Russia USA Tension: 24 फरवरी 2022 को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था, तब पूरी दुनिया हैरान रह गई थी। यह सिर्फ दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं थी, बल्कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा और खतरनाक युद्ध था। हालांकि दोनों देशों के बीच मतभेद 2014 से ही चले आ रहे थे, लेकिन 2022 के हमले ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। इस युद्ध में अब तक हजारों फौजी और आम लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जो किसी भी इंसान के दिल को दहला देने वाली बात है।
जब यह युद्ध शुरू हुआ था, उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन थे। अब नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान बड़ा वादा किया था, कि अगर वो जीतेंगे तो रूस-यूक्रेन की लड़ाई को तुरंत रोक देंगे। यह वादा सुनने में जितना आसान लगता था, हकीकत में उतना ही मुश्किल साबित हो रहा है। ट्रम्प ने अपने इस चुनावी वादे को पूरा करने के लिए कई कोशिशें की हैं, यहां तक कि शीत युद्ध के समय से अमेरिका का दुश्मान रहे ताकतवर रूस को भी धमकी दे डाली है।
ट्रम्प की धमकी के बाद रूस का जवाबी हमला-
राष्ट्रपति ट्रम्प की धमकियों के बीच रूस ने एक और बड़ा फैसला कर लिया है, जिसने दुनियाभर के लोगों को चौंका दिया है। रूस ने छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों को लगाने पर जो पाबंदी लगाई हुई थी, उसे हटा दिया है। यह फैसला 4 अगस्त, सोमवार को रूसी विदेश मंत्रालय की तरफ से घोषित किया गया। रूसी विदेश मंत्रालय का कहना है, कि अब वह खुद को इन मिसाइलों को लगाने की पाबंदी से बंधा हुआ नहीं मानते, क्योंकि जो हालात इस पाबंदी को बनाए रखने के लिए जरूरी थे, वो अब मौजूद नहीं हैं। यह बयान रूस के इरादों को साफ तौर पर बताता है।
अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियां और बढ़ते तनाव-
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस आदेश के बाद रूस का यह कदम आया है, जिसमें उन्होंने दो अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियां रूस के तट पर तैनात करने का रूस हुकम दिया था। रूस और अमेरिका के बीच ट्रम्प के इस आदेश के बाद तनाव एक नए मुकाम पर पहुंच गया है, जो दोनों देशों के लिए और पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। यह कदम एक 38 साल पुराने समझौते को तोड़ने वाला है। 1987 में रूस (तब सोवियत संघ) और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों ने वादा किया था, कि वे 500 से 5,500 किमी की दूरी वाले मिसाइल लांचर, जमीन से छोड़े जाने वाले बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल नहीं लगाएंगे। लेकिन अमेरिका ने 2019 में ही इस समझौते से हाथ खींच लिया था।
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रूस की सफाई और भविष्य की चिंताएं-
रूसी विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा है, कि उनकी बार-बार की चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया। “हमने तय किया था, कि हम ऐसी मिसाइलें तभी लगाएंगे, जब अमेरिका कोई ऐसा कदम उठाएगा। चूंकि अमेरिका अब ऐसा कर रहा है, इसलिए हमने भी मिसाइलों को लगाने की पाबंदी हटाने का फैसला किया है।”
यह हालात दिखाते हैं, कि देशों के बीच कूटनीति में कितनी पेचीदगी होती है। एक तरफ ट्रम्प अपने चुनावी वादे को पूरा करने की कोशिश में हैं, वहीं दूसरी तरफ रूस अपनी सुरक्षा की चिंताओं को लेकर गंभीर है। इन सब के बीच यूक्रेन की जनता सबसे ज्यादा परेशानी झेल रही है।
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