BJP challenge Rahul Gandhi
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    BJP challenge Rahul Gandhi: राहुल गांधी को सासद के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने इस्तीफा देने की चुनौती दी है और उन्हें सिर्फ बैलेट पेपर पर चुनाव लड़ने की चुनौती दी। क्योंकि कांग्रेस के हाल ही में खत्म हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार का सामना करने के बाद चुनावी प्रक्रिया विशेष रूप से EVM के इस्तेमाल पर संदेह जताया। भाजपा ने EVM की विश्वसनीयता और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, कि उनके मुख्यमंत्री और राहुल गांधी जैसे अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों को सबसे पहले इस्तीफा देना चाहिए और घोषणा करनी चाहिए, कि वह मत पत्र वापस आने के बाद ही चुनाव लड़ेंगे।

    इस्तीफा देने की चुनौती (BJP challenge Rahul Gandhi)-

    बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने संवाददाताओं से कहा, कि इस तरह का रुख उनके द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों पर उनके भरोसे को रेखांकित करेगा। उन्होंने कहा, कि नहीं तो उनके आरोप खोखले शब्दों के अलावा कुछ नहीं होंगे। उन्होंने कहा, कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया, कि उच्चतम न्यायालय ने कई बार चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और चुनावी वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता की पुष्टि की है। भाटिया ने कहा, कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को इस्तीफा दे देना चाहिए।

    EVM पर सवाल-

    क्योंकि वह इस चुनावी प्रक्रिया से चुने गए हैं, जिस EVM पर विपक्षी पार्टी सवाल उठा रही है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है, कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उस दिन EVM पर सवाल उठाए, जिस दिन प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा सांसद के रूप में शपथ ली। उन्होंने कहा, कि कांग्रेस जल्द ही इतिहास के पन्नों तक सीमित हो जाएगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवन ने आरोप लगाया, कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानी EVM के वोटो में विसंगतियां हैं।

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    शरद पवार ने कहा-

    लेकिन उनके पास इस बारे में कोई सबूत नहीं है, शरद पवार ने पुणे में संवाददाताओं से कहा, कि ऐसा पहली बार हुआ है। देश में हुए चुनाव ने लोगों को बहुत बेचैन कर दिया है। लोगों में निराशा है और हर दिन सुबह 11:00 बजे विपक्ष के नेता संसद में सवाल उठाते हैं। वह अपनी बात रखते हैं, लेकिन संसद में उनकी मांगे नहीं मानी जा रही है और इसका साफ मतलब है, कि संसदीय लोकतंत्र का सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो यह ठीक नहीं है और उसके लिए हमें लोगों के बीच जाकर उन्हें जागरूक करना होगा।

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