Devraha Baba
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    Devraha Baba: 22 जनवरी को राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण कार्ड में उन लोगों को शामिल किया गया है, जो राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन से जुड़े हुए थे। एक पेज पर देवराहा बाबा के बारे में भी बताया गया है। उन्होंने ऐलान किया था कि श्री राम जन्मभूमि आंदोलन उनकी सहमति से चल रहा है‌। भगवान राम के भक्त देवराहा बाबा को न सिर्फ भारत में बल्कि अन्य देशों में भी लोग एक संत के रूप में पूजते हैं।

    पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेई जैसे राजनीतिक नेता उनसे मिलने मिलने जाते थे और उनका आशीर्वाद लेते थे। ऐसा कहा जाता है कि देवरा बाबा ने नेताओं के जीवन और करियर के बारे में का भविष्यवाणी भी की थी। देवारा बाबा अपने पैरों से लोगों को आशीर्वाद देते थे और जब उनके इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पैरों में तीर्थ होता है।

    33 साल पहले ही की राम मंदिर के निर्माण की भविष्यवाणी-

    देवारा बाबा 1989 में प्रयाग महाकुंभ के अवसर पर विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित संत सम्मेलन और धर्म संसद में आए थे। जहां पर उन्होंने घोषणा की थी कि विश्व हिंदू परिषद मेरी आत्मा है। ऐसा कहा जाता है कि उनके पास दैविए और आध्यात्मिक शक्तियां थीं। जिसकी वजह से उन्हें सालों तक अपार लोकप्रियता मिली। यहां तक की विदेशी पत्रकार भी उनका इंटरव्यू और उनका आशीर्वाद लेने आते थे। उनकी उम्र को लेकर भी बहुत सी कहानी कही जाती है कुछ लोगों का कहना है कि देवारा बाबा तक 900 साल तक जीवित रहे।

    जबकि कुछ का कहना है कि उनकी मृत्यु ढाई सौ साल के बाद हुई, कुछ कामना है कि वह 500 साल जीवित रहे। देवारा बाबा उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और कहा जाता है कि उन्होंने 33 साल पहले ही राम मंदिर के निर्माण की भविष्यवाणी की थी। प्राण प्रतिष्ठा निमंत्रण कार्ड में उन्हें रामानुज परंपरा का वाहक कहा गया है।

    बाबरी मस्जिद के विवाद का समाधान-

    लोकप्रियता और अनुयायियों की लंबी सूची के बाद भी बाबा देवरिया सरयू नदी के तट पर बने मचान पर रहते थे। जब भी कोई उनसे आशीर्वाद लेते आता था तो वह बस अपने पैर आगे कर देते थे। जिससे कि भक्त उनके पैर को सिर से छू लें। जब उनसे राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद के समाधान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसी सभी हमारी प्यारी आत्माएं हैं। उनका कहना था कि ऐसा समाधान निकाला जाएगा जो कि दोनों गुटों यानी कि मुस्लिम और हिंदू दोनों के लिए संतोषजनक होगा।

    परंपरागत नगर शैली से बना राम मंदिर-

    इस मंदिर को परंपरागत नगर शैली में बनाया जा रहा है, जिसकी चौड़ाई 250 फीट, लंबाई 380 फीट और ऊंचाई 161 फीट रखी गई है। यह मंदिर 3 मंजिला होने वाला है और प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फिट रखी गई है। इस मंदिर में कुल 392 खंबे वार्ड, 44 दरवाजे बनाए जाएंगे। मुख्य गर्भ ग्रह में प्रभु श्री राम का बाल रूप तथा प्रथम तल पर श्री राम दरबार होगा। मंदिर में पांच मंडप होंगे, जिनमें रंग मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप और रंग मंडप शामिल हैं। इसमें खंभे की दीवारों में देवी देवताओं तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंह द्वारा से होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धो के लिए मंदिर में रैंप और लिफ्ट के इंतजाम किए गए हैं।

    चारों ओर आयताकार परकोटा-

    Ayodhya Ram Mandir के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा, चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फिट होने वाली है। परकोटा के चारों कोने पर सूर्य देव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित कर मंदिरों का निर्माण किया जाएगा। उत्तरी भुज में मां अन्नपूर्णा, वहीं दक्षिण भुज में हनुमान जी के मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप भी विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि अगस्त्य, ऋषिपत्नी देवी अहिल्या और माता शबरी को समर्पित होंगे।

    भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार-

    वहीं Ayodhya Ram Mandir के दक्षिण पश्चिम भाग में नवरत्न कुबेर पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और वहां जटायु प्रतिमा भी स्थापित की गई है। मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया। धरती के ऊपर बिल्कुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कंपैक्ट कंक्रीट बिछाई गई है। इसे एक कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए इसकी ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सिविल ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पावर स्टेशन का निर्माण किया गया है।

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    मंदिर में प्रवेश-

    राम लाल की प्राण प्रतिस्ठा वाले दिन मंदिर में प्रवेश करने के लिए मोबाइल कोई भी गैजेट, पर्स, एयरफोन, रिमोट वाली चाबी ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बड़े संतजनों के छात्र, निजी पूजा के लिए ठाकुर की झोली, गुरु पादुकाएं भी कार्यक्रम स्थल पर ले जाना माना है। उसके अलावा रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा में आने वाले अतिथियों को 22 जनवरी को कार्यक्रम स्थल पर सुबह 11:00 बजे से पहले प्रवेश करना होगा। सुरक्षा के लिए अगर कोई साधु महापुरुष या कोई सुरक्षाकर्मी होंगे तो वह सभी कार्य स्थल से बाहर रहेंगे। जिससे बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहेगी। 25000 क्षमता वाले एक दर्शनात्री सुविधा केंद्र का निर्माण भी किया जा रहा है।

    नियम-

    जानकारी के मुताबिक, निमंत्रण पर जिसके भी नाम का है सिर्फ उसे ही मंदिर में अनुमति दी जाएगी। उसके अलावा सेवक या शिष्य कार्यक्रम स्थल पर नहीं जा सकेंगे। फिर राम मंदिर में मुख्य यजमान पीएम नरेंद्र मोदी के मंदिर परिसर से चले जाने के बाद ही संत जनों को रामलला के दर्शन करने को मिलेंगे। राम मंदिर उद्घाटन में भारतीय परंपरा के मुताबिक कपड़े पहनकर जाने की अनुमति है। जैसे पुरुषों के लिए धोती, गमछा, कुर्ता पजामा और महिलाएं सलवार सूट या फिर साड़ी में जा सकती है। हालांकि इसे लेकर राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से कोई ड्रेस कोड लागू नहीं हुआ है। सिर्फ निमंत्रण पत्र और जिनके पास ड्यूटी के पास होंगे, वही अयोध्या में प्रवेश कर सकेंगे।

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