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Gyanvapi: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि शाही ईद का मस्जिद विवाद से संबंधित 15 मामलों की संयुक्त सुनवाई करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली शाही ईदगाह मस्जिद समिति की याचिका खारिज कर दिया। इलाहाबाद एचसी ने मामलों की समान प्रकृति का हवाला देते हुए कहा कि कृष्ण जन्मभूमि, शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित 15 मुकदमें एक जैसे हैं, इसलिए उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इन मामलों का फैसला एक ही तरह के सबूत के आधार पर किया जाएगा और अदालत का समय बचाने के लिएस यह सही होगा कि उनकी सुनवाई एक साथ की जाएगी।

प्रबंध ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह (Gyanvapi)-

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को प्रबंध ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी गई थी। हालांकि यह याचिका उच्च अदालत में खारिज कर दी गई है। क्योंकि आदेश को वापस लेने के लिए एक आवेदन उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। हालांकि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की शीर्ष पीठ ने कहा कि अगर मस्जिद समिति इलाहाबाद न्यायलट द्वारा दिए गए निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं तो वह एक और याचिका दायर कर सकते हैं।

आदेश को वापस लेने का आवेदन-

11 जनवरी के आदेश को वापस लेने का आवेदन उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। उन्होंने अदालत से एक विशेष स्थिति पर आवेदन को उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। हालांकि पीठ ने ऐसा कोई आप भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। 11 जनवरी को उच्च न्यायालय ने न्याय के हित में निर्देश दिया कि हिंदूवादी द्वारा दायर एक आवेदन पर 15 मुकदमों को एक किया जाएगा।

कई अन्य मुकदमे दायर-

उच्च न्यायालय ने कहा कि 25 सितंबर 2020 को सिविल जज मथुरा के समक्ष मूल मुकदमा दायर किए जाने के बाद 13.37 एकड़ भूमि के संबंध में कई अन्य मुकदमे दायर किए गए थे। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि मुकदमे एक जैसी प्रकृति के हैं। इन मुद्दों में एक ही कार्यवाही जा सकती है और साक्षों के आधार पर मुकदमों का फैसला एक साथ किया जा सकता है। अदालत का समय बचाने के लिए खर्चों को कम करना होगा।

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न्याय के हित में (Gyanvapi)-

पर्चों पर खर्च किया गया है और परस्पर विरोधी निर्णय से बचने के लिए मुकदमों को एक दूसरे के साथ एक करना न्याय के हित में है। उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विवाद में उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश और नियम 11 के तहत जारी कार्यवाही रहेगी। शीर्ष अदालत पहले से ही मस्जिद समिति द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही है। जिसमें मथुरा अदालत के साथ लंबित विभाग से संबंधित सभी मामलों को खुद को स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के 26 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है।

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