Covid Patient Audio Clip
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    Covid Patient Audio Clip: महाराष्ट्र के लातूर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जो किसी को भी हिला देने वाली है। साल 2021 में कोविड की दूसरी लहर के दौरान, जब अस्पतालों में मरीज़ों की भीड़ थी और संसाधनों की कमी थी, तब दो सरकारी डॉक्टरों के बीच हुई एक बातचीत का ऑडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस बातचीत में एक डॉक्टर अपने साथी से कहता सुनाई दे रहा है कि कोविड मरीज़ को “मार दो”।

    यह पूरा मामला उस वक्त का है जब देश भर में कोविड का कहर था। अस्पतालों में बिस्तरों की किल्लत थी, ऑक्सीजन की कमी थी, और चिकित्सा कर्मचारियों पर भारी दबाव था। लेकिन इस सब के बीच भी, क्या किसी डॉक्टर का यह फर्ज़ नहीं बनता कि वह हर मरीज़ के साथ इंसानियत से पेश आए?

    Covid Patient Audio Clip घटना की पूरी कहानी क्या है-

    न्यूज़ 18 के मुताबिक, मामला लातूर के उदगीर सरकारी अस्पताल का है। यहाँ पर कौसर फातिमा नाम की एक 41 साल की महिला कोविड से बीमार होकर भर्ती थी। उनके पति दयामी अजीमुद्दीन गौसोद्दीन बताते हैं कि 15 अप्रैल 2021 को उनकी पत्नी को अस्पताल में दाखिल कराया गया था। इलाज नांदेड़ रोड़ पर नेत्र अस्पताल के सामने वाली इमारत में चल रहा था।

    एक दिन, करीब दाखिले के सातवें दिन, गौसोद्दीन डॉ. दांगे के पास बैठे थे जो अपना खाना खा रहे थे। तभी डॉ. दांगे के फोन पर कॉल आई और उन्होंने स्पीकर पर रखकर बात की। फोन पर अतिरिक्त जिला शल्यचिकित्सक डॉ. शशिकांत देशपांडे थे।

    बातचीत में जब बिस्तरों की उपलब्धता के बारे में पूछा गया, तो डॉ. देशपांडे का कथित तौर पर यह जवाब था – “दयामी मरीज़ को मार दो। तुम तो ऐसे लोगों को संभालने के आदी हो।” इसके साथ ही उन्होंने जाति आधारित टिप्पणियां भी कीं थीं।

    परिवार की मानसिक स्थिति और चुप्पी-

    इस बात को सुनकर गौसोद्दीन हैरान रह गए। लेकिन उस वक्त उन्होंने कुछ नहीं कहा क्योंकि उनकी पत्नी का इलाज अभी भी चल रहा था। उन्हें डर था कि कहीं कुछ कह देने से इलाज में परेशानी न आ जाए। कुछ दिनों बाद उनकी पत्नी ठीक हो गईं और छुट्टी मिल गई।

    लेकिन यह घटना उनके मन से निकली नहीं थी। तीन साल बाद, मई 2025 में जब यही ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो उन्हें लगा कि अब सच सामने लाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि इस ऑडियो को दोबारा सुनकर उन्हें बहुत दुख हुआ, खासकर जब धार्मिक और जाति आधारित टिप्पणियों की बात आई।

    पुलिस कार्रवाई और जांच-

    गौसोद्दीन की शिकायत पर 24 मई को पुलिस ने मामला दर्ज़ किया है। यह केस जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्यों के तहत दर्ज़ किया गया है जो धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किए गए थे। निरीक्षक दिलीप गाडे के अनुसार, पुलिस अब ऑडियो क्लिप की सत्यता की जांच कर रही है।

    पुलिस ने शिकायतकर्ता का मोबाइल फोन भी जब्त किया है और उनका बयान दर्ज़ किया जा रहा है। डॉ. दांगे को भी नोटिस भेजा गया है, लेकिन वे अभी जिले से बाहर हैं। पुलिस उनका भी मोबाइल फोन इकट्ठा करके पूछताछ करेगी।

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    चिकित्सा नैतिकता और इंसानियत का सवाल-

    यह पूरा मामला चिकित्सा पेशे की नैतिकता पर गंभीर सवाल उठाता है। कोविड के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों पर जो दबाव था, वह समझ में आता है। लेकिन क्या यह दबाव किसी भी डॉक्टर को यह हक देता है कि वे अपने मरीज़ों के साथ इस तरह का व्यवहार करें?

    हर मरीज़, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या पृष्ठभूमि से हो, उसे उचित इलाज पाने का अधिकार है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी चिकित्सा व्यवस्था में कहीं भेदभाव की समस्या है।

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