Manipur BJP Resignation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मणिपुर यात्रा से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। उखरूल जिले के फुंग्यार मंडल से भाजपा के कम से कम 43 नेताओं ने एक साथ अपना इस्तीफा दे दिया है। इस सामूहिक इस्तीफे में मंडल अध्यक्ष से लेकर महिला मोर्चा, युवा मोर्चा और किसान मोर्चा के अध्यक्ष तक शामिल हैं। साथ ही कई बूथ अध्यक्षों ने भी पार्टी छोड़ने का फैसला किया है।
क्या है इस्तीफे की असली वजह?
इन नेताओं ने जो संयुक्त बयान जारी किया है, उसमें पार्टी के कामकाज को लेकर गहरी नाराजगी झलकती है। इस्तीफा देने वाले नेताओं का कहना है, कि वे पार्टी के वर्तमान हालात को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका आरोप है, कि पार्टी में सलाह-मशविरे की कमी है, सबको साथ लेकर चलने की भावना नहीं है और जमीनी स्तर के नेताओं का सम्मान नहीं किया जा रहा।
अपने बयान में उन्होंने साफ कहा है, कि पार्टी और उसकी विचारधारा के प्रति उनकी निष्ठा हमेशा अटूट रही है। लेकिन अब वे अपने समुदाय और मणिपुर के लोगों की भलाई के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बयान साफ तौर पर दिखाता है, कि नेताओं में पार्टी के काम करने के तरीके को लेकर कितनी निराशा है।
नागा बहुल क्षेत्र में भाजपा की मुश्किलें-
यह घटना उस समय हुई है, जब यह इलाका नागा समुदाय का बहुल क्षेत्र है। उखरूल जिला मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में आता है, जहां नागा समुदाय की अच्छी खासी आबादी रहती है। इस तरह के सामूहिक इस्तीफे से साफ पता चलता है, कि भाजपा को इस इलाके में अपना आधार मजबूत करने में कितनी कठिनाइयां आ रही हैं।
अभी तक मणिपुर भाजपा की तरफ से इन इस्तीफों पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है। पार्टी का मौन इस बात का संकेत है, कि वे इस मुद्दे को कैसे संभालेंगी, यह देखना होगा।
पीएम मोदी की पहली यात्रा जातीय हिंसा के बाद-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मणिपुर पहुंचने वाले हैं। यह उनकी पहली यात्रा होगी, जब से मई 2023 में मणिपुर में भयानक सामुदायिक हिंसा शुरू हुई थी। मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच हुई इस हिंसा में 260 से अधिक लोगों की जान गई थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे।
इस हिंसा के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को फरवरी में इस्तीफा देना पड़ा था और केंद्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था। अब जब प्रधानमंत्री यहां आ रहे हैं, तो उम्मीद की जा रही है, कि वे राज्य की स्थिति को सुधारने के लिए कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं।
इंफाल और चुराचांदपुर में कड़ी सुरक्षा-
प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर इंफाल और चुराचांदपुर में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। राज्य और केंद्रीय बलों की बड़ी तादाद तैनात की गई है। इंफाल के कांगला किले और चुराचांदपुर के शांति मैदान में पीएम के कार्यक्रम होने वाले हैं, जहां चौकसी बढ़ा दी गई है।
संजेंथॉन्ग, मिनुथॉन्ग और मोइरांगखोम जैसे प्रवेश द्वारों पर जांच कड़ी कर दी गई है। केंद्रीय और राज्य की सुरक्षा टीमें कांगला किले की चौबीसों घंटे निरीक्षण कर रही हैं। यहां तक, कि किले की खाई में राज्य आपदा प्रबंधन बल की नावें भी गश्त कर रही हैं।
सुरक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही-
एक केंद्रीय सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक, सूंघने वाले कुत्ते और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके किसी भी अवांछित सामग्री की जांच की जा रही है। सुरक्षाकर्मी बारी-बारी से किले के आसपास पैदल गश्त कर रहे हैं। किले में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की जांच और पंजीकरण की जा रही है। पर्यटकों के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
चुराचांदपुर में भी केंद्रीय सुरक्षा बलों की पहले से पहुंची टीम तैयारियों में जुटी है। शांति मैदान के रास्ते में बांस की बाड़ लगाई जा रही है और पूरे इलाके को फूलों से सजाया जा रहा है।
विद्रोहियों पर कार्रवाई भी तेज-
राज्य के अन्य हिस्सों में सुरक्षा एजेंसियों ने क्षेत्रीय नियंत्रण और खोज अभियान तेज कर दिए हैं। पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में राज्य बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अस्थायी चेकपॉइंट बनाए गए हैं।
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पिछले 48 घंटों में तीन विद्रोहियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें प्रतिबंधित प्रीपक संगठन का एक सदस्य शामिल है, जिसके पास इंफाल पश्चिम के अपने घर से 9 मिमी पिस्तल मिली थी। इसके अलावा प्रतिबंधित यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट का एक सदस्य बिष्णुपुर से पकड़ा गया और के.सी.पी. का एक सदस्य इंफाल पूर्व से गिरफ्तार किया गया।
यह सब मिलाकर देखें, तो पीएम मोदी की मणिपुर यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक तरफ भाजपा को आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तो दूसरी तरफ राज्य में शांति बहाली का काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा मणिपुर की राजनीति और सामाजिक स्थिति दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
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