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    Maggi: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने शुक्रवार (7 फरवरी) को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए नेस्ले इंडिया लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया। यह मामला मैगी इंस्टेंट नूडल्स से संबंधित था, जो 4 अप्रैल 2016 को फूड सेफ्टी ऑफिसर द्वारा अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नागपुर के समक्ष दर्ज कराया गया था।

    जस्टिस उर्मिला जोशी फालके की अध्यक्षता वाली बेंच ने खाद्य नमूना परीक्षण में महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक खामियां पाईं। यह याचिका नागपुर और गोवा के नेस्ले इंडिया के अधिकारियों द्वारा दायर की गई थी। मामले की शुरुआत 2016 में फूड सेफ्टी ऑफिसर किरण रंगास्वामी गेडम द्वारा दर्ज की गई शिकायत से हुई थी, जिसमें कंपनी पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट (FSS Act) 2006 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।

    Maggi खाद्य सुरक्षा टीम की जांच और विवाद-

    शिकायत के अनुसार, 30 अप्रैल 2015 को खाद्य सुरक्षा टीम ने नागपुर के पास स्थित नेस्ले के लॉजिस्टिक हब का निरीक्षण किया और टेस्टमेकर के साथ मैगी इंस्टेंट नूडल्स के सैंपल लिए। इन सैंपल्स की शुरुआती जांच पुणे की स्टेट पब्लिक हेल्थ लैबोरेटरी में की गई, जिसमें वे सुरक्षा मानकों के अनुरूप पाए गए।

    हालांकि, नियुक्त अधिकारी ने दूसरी राय के लिए सैंपल्स को गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित रेफरल फूड लैबोरेटरी को भेज दिए। 31 दिसंबर 2015 की गाजियाबाद लैब रिपोर्ट में पाया गया कि नूडल्स में अनुमति से अधिक ड्राई ऐश कंटेंट और कम नाइट्रोजन लेवल के कारण वे आवश्यक मानकों पर खरे नहीं उतरते। इसी रिपोर्ट के आधार पर नेस्ले के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।

    Maggi कानूनी पक्ष और महत्वपूर्ण खामियां-

    याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता एसवी मनोहर ने तर्क दिया कि जब गाजियाबाद की लैब ने सैंपल्स का विश्लेषण किया, उस समय उसे नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज (NABL) की मान्यता प्राप्त नहीं थी। कोर्ट ने FSS एक्ट की धारा 43 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे परीक्षण केवल NABL से मान्यता प्राप्त लैब ही कर सकती हैं। चूंकि लैब को NABL की मान्यता 15 दिसंबर 2016 को मिली, इसलिए उसकी रिपोर्ट को कानूनी रूप से अमान्य माना गया।

    कोर्ट ने यह भी देखा कि विश्लेषण के समय खाद्य नमूनों की शेल्फ लाइफ समाप्त हो चुकी थी, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे। संबंधित उत्पाद मार्च 2015 में निर्मित किया गया था और यह केवल 9 महीने तक ही अनुकूल स्थिति में रह सकता था। इस प्रकार, जब रेफरल फूड लैबोरेटरी ने इसका विश्लेषण किया, तब तक सैंपल की शेल्फ लाइफ समाप्त हो चुकी थी।

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    औपचारिक आदेश-

    इसके अतिरिक्त बेंच ने प्रक्रियात्मक खामियों पर भी ध्यान दिया, जैसे कि कोर्ट द्वारा आरोपियों को समन जारी करने के लिए औपचारिक आदेश का अभाव। इन सभी कारणों को देखते हुए, कोर्ट ने नेस्ले के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया।

    यह फैसला खाद्य सुरक्षा मानकों की जांच में प्रक्रियात्मक नियमों के महत्व को रेखांकित करता है और साथ ही यह भी दर्शाता है कि कानूनी कार्यवाही में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन कितना आवश्यक है। इस फैसले से न केवल नेस्ले को राहत मिली है, बल्कि यह अन्य कंपनियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है। 

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