Auto Rickshaw Ban
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    Auto Rickshaw Ban: उत्तर प्रदेश सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए, शनिवार को नोएडा और गाजियाबाद में डीजल ऑटोरिक्शा पर तुरंत प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उत्तर प्रदेश क्लस्टर में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। सरकारी अधिकारियों ने बताया, कि यह कदम NCR क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे, प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है। इस फैसले का असर लाखों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जो डीजल ऑटो चलाकर अपना घर चलाते हैं या फिर रोज इन्हीं ऑटो में सफर करते हैं।

    गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद में तुरंत बैन-

    सरकार ने साफ कर दिया है, कि गौतम बुद्ध नगर यानी नोएडा और गाजियाबाद जिलों में डीजल ऑटोरिक्शा को तत्काल प्रभाव से पूरी तरह से बैन कर दिया गया है। इसका मतलब है, कि अब इन शहरों की सड़कों पर डीजल से चलने वाले ऑटो नहीं चल सकेंगे। यह फैसला सुनकर हजारों ऑटो चालक चिंता में आ गए हैं, क्योंकि उनकी रोजी-रोटी इसी पर निर्भर है। वहीं आम लोगों को भी थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, जब तक कि वैकल्पिक व्यवस्था पूरी तरह से लागू नहीं हो जाती। मीरठ रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने पहले ही प्रतिबंधित वाहनों के लिए परमिट जारी करना और उन्हें रिन्यू करना बंद कर दिया है। इससे साफ हो गया है, कि सरकार इस फैसले को लेकर पूरी तरह से गंभीर है और इसे सख्ती से लागू करना चाहती है।

    अन्य जिलों में चरणबद्ध तरीके से होगा बैन-

    सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है, कि यह प्रतिबंध सिर्फ नोएडा और गाजियाबाद तक ही सीमित नहीं रहेगा। बागपत जिले में 31 दिसंबर 2025 के बाद पूर्ण प्रतिबंध लागू हो जाएगा। इसके अलावा मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और शामली में भी अगले साल 31 दिसंबर तक डीजल ऑटोरिक्शा को चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया जाएगा। इस तरह से पूरे NCR क्षेत्र में धीरे-धीरे डीजल ऑटो का सफाया हो जाएगा। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि डीजल से चलने वाले वाहन वायु प्रदूषण में बड़ा योगदान देते हैं। खासतौर पर सर्दियों के मौसम में जब स्मॉग की समस्या बढ़ जाती है, तब ये वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बन जाते हैं।

    सड़कों की धूल है प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण-

    सरकारी रिलीज के मुताबिक, इस क्षेत्र में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़कों की धूल को माना गया है। जब गाड़ियां सड़क पर चलती हैं तो धूल के कण हवा में उड़ते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एक्शन प्लान में सड़कों के पुनर्विकास, धूल को रोकने के लिए गहन प्रयासों और बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाने पर फोकस किया गया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा की अथॉरिटीज ने पहले ही एंटी-स्मॉग गन्स, स्प्रिंकलर्स और मैकेनिकल स्वीपिंग सिस्टम्स को तैनात करना शुरू कर दिया है। ये उपकरण सड़कों के किनारे जमी धूल को कम करने में मदद करेंगे और हवा की क्वालिटी में सुधार लाएंगे। लोग अक्सर देखते हैं, कि निर्माण कार्य वाली जगहों पर या टूटी-फूटी सड़कों पर बहुत ज्यादा धूल उड़ती है जो सांस लेने में दिक्कत पैदा करती है।

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    नोडल अधिकारी की नियुक्ति-

    इस योजना को सही तरीके से लागू करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी विभाग मिलकर काम करें और योजना को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जाए। इसके अलावा राज्य स्तर पर पर्यावरण विभाग के सचिव के तहत एक प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट भी स्थापित की गई है। इस यूनिट में शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग, आवास और शहरी नियोजन तथा औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया, कि यह एक मल्टी-डिपार्टमेंटल अप्रोच है जहां सभी संबंधित विभाग मिलकर प्रदूषण से निपटने के लिए काम करेंगे। इससे योजना की मॉनिटरिंग भी बेहतर तरीके से हो सकेगी और किसी भी तरह की समस्या आने पर तुरंत समाधान किया जा सकेगा।

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