School Violence: आंध्र प्रदेश के दो अलग-अलग स्कूलों में हुई घटनाएं एक बार फिर हमारी शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त समस्याओं को उजागर करती हैं। जहां स्कूल को बच्चों का दूसरा घर माना जाता है, वहां टीचर्स का व्यवहार बच्चों के साथ इतना क्रूर हो सकता है, यह सोचकर ही दिल दहल जाता है।
पुंगनूर में छठी कक्षा की छात्रा के साथ क्रूरता-
इंडिया टूडे के मुताबिक, चित्तूर जिले के पुंगनूर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। छठी कक्षा की मासूम छात्रा सत्विका नागश्री के साथ जो कुछ हुआ है, वह किसी भी माता-पिता के लिए सबसे बुरे सपने जैसा है। हिंदी टीचर सलीमा बाशा ने गुस्से में आकर बच्ची के सिर पर स्कूल बैग मारा, जिसमें स्टील का लंच बॉक्स था।
यह घटना तब हुई जब बच्ची ने क्लास में कुछ शरारत की थी। लेकिन क्या किसी भी मामूली सी शरारत की सजा इतनी भयानक हो सकती है? इसके कारण बच्ची के सिर की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया।
मां को नहीं पता चली गंभीरता-
सबसे दुखद बात यह है, कि बच्ची की मां, जो खुद उसी स्कूल में साइंस टीचर हैं, उन्हें शुरू में चोट की गंभीरता का एहसास नहीं हुआ। यह घटना उस विश्वास को तोड़ देती है, जो माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों पर करते हैं।
जब बच्ची को तेज़ सिरदर्द और चक्कर आने की शिकायत हुई, तब परिवार ने इसे गंभीरता से लिया। कई अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद उसे बेंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यहां सीटी स्कैन से पुष्टि हुई. कि उसकी खोपड़ी में फ्रैक्चर है।
पुलिस में शिकायत दर्ज-
परिवार ने टीचर और प्रिंसिपल दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। पुंगनूर पुलिस ने केस रजिस्टर करके जांच शुरू की है। लेकिन सवाल यह है, कि क्या सिर्फ केस दर्ज करना काफी है? इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए और भी सख्त कदम उठाने होंगे।
विशाखापत्तनम में भी समान मामला-
यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है। विशाखापत्तनम के मधुरावाड़ा क्षेत्र के श्री तनुष स्कूल में भी एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना हुई है। यहां आठवीं कक्षा के एक छात्र के साथ भी शिक्षक ने बेहद क्रूरता दिखाई।
सामाजिक विज्ञान के शिक्षक मोहन ने लोहे की टेबल से बच्चे के हाथ पर इतनी जोर से मारा कि उसकी बांह तीन जगह से टूट गई। डॉक्टरों ने पुष्टि की है, कि बच्चे की बांह में कई फ्रैक्चर हैं। यह सुनकर ही रूह कांप जाती है, कि एक टीचर अपने छात्र के साथ इतनी बेरहमी कैसे कर सकता है।
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शिक्षा व्यवस्था पर सवाल-
ये दोनों घटनाएं हमारी शिक्षा व्यवस्था में मौजूद गहरी समस्याओं को उजागर करती हैं। शिक्षकों को बच्चों के मानसिक और शारीरिक कल्याण की जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन जब वे ही बच्चों पर अत्याचार करने लगें तो यह चिंता का विषय है। दंड का अधिकार शिक्षकों को नहीं दिया गया है, कि वे बच्चों को शारीरिक नुकसान पहुंचाएं। बच्चों की गलतियों को सुधारना है, उन्हें तोड़ना नहीं। इस तरह की घटनाएं न सिर्फ बच्चों के शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि उनके मन पर भी गहरे निशान छोड़ जाती हैं।
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