Sankashti Chaturthi March 2024
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    Sankashti Chaturthi March 2024: सकष्टी चतुर्थी जिसे अक्सर गणेश संकट हारा या संकट हारा चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को उपवास और पूजा के लिए शुभ दिनों में से एक माना गया है। यह प्रत्येक हिंदू चंद्रमा के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन आता हैय़ हिंदू चंद्र कैलेंडर में दो चतुर्थी तिथियां शामिल हैं। एक अमावस्या के दिन के बाद और एक कृष्ण पक्ष में किसी समय पूर्णिमा के बाद। प्रत्येक संकष्टी चतुर्थ व्रत से एक विशेष अर्थ और महत्व जुड़ा होता है। चैत्र मास में भद्राकाल संकष्टी चतुर्थी 28 मार्च 2024 को मनाई जाएगी।

    तारिख और समय-

    संकष्टी चतुर्थी 28 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 मार्च 2024 की शाम 6:56 बजे से शुरु होकर 8:37 बजे 29 मार्च 2024 तक रहेगी।

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    संकष्टी चतुर्थी का महत्व-

    वैदिक लेखन में दिव्य महत्व को संरक्षित करने वाले स्वर्गीय देवताओं में से एक भगवान गणेश भी हैं। गणेश पुराण में उनके स्वरूप, बुद्धि, दिव्यता, शक्ति समेत उनकी विशेषताओं का बखान किया गया है। संकष्टी वाक्यांश का मतलब कठिनाइयों से मुक्त होना है और ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश सभी बधाओं और समस्याओं को दूर कर सकते हैं। संकष्टी चतुर्थी चंद्र कैलेंडर के चौथे दिन को संदर्भित करती है, जो व्यक्तियों को दुर्भाग्य से उभरने में मदद करती है।

    भक्त सूर्य उदय से चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं। भगवान से प्रार्थना करने के बाद भोजन के साथ इसे तोड़ते हैं। उस दिन लोग भगवान गणेश की संकष्टी विनायक के रूप में पूजा करते हैं। जिन्हें भगवान के अवतार और हर बाधा को दूर करने में सहायक के रूप में माना जाता है।

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    पूजा का अनुष्ठान-

    इस व्रत को रखने के लिए भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और व्रत का संकल्प लेना होगा, इसके बाद भगवान गणेश जी की पूजा करें और मोदक, फल, पान, पत्र, दुर्वा घास, रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएं। पूजा करने वालों को भगवान गणेश की आरती जरूर करनी चाहिए। शाम के समय संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करने का भी विधान है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा के अर्घ और भगवान गणपति की शाम की पूजा करके समाप्त करना चाहिए।

    ध्यान देने वाली बात यह है कि आप जब भी कोई व्रत रखते हैं तो उसे पुरे विधि विधान के साथ करना चाहिए। इसके साथ ही वैसे तो पर्व का दिन पुरा ही शुभ माना जाता है। लेकिन पूजा के लिए शुभ मुहुर्त भी होता है तो आप चाहें तो शुभ समय का चयन पूजा के लिए कर सकते हैं।

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