Oman Jaguar Aircraft India: भारत और ओमान के बीच दोस्ती का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। ओमान ने भारत को 20 से ज्यादा जैगुआर लड़ाकू विमान तोहफे में देने का ऐलान किया है। ये विमान भारतीय वायुसेना को सौंपे जाएंगे, जो कई सालों से इन जेट्स का इस्तेमाल कर रही है। ओमान की वायुसेना ने इन जैगुआर्स को लंबे समय तक चलाया था, लेकिन अब ये काम करने की स्थिति में नहीं हैं। ओमान ने फैसला किया है, कि इन्हें भारत को दे दिया जाए, ताकि इनका फिर से इस्तेमाल हो सके। भारतीय वायुसेना के लिए यह बेहद खुशी की बात है, क्योंकि ये विमान उनके लिए बहुत काम के साबित होंगे।
भारत इन जैगुआर विमानों का कैसे करेगा इस्तेमाल-
ओमान से आने वाले ये जैगुआर मुख्य रूप से भारतीय वायुसेना में पहले से मौजूद जैगुआर लड़ाकू विमानों के पुर्जों की कमी को दूर करने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे। भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक है जो अभी भी इन एंग्लो-फ्रेंच निर्मित जैगुआर विमानों का उपयोग करता है। चूंकि जैगुआर्स का निर्माण कई दशक पहले बंद हो चुका है, इसलिए भारत के लिए अपने जैगुआर बेड़े को बनाए रखने के लिए जरूरी पुर्जे हासिल करना मुश्किल हो गया है। ओमान से मिलने वाले ये विमान इस कमी को पूरा करेंगे और भारत के जैगुआर्स को उड़ान भरते रहने में मदद करेंगे।
पुर्जों की भारी कमी से जूझ रहा भारत-
भारत और ओमान के बीच लंबा और दोस्ताना रिश्ता रहा है, और दोनों देशों के रक्षा संबंध भी काफी मजबूत हैं। जब ओमान ये जैगुआर लड़ाकू विमान भारत को सौंपेगा, तो इनका मुख्य इस्तेमाल स्पेयर पार्ट्स यानी पुर्जों के लिए होगा। भारत को इन पुर्जों की सख्त जरूरत है क्योंकि वह जैगुआर विमानों का एक बड़ा बेड़ा चलाता है। ये जेट्स कभी ब्रिटिश और फ्रांसीसी वायुसेना द्वारा भी इस्तेमाल किए जाते थे, लेकिन अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनका निर्माण भी बंद हो गया है। इस वजह से पुर्जे मिलना भारत के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
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भारत को कब मिला था पहला जैगुआर-
भारत को अपना पहला जैगुआर लड़ाकू विमान 1979 में मिला था। इसका मतलब है, कि यह विमान अब काफी पुराना हो चुका है और आज की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे गंभीर रखरखाव की आवश्यकता है। जैगुआर एक गहरी घुसपैठ करने वाला हमलावर विमान है और कई संघर्षों में इसने शानदार प्रदर्शन दिया है।
इसका इस्तेमाल 1999 के कारगिल युद्ध में और बाद में पाकिस्तान के खिलाफ अभियानों में किया गया था। भारत ने अपने जैगुआर्स को कई बार अपग्रेड और ओवरहाल किया है, लेकिन फिर भी इन्हें चालू हालत में और मिशन के लिए तैयार रखने के लिए बड़ी संख्या में पुर्जों की जरूरत होती है। ओमान का यह तोहफा इस समस्या का बेहतरीन समाधान है।
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