Bengaluru Garbage Drive: अगर आप सोच रहे हैं, कि सड़क पर कचरा फेंकना कोई बड़ी बात नहीं है, तो बेंगलुरु की यह खबर आपकी सोच बदल देगी। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में अब सड़क पर कचरा फेंकने वालों को एक अनोखे तरीके से सबक सिखाया जा रहा है। बेंगलुरु सिविक एजेंसी और पुलिस ने मिलकर एक खास अभियान शुरू किया है, जिसमें जो लोग डस्टबिन को छोड़कर सड़क पर कचरा फेंकते हैं, उनका वही कचरा उठाकर उनके घर के मेन गेट पर वापस पहुंचा दिया जाता है। यह अभियान काफी सख्त है और इसका मकसद लोगों में सिविक सेंस जगाना है। CCTV कैमरों और अन्य निगरानी तंत्र के जरिए पकड़े जा रहे लोगों को यह संदेश दिया जा रहा है, कि अगर डस्टबिन में कचरा नहीं डाला तो यही होगा हाल।
कैसे काम कर रहा है यह अभियान-
इस पूरे अभियान की कार्यप्रणाली बेहद सटीक और प्रभावी है। सबसे पहले बेंगलुरु की सड़कों पर लगे CCTV कैमरों के जरिए यह पता लगाया जा रहा है, कि कौन से लोग सड़क पर कचरा फेंक रहे हैं। इसके अलावा पुलिस और सिविक एजेंसी की टीम अलग-अलग इलाकों में निगरानी रख रही है। जैसे ही कोई व्यक्ति सड़क पर कचरा फेंकता है, उसे वीडियो में रिकॉर्ड किया जाता है और उस व्यक्ति की पहचान की जाती है।
फिर उस वीडियो के आधार पर यह नोट किया जाता है, कि कौन सा व्यक्ति है और वह कहां रहता है। इसके बाद वही कचरा उठाकर पुलिस और सिविक एजेंसी की टीम सीधे उस व्यक्ति के घर के मेन गेट पर पहुंच जाती है और वहां पांच से छह किलो कचरा वापस फेंक दिया जाता है। यह एक सीधा और कड़ा संदेश है, कि अगर आप सार्वजनिक जगहों को गंदा करेंगे तो वही गंदगी आपके घर के सामने लौट आएगी।
GBA staff in Bengaluru track litterbugs & dump the same trash outside their homes to raise awareness!
Meanwhile, can we dig potholes in front of PWD ministers & in-charge ministers houses who fail to fix roads? 😏#CleanBengaluru #FixPotholes pic.twitter.com/HduzgFTFfI
— ಸನಾತನ (@sanatan_kannada) October 31, 2025
सिविक सेंस की कमी है असली समस्या-
यह अभियान एक बड़े सवाल को उजागर करता है और वह है, भारत में सिविक सेंस की कमी। सरकार विकास के लिए कितने भी प्रयास कर ले, लेकिन अगर आम जनता में नागरिक जिम्मेदारी की भावना नहीं है, तो सब कुछ बेकार है। गांवों में सरकार बार-बार लाइट बल्ब लगाती है, लेकिन लोग उन्हें उखाड़कर ले जाते हैं। शहरों में डस्टबिन लगाए जाते हैं, लेकिन लोग सड़क पर ही कचरा फेंकना पसंद करते हैं। पार्कों में बेंच लगाई जाती हैं, लेकिन लोग उन्हें तोड़ देते हैं। यह सब देखकर लगता है, कि हमें एक अलग मिनिस्ट्री की जरूरत है, जिसे मिनिस्ट्री ऑफ सिविक सेंस कहा जा सके। जब तक लोगों में यह समझ नहीं आएगी, कि सार्वजनिक संपत्ति और सार्वजनिक स्थान उनके अपने हैं और उन्हें साफ-सुथरा रखना उनकी जिम्मेदारी है, तब तक कोई भी सरकारी योजना सफल नहीं हो सकती।
#Karnataka: Around 200 Bengaluru households found garbage dumped outside their homes on Thursday part of a unique awareness drive by the Bengaluru Solid Waste Management Limited (BSWML).
Called “Kasa Surisuva Habba” or “garbage-dumping festival,” the campaign aims to shame and… pic.twitter.com/zuWVW6fxkv
— The Pioneer (@TheDailyPioneer) October 30, 2025
लोगों की प्रतिक्रिया-
बेंगलुरु के इस अभियान पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोगों ने इसे एक सख्त लेकिन जरूरी कदम बताया है और इसकी तारीफ की है। उनका मानना है, कि अगर लोग समझदारी से नहीं मानेंगे, तो ऐसे ही सख्त कदमों की जरूरत है। वहीं कुछ लोगों ने इसे थोड़ा अत्यधिक बताया है, लेकिन वे भी इस बात से सहमत हैं, कि सड़क पर कचरा फेंकना गलत है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर काफी चर्चा हो रही है और लोग अपने-अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं। कई लोगों ने यह भी कहा है, कि इस तरह के अभियान देश के दूसरे शहरों में भी शुरू होने चाहिए ताकि लोगों में जागरूकता आए और वे अपनी जिम्मेदारी समझें।
विदेशों से सीखने की जरूरत-
जब हम दूसरे विकसित देशों को देखते हैं, तो पाते हैं, कि वहां के लोगों में सिविक सेंस बेहद मजबूत है। जापान में लोग अपना कचरा घर ले जाते हैं अगर बाहर डस्टबिन नहीं मिलता। सिंगापुर में सड़क पर थूकने या कचरा फेंकने पर भारी जुर्माना लगता है। यूरोपीय देशों में सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान करना बचपन से सिखाया जाता है। भारत में भी अगर हमें स्वच्छ और विकसित देश बनना है, तो हमें अपनी सोच बदलनी होगी। यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है, कि वह अपने आसपास की जगहों को साफ रखें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करे।
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बेंगलुरु का यह अभियान एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। अगर हमें लंबे समय तक बदलाव लाना है, तो हमें शिक्षा से शुरुआत करनी होगी। स्कूलों में बच्चों को सिविक सेंस के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्हें यह सिखाया जाना चाहिए कि सार्वजनिक स्थान सबके हैं और उन्हें साफ रखना हर किसी की जिम्मेदारी है। साथ ही सरकार को भी पर्याप्त संख्या में डस्टबिन लगाने चाहिए और उनकी नियमित सफाई का इंतजाम करना चाहिए। लेकिन सबसे जरूरी है, कि लोगों की मानसिकता बदले। जब तक हम खुद नहीं बदलेंगे, तब तक कोई भी अभियान या कानून पूरी तरह सफल नहीं हो सकता। बेंगलुरु ने एक कदम उठाया है और उम्मीद है, कि दूसरे शहर भी इससे प्रेरणा लेंगे और लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।
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