Rahul Gandhi
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    Rahul Gandhi: पंजाब में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी का दौरा अचानक सुर्खियों में आ गया। मामला अमृतसर के पास SGPC-प्रशासित गुरुद्वारा समाध बाबा बुढ़ा साहिब, रामदास का है, जहां राहुल गांधी को एक ग्रंथी ने गुरुद्वारे के पवित्र स्थान पर जाकर सिरोपा भेंट किया। सिरोपा आमतौर पर सम्मान और आदर के प्रतीक के रूप में दिया जाता है। लेकिन इस बार इसके मिलने से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

    SGPC ने दिए जांच के आदेश-

    सिरोपा दिए जाने के बाद SGPC को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने तुरंत एक जांच कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं और कहा है, कि रिपोर्ट मंगलवार शाम तक आ जाएगी। SGPC का नियम है, कि सिरोपा गुरु ग्रंथ साहिब के सामने केवल धार्मिक शख्सियतों को ही दिया जाता है। यही वजह है, कि राहुल गांधी को इस तरह सिरोपा मिलने पर सवाल उठने लगे हैं।

    सिरोपा की परंपरा और विवाद की जड़-

    धार्मिक हलकों में सिरोपा (या सिरोपाओ) को एक पवित्र सम्मान माना जाता है। हालांकि, यह भी सच है, कि अतीत में कई मौकों पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेशी मेहमानों को स्वर्ण मंदिर में अलग कार्यक्रम आयोजित करके सिरोपा दिया गया है। इस परंपरा के बावजूद SGPC की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने हाल के वर्षों में यह साफ किया है, कि गुरु ग्रंथ साहिब के सामने यह सम्मान सिर्फ धार्मिक नेताओं तक सीमित रहेगा।

    SGPC सदस्यों का आरोप-

    SGPC के कुछ सदस्यों ने राहुल गांधी को सिरोपा दिए जाने की कड़ी आलोचना की है। सदस्य सुरिंदर सिंह भुलेवाल, मंजीत सिंह और मलकित सिंह चंगल ने बयान जारी कर SGPC को कठघरे में खड़ा कर दिया। उनका कहना है, कि “परदे के पीछे गांधी परिवार को माफी दिलाने की कोशिश की जा रही है, जबकि यह परिवार 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार, अकाल तख्त विध्वंस और दिल्ली सिख नरसंहार के लिए जिम्मेदार रहा है।” उनके इस बयान ने विवाद को और हवा दे दी है। राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही स्तरों पर इस मामले ने बहस छेड़ दी है।

    राजनीति में नया मोड़-

    राहुल गांधी इस समय पंजाब दौरे के ज़रिए आम जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन गुरुद्वारे का यह विवाद कांग्रेस के लिए चुनौती साबित हो सकता है। विरोधी दल इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। दूसरी ओर, राहुल गांधी के समर्थकों का कहना है, कि वह बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की मदद और हालात का जायजा लेने गए थे और गुरुद्वारे में उन्हें जो सम्मान दिया गया, वह उनकी मर्जी से नहीं, बल्कि धार्मिक परंपरा का हिस्सा था।

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    राहुल गांधी को गुरुद्वारे में सिरोपा दिए जाने से शुरू हुआ यह विवाद अब पंजाब की राजनीति और धार्मिक हलकों दोनों में चर्चा का विषय बन गया है। SGPC की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ होगा, कि यह वाकई परंपरा का उल्लंघन था या सिर्फ राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। फिलहाल, यह घटना राहुल गांधी के दौरे की असली तस्वीर से ज्यादा उनके चारों ओर खड़े विवाद को दिखा रही है।

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