में कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन अभी भी एक बड़ी चुनौती है। हमें अपनी प्रणाली में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि मंद सोरेन जैसी महिलाओं को अपने बच्चों को बेचने जैसे कदम न उठाने पड़ें," एक अर्थशास्त्री ने कहा। इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर समाज को झकझोर दिया है और हमें सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम सभी इस व्यवस्था में बदलाव के लिए अपनी भूमिका निभा रहे हैं?
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