Ratan Tata's Net Worth
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    Ratan Tata's Net Worth: दुनिया के सबसे बड़े बिज़नमेंस में से एक और टाटा संस के सीईओ रतन टाटा कभी भी अरबपतियों की लिस्ट में शामिल नहीं हुए। जबकि उनकी कंपनी हर फील्ड चाहे वह ऑटोमोबाइल हो, नमक हो, इस्पात हो या फिर एयर सेक्टर सेक्टर क्यों ना हो हर फिल्ड में काम कर रही है। 6 महाद्विपों के 100 से भी ज्यादा देशो में रतन टाटा 30 से भी ज्यादा कंपनियों को कंट्रोल कर रहे थे और फिर भी वह सादगी भरी जिंदगी जीते थे। मूल रूप से परोपकारी रतन टाटा अपने पर दादा और संस्थापक जमशेदजी से प्रभावित थे और उनका मानना था, कि बिजनेस को अपनी कंपनियों के हितों से आगे बढ़कर उन समुदायों के हित में भी काम करना चाहिए। जिनकी वह सेवा करते हैं।

    रतन टाटा की नेटवर्थ (Ratan Tata's Net Worth)-

    आईआईएफएल वेल्थ इंडिया रिच लिस्ट 2022 के मुताबिक, रतन टाटा 38,00 करोड़ की अनुमानित कुल संपत्ति के साथ लिस्ट में 421वें स्थान पर थे। टाटा ग्रुप के अध्यक्ष ने अपनी संपत्ति टाटा ट्रस्ट को दे दी है। जिनके पास टाटा संस में दो तिहाई हिस्सेदारी है। टाटा संस से मिलने वाले फायदे का लगभग 60% हिस्सा धार्मिक कार्यों में बांट दिया जाता है। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट ने झारखंड, असम, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 10 कैंसर देखभाल संस्थानों का विकास और विस्तार किया है।

    गरीबों की मदद-

    इन सुविधाओं से गरीब लोगों को विश्व स्तरीय उपचार मिल रहा है। रतन टाटा ने यह सामाजिक जरूरत को पूरा करने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज जैसे बड़े-बड़े संस्थानों की स्थापना की और पूरे भारत में शैक्षणिक पहलू को वित्त पोषित करने की दिशा में आगे बढ़े और टाटा ट्रस्ट को आगे बढ़ाया। टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रतन टाटा ने एक नया आयाम स्थापित किया। उन्होंने युवाओं की मदद के लिए नए युग की तकनीक को संचालित करना और स्टार्टअप में निवेश करना शुरू किया, जो देश के भविष्य को आकार देने के लिए जरूरी था।

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    30 से ज्यादा स्टार्टअप में निवेश-

    इसके चलते उन्होंने 30 से ज्यादा स्टार्टअप में निवेश किया। जिसमें ओला इलेक्ट्रिक, स्नैपडील, पेटीएम, लेंसकार्ट जैसी कंपनीयां शामिल है। दान के प्रति उनका प्रेम सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं था। वह कुत्तों से भी बहुत प्यार करने वाले थे। एक बार रतन टाटा ने आदेश दिया, कि मुंबई के डाउनटाउन में ग्रुप के मुंबई हाउस के बाहर आवारा कुत्तों को आश्रय दिया जाए। हालांकि अब उन मूक जानवरों के हितेशी उन्हें छोड़कर इस दुनिया से चले गए।

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