Pakistan and Bangladesh
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    Pakistan and Bangladesh: दक्षिण एशिया की राजनीति में एक नया और चिंताजनक अध्याय शुरू हो गया है। विशेष रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के तीन अधिकारियों ने कुछ सप्ताह पहले बांग्लादेश का गुप्त दौरा किया था। इस यात्रा का मकसद रोहिंग्या आतंकवादी समूहों से संपर्क स्थापित करना था, जो भारत की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है। यह मिशन इतना गुप्त था, कि मोहम्मद यूनुस की सरकार ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान तक नहीं दिया। यह पूरा अभियान बेहद सावधानी से योजनाबद्ध था और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

    Pakistan and Bangladesh कौन थे ये तीनों अधिकारी?

    टाइम्स नाउ के अनुसार, ये तीनों अधिकारी - नदीम अहमद, मोहम्मद तला और सऊद अहमद राव पाकिस्तानी सेना के सक्रिय सेवारत अधिकारी हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन तीनों ने अपनी यात्रा के लिए बिल्कुल नए पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था, जो कुछ सप्ताह पहले ही जारी किए गए थे। यह विवरण अपने आप में संदेहजनक है और इशारा करता है कि यह कोई नियमित राजनयिक यात्रा नहीं थी।

    ये अधिकारी आधिकारिक सैन्य वर्दी में ढाका पहुंचे थे, लेकिन उनके बिल्कुल नए पासपोर्ट खुफिया एजेंसियों के लिए चेतावनी का काम कर गए। सूत्रों का मानना है, कि इन अधिकारियों का पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से गहरा संबंध है।

    Pakistan and Bangladesh रामू आर्मी कैंप में क्या हुआ?

    सबसे चिंताजनक बात यह है, कि ये पाकिस्तानी अधिकारी कॉक्स बाजार के रामू आर्मी कैंप गए थे। यह कैंप रोहिंग्या शरणार्थी बस्तियों से केवल कुछ मील की दूरी पर स्थित है। अधिकारियों का कहना है, कि यह दौरा आईएसआई के एक बड़े योजना का हिस्सा था, जिसका मकसद रोहिंग्या उग्रवादियों के साथ पुराने संबंधों को फिर से सक्रिय करना था। यह रणनीति नई नहीं है। आईएसआई पहले भी इस क्षेत्र में अस्थिरता के लिए समान रणनीति का इस्तेमाल कर चुकी है। अब वे कट्टरपंथियों को फिर से संगठित करने में मदद कर रहे हैं, जो पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरनाक है।

    शेख हसीना के बाद पैदा हुआ शक्ति शून्यता-

    शेख हसीना और उनकी अवामी लीग पार्टी के पतन के बाद बांग्लादेश में जो शक्ति शून्यता बना है, उसका फायदा उठाने में जमीयत-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी जुट गई है। सूत्रों का कहना है कि जमीयत चीन और आईएसआई की मदद से पूरे देश को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रही है।

    यह स्थिति भारत के लिए विशेष रूप से खतरनाक है क्योंकि आईएसआई ने अपने प्रभाव को बढ़ाते हुए ढाका में नए परिचालन अड्डे स्थापित किए हैं। इन अड्डों का मकसद उत्तर-पूर्वी भारत में गतिविधियों को सुविधाजनक बनाना है। यह एक हिसाब-किताब से किया गया कदम है जो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।

    कंटेनर शिपमेंट के जरिए हथियारों की तस्करी-

    पाकिस्तान कराची से चटगांव तक कंटेनर शिपमेंट के जरिए हथियारों और संवेदनशील सामग्री की तस्करी कर रहा है। ये शिपमेंट राजनयिक सुरक्षा के तहत काम कर रहे हैं, जिससे मानक निरीक्षण को दरकिनार करना आसान हो जाता है। यह पूरा नेटवर्क व्यवस्थित तरीके से काम कर रहा है। यह न सिर्फ बांग्लादेश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरनाक है, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।

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    भारत के लिए बढ़ती चिंताएं-

    यह घटनाक्रम उस समय आया है, जब भारत के राजनयिक संबंध पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों के साथ सबसे निचले स्तर पर हैं। आईएसआई के ढाका में बढ़ते परिचालन अड्डे भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बन गए हैं। उत्तर-पूर्वी भारत में विद्रोह के इतिहास को देखते हुए, यह स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है। अगर आईएसआई सफलतापूर्वक रोहिंग्या उग्रवादियों को फिर से संगठित कर लेती है और उन्हें बांग्लादेश की मिट्टी से काम करने की सुविधा मिल जाती है, तो इसके परिणाम भारत के लिए विनाशकारी हो सकते हैं।

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