Delhi Pollution: दिल्ली की सांसों पर संकट गहराता जा रहा है। राजधानी की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है, कि बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। लेकिन इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने एक बड़ा आरोप लगाया है, जिसने सियासी बवंडर खड़ा कर दिया है। उनका कहना है, कि BJP की सरकार प्रदूषण के आंकड़ों में हेराफेरी कर रही है और जनता को गुमराह किया जा रहा है।
चाची 420 सरकार का फर्जीवाड़ा-
शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए भारद्वाज ने कहा, “चाची 420 सरकार का फ्रॉड जारी है। झूठे AQI के आंकड़े गढ़े जा रहे हैं। लेकिन दिल्ली की हकीकत सबके सामने है।” उन्होंने आरोप लगाया. कि सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की स्थापना की थी. ताकि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) अपने आप लागू हो सके, लेकिन यह सिस्टम “धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के तले दब गया है।”
भारद्वाज का आरोप है, कि अगर असली प्रदूषण स्तर 500 या 700 है, तो सरकार उसे 300 या 400 बताकर रिपोर्ट कर रही है। इससे जो जरूरी पाबंदियां लगनी चाहिए, वो नहीं लग पा रही हैं और दिल्ली वाले जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।
Supreme Court established an independent commission – CAQM (Commission for Air Quality Management), for the implementation of a graded response with the increasing pollution… The measures under GRAP used to be implemented and pollution reduced, but this year, the government… pic.twitter.com/lm9I7phToW
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) November 22, 2025
GRAP सिस्टम कैसे काम करना चाहिए-
GRAP के मूल उद्देश्य को समझाते हुए भारद्वाज ने बताया, “कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक कमीशन बनाया था और सरकार के अलावा एक इंडिपेंडेंट कमीशन यानी सेंटर फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की स्थापना की थी। इसे इसलिए बनाया गया था ताकि जैसे ही प्रदूषण बढ़े, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान अपने आप लागू हो जाए।”
उन्होंने आगे कहा, कि GRAP के तहत स्कूल बंद होने चाहिए ताकि स्कूल बसों से होने वाला प्रदूषण कम हो और बच्चों को कम एक्सपोजर मिले। कंस्ट्रक्शन का काम रोका जाना चाहिए, धूल पर कंट्रोल होना चाहिए और गाड़ियों पर पाबंदी लगनी चाहिए। “पिछले कई सालों से आपने देखा होगा, कि जैसे ही प्रदूषण बढ़ता था, GRAP लागू होता था और प्रदूषण घटने लगता था,” उन्होंने कहा।
जानबूझकर नहीं लागू हो रहे नियम-
लेकिन इस बार भारद्वाज का आरोप है, कि सिस्टम फेल हो गया क्योंकि सरकार ने जानबूझकर रीडिंग्स में हेराफेरी की। उन्होंने कहा, “इस बार सरकार ने पूरे प्रदूषण माप प्रणाली में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की है। अगर असली प्रदूषण स्तर 500 है, तो सरकार इसे 350 बता रही है। अगर 700 है, तो सरकार 400 बता रही है।”
भारद्वाज ने यह भी आरोप लगाया, कि जो GRAP नियम आधिकारिक तौर पर लागू हैं, उनका भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। “आज GRAP स्टेज 3 लागू है, लेकिन अगर आप मेरे घर के बाहर निकलेंगे, तो देखेंगे कि दिन-रात कंस्ट्रक्शन चल रहा है। उन्होंने कहा, चिराग दिल्ली में मेरे घर के बगल में लगातार कंस्ट्रक्शन हो रहा है। अगर आप विनोद नगर जाएं तो सरकारी सड़क निर्माण का काम नॉन-स्टॉप चल रहा है।”
भ्रष्टाचार की खुली छूट-
भारद्वाज ने दावा किया कि सरकार ने “न तो प्राइवेट कंस्ट्रक्शन रोका है और न ही अपना खुद का कंस्ट्रक्शन” और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। “जब भ्रष्टाचार को खुली छूट दी जाती है और कोई एनफोर्समेंट नहीं होता, तो प्रदूषण बढ़ता ही रहेगा,” उन्होंने कहा।
AAP नेता ने कहा, कि दिल्ली इस साल अभूतपूर्व प्रदूषण के दृश्य देख रही है, जो मैनिपुलेटेड डेटा, जानबूझकर नॉन-एनफोर्समेंट और रैंपेंट करप्शन की वजह से है। X (पूर्व में ट्विटर) पर अखबार की कतरनें पोस्ट करते हुए भारद्वाज ने लिखा, “‘चाची 420’ सरकार का फ्रॉड जारी है, क्योंकि झूठे AQI आंकड़े गढ़े जा रहे हैं, हालांकि दिल्ली की जहरीली हवा की हकीकत सबको दिख रही है।”
CAQM ने किया GRAP में संशोधन-
इस बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) NCR और आसपास के क्षेत्रों ने पूरे NCR के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) में संशोधन किया है। एक प्रेस रिलीज के अनुसार, GRAP स्टेज IV के तहत ‘सीवियर’ AQI कैटेगरी के लिए, जो उपाय थे, वो अब GRAP स्टेज III के तहत लागू होंगे।
CAQM की प्रेस रिलीज के मुताबिक, अब GRAP III के तहत ही स्टेज IV के उपाय लागू होंगे। NCR राज्य सरकारें/GNCTD यह तय करेंगी कि क्या सार्वजनिक, नगरपालिका और प्राइवेट ऑफिस 50 प्रतिशत स्ट्रेंथ के साथ काम कर सकते हैं, बाकी लोग घर से काम करेंगे। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दे सकती है।
जनता की सेहत पर खतरा-
दिल्ली में प्रदूषण अब सिर्फ एक पर्यावरण समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी बन चुकी है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं हो रही हैं। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
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अगर AAP के आरोप सही हैं, तो यह बेहद गंभीर मामला है। AQI डेटा में हेराफेरी का मतलब है, कि सही समय पर सही एक्शन नहीं लिया जा रहा और लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है। दिल्ली की जनता को साफ हवा में सांस लेने का हक है और सरकार की जिम्मेदारी है, कि वह ट्रांसपेरेंसी के साथ काम करे।
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