Gurugram Shooting Case
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    Gurugram Shooting Case: गुरुग्राम की चमचमाती इमारतों और लग्जरी सोसाइटियों के बीच एक ऐसी घटना हुई है, जो हर माता-पिता की रूह कंपा देने वाली है। सेक्टर 48 की सेंट्रल पार्क रिजॉर्ट्स में शनिवार की रात एक 17 साल के छात्र को उसके ही दो क्लासमेट्स ने गोली मार दी। जी हां, वही बच्चे जो कल तक साथ स्कूल जाते थे, आज एक के हाथ में पिस्तौल थी और दूसरा अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है।

    कैसे हुई ये दिल दहला देने वाली घटना?

    पुलिस के मुताबिक, शनिवार की शाम को मुख्य आरोपी ने पीड़ित लड़के को फोन कर अपने पिता के किराए के अपार्टमेंट में बुलाया। शुरुआत में 17 साल के लड़के ने मना कर दिया, लेकिन बार-बार के आग्रह पर वो मान गया। आरोपी खुद उसे लेने घर भी आया। जब वो अपार्टमेंट पहुंचा, तो वहां आरोपी का एक और दोस्त मौजूद था। यह एक साजिश थी, एक प्लानिंग जो पहले की किसी लड़ाई का बदला लेने के लिए रची गई थी।

    अपार्टमेंट पहुंचते ही माहौल बदल गया। पुरानी कहासुनी फिर से छिड़ गई और तभी आरोपी ने अपने पिता की लाइसेंसी पिस्तौल निकाली और अपने सहपाठी पर गोली चला दी। वो लड़का जो कुछ देर पहले तक अपने दोस्त पर भरोसा करके आया था, अब खून में लथपथ फर्श पर पड़ा था।

    पुलिस की कार्रवाई और मिले सबूत-

    सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक घायल लड़के को मेदांता अस्पताल ले जाया जा चुका था। पुलिस ने घटनास्थल से जो बरामद किया वो और भी चौंकाने वाला था – एक पिस्तौल, एक मैगजीन, पांच जिंदा कारतूस, एक खाली खोल और एक डिब्बे में रखी हुई एक और मैगजीन जिसमें 65 जिंदा कारतूस थे। इतने हथियार और गोलियां किसी किशोर के हाथों में? यह सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है।

    फॉरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया और सारे सबूत इकट्ठे किए गए। दोनों आरोपी किशोरों को हिरासत में ले लिया गया है। सदर थाना में केस दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है।

    एक मां की दर्दभरी गुहार-

    पीड़ित की मां ने सदर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया, कि कैसे उनके बेटे को फोन पर बुलाया गया और कैसे वो मना करने के बाद भी जिद के कारण चला गया। कौन सोचता है, कि अपने दोस्तों से मिलने जाना इतना महंगा पड़ सकता है?

    लाइसेंसी हथियार-

    यह घटना एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। लाइसेंसी हथियार घर में हों तो उन्हें कैसे रखा जाए? गुरुग्राम पुलिस ने इस घटना के बाद सभी हथियार मालिकों से अपील की है, कि वे अपनी लाइसेंसी बंदूकों और पिस्तौलों को बच्चों की पहुंच से दूर और सुरक्षित तरीके से रखें।

    लेकिन क्या यह सिर्फ हथियारों को लॉक करने की बात है? या फिर हमें अपने बच्चों की परवरिश, उनकी मानसिकता और उनके गुस्से को कंट्रोल करना सिखाने की भी जरूरत है? आज के दौर में जब किशोर इतनी आसानी से हिंसा की तरफ मुड़ सकते हैं, तो माता-पिता की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

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    स्कूल का माहौल और बच्चों की सुरक्षा-

    तीनों लड़के एक ही स्कूल में पढ़ते हैं, जो हाउसिंग सोसाइटी के पास ही है। यह एक पॉश इलाका है, जहां संपन्न परिवारों के बच्चे रहते हैं। लेकिन आज की घटना ने साबित कर दिया, कि पैसा और सुविधाएं बच्चों को सही राह नहीं दिखा सकतीं अगर घर में प्यार, समझ और सही मार्गदर्शन की कमी हो।

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