Seed Oil Breast Cancer
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    Seed Oil Breast Cancer: वेल कॉर्नेल मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सीड और वेजिटेबल ऑयल में मौजूद एक तत्व, लिनोलिक एसिड, ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन तेलों का अधिक मात्रा में सेवन शरीर में सूजन (इंफ्लेमेशन) पैदा कर सकता है और आक्रामक ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।

    Seed Oil Breast Cancer क्या है ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर और क्यों है यह खतरनाक?

    शोध से पता चला है कि लिनोलिक एसिड का लगातार सेवन ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के विकास का जोखिम बढ़ा सकता है। यह कैंसर का एक आक्रामक रूप है जो तेजी से फैलता है और इसमें जीवित रहने की दर सामान्य ब्रेस्ट कैंसर (90%) की तुलना में कम (77%) होती है। ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि इसमें तीन रिसेप्टर्स - एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और एचईआर2 - नहीं पाए जाते, जो अन्य प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में लक्षित किए जाते हैं।

    Seed Oil Breast Cancer लिनोलिक एसिड क्या है और कहां पाया जाता है?

    लिनोलिक एसिड एक ओमेगा-6 फैटी एसिड है जो प्रमुख रूप से सीड ऑयल जैसे सोयाबीन, सूरजमुखी और सैफ्लावर (कुसुम) के तेल में पाया जाता है। इसके अलावा, यह पोर्क और अंडे जैसे पशु उत्पादों में भी मौजूद होता है।

    Seed Oil Breast Cancer शोध से क्या पता चला?

    14 मार्च को 'साइंस' जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि लिनोलिक एसिड एक प्रोटीन FABP5 से जुड़कर ट्यूमर कोशिकाओं में एक प्रमुख ग्रोथ पाथवे को सक्रिय कर सकता है। ब्रेस्ट कैंसर के विभिन्न प्रकारों की तुलना करते हुए, टीम ने देखा कि यह ग्रोथ पाथवे एक्टिवेशन ट्रिपल-नेगेटिव ट्यूमर कोशिकाओं में होता है, जहां FABP5 विशेष रूप से प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, लेकिन अन्य हार्मोन-संवेदनशील प्रकारों में नहीं। ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के माउस मॉडल में, लिनोलिक एसिड की अधिक मात्रा वाले आहार ने ट्यूमर के विकास को बढ़ावा दिया।

    विशेषज्ञों का क्या कहना है?

    अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डॉ. जॉन ब्लेनिस, वेल कॉर्नेल मेडिसिन के फार्माकोलॉजी विभाग में कैंसर रिसर्च के अन्ना-मारिया और स्टीफन केलेन प्रोफेसर, ने कहा, "यह खोज आहार वसा और कैंसर के बीच संबंध को स्पष्ट करने में मदद करती है और इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे यह परिभाषित किया जाए कि कौन से रोगी व्यक्तिगत तरीके से विशिष्ट पोषण संबंधी सिफारिशों से सबसे अधिक लाभ उठा सकते हैं।"

    क्या करें और क्या न करें?

    न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. मीना शर्मा के अनुसार, "हमें अपने दैनिक आहार में वनस्पति तेलों के उपयोग पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। जबकि इन तेलों को पूरी तरह से हटाना आवश्यक नहीं है, लेकिन इनका उपयोग संतुलित मात्रा में करना महत्वपूर्ण है।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि लोगों को अपने आहार में जैतून का तेल, नारियल का तेल और मक्खन जैसे प्राकृतिक वसा के स्रोतों को शामिल करना चाहिए।

    स्वस्थ विकल्प क्या हैं?

    आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राजेश गुप्ता बताते हैं, "भारतीय परंपरा में सरसों का तेल, नारियल तेल और घी जैसे विकल्पों का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। ये न केवल स्वास्थ्यवर्धक हैं बल्कि इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "एक संतुलित आहार का पालन करना और विभिन्न प्रकार के तेलों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। हमें किसी एक प्रकार के तेल पर अत्यधिक निर्भर नहीं होना चाहिए।"

    संतुलित आहार का महत्व-

    इस अध्ययन के परिणाम कैंसर के खिलाफ लड़ाई में नई आहार और दवा रणनीतियों के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अभी और शोध की आवश्यकता है और लोगों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है। कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अमित अग्रवाल के अनुसार, "यह शोध महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सभी तुरंत अपने आहार से सभी सीड ऑयल को हटा दें। इसका मतलब है कि हमें अपने आहार में विविधता लानी चाहिए और किसी भी एक प्रकार के तेल पर अत्यधिक निर्भर नहीं होना चाहिए।"

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    उन्होंने यह भी जोर दिया कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान न करना और अल्कोहल का सेवन सीमित करना कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन हमें याद दिलाता है कि हमारे आहार विकल्प हमारे स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। संतुलित आहार का पालन करना और किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ के अत्यधिक सेवन से बचना स्वस्थ रहने की कुंजी है।

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