Chaturmas 2025
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    Chaturmas 2025: हिंदू पंचांग में आने वाला चातुर्मास, आध्यात्मिक साधना और आत्म-संयम का एक विशेष काल माना जाता है। संस्कृत शब्दों चतुर (चार) और मास (महीना) से मिलकर बना यह शब्द श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक इन चार महीनों के योग को दर्शाता है। इस वर्ष चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी से होगी और इसका समापन 1 नवंबर 2025 को प्रबोधिनी एकादशी के दिन होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस अवधि में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और संसार की जिम्मेदारी भगवान शिव संभालते हैं। इसलिए यह काल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और इसमें विशेष नियमों का पालन किया जाता है।

    Chaturmas 2025 संयम और साधना का समय-

    चातुर्मास केवल किसी एक व्रत या पूजा का नाम नहीं है, बल्कि यह चार महीनों तक चलने वाला एक पवित्र अनुशासन है। इस काल में सात्त्विक आहार, ब्रह्मचर्य, व्रत, ध्यान, योग और सेवा जैसे नियमों का पालन करना न सिर्फ शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि आत्मा को भी शांति और बल देता है।

    सबसे पहले, चातुर्मास में सात्त्विक भोजन का विशेष महत्व होता है। इस दौरान मांस, मछली, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इसके बजाय हल्का, पौष्टिक और शुद्ध आहार ग्रहण करना चाहिए जिससे मन और शरीर दोनों संयम में रहें।

    दूसरा, ब्रह्मचर्य का पालन इस अवधि में विशेष रूप से अनुशंसित है। यह ना सिर्फ इच्छाओं पर नियंत्रण सिखाता है, बल्कि ऊर्जा को आध्यात्मिक विकास में लगाने की प्रेरणा भी देता है।

    चातुर्मास में उपवास करना भी एक गहन साधना का तरीका है। विशेष एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे पवित्र दिनों में उपवास कर शरीर और मन को शुद्ध किया जाता है।

    ध्यान, योग और सत्संग इस काल के तीन स्तंभ माने जाते हैं। रोज़ाना कुछ समय आत्म चिंतन, प्राणायाम या भगवद गीता का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में स्थिरता आती है।

    Chaturmas 2025 दान, भक्ति और जीवन में अनुशासन-

    इस चार महीने के दौरान भगवान विष्णु और शिव की पूजा, पितरों के लिए प्रार्थना और गरीबों को दान देना विशेष पुण्यकारी माना गया है। यह न केवल हमारे अहंकार को कम करता है, बल्कि दूसरों के प्रति करुणा और दया की भावना को भी बढ़ाता है।

    जीवन में अनुशासन लाना चातुर्मास का एक प्रमुख उद्देश्य है। समय पर सोना, उठना, नियमित पूजा करना और अनावश्यक बातों से बचना, यह सभी साधन मन और शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं।

    किन चीजों से बचना चाहिए?

    चातुर्मास में कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं। जैसे कि इस दौरान शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इन्हें करने से शुभ फल की जगह बाधाएं आने की आशंका मानी जाती है।

    दही, बैंगन, मूली और हरी सब्जियों का सेवन भी इस दौरान टालना चाहिए, क्योंकि इस समय ये भोजन स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए उचित नहीं माने जाते। इसके अलावा, जो लोग व्रत या साधना कर रहे हैं उन्हें अनावश्यक यात्रा और धोखेबाजी, झूठ, हिंसा जैसी चीजों से भी दूरी बनानी चाहिए। इससे साधना का प्रभाव घटता है और मानसिक अशांति उत्पन्न होती है।

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    आध्यात्मिक उन्नति की राह-

    चातुर्मास ना सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आत्मिक उन्नति की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह काल हमें रुकने, सोचने और जीवन को नये नजरिये से देखने का मौका देता है। जो लोग इस काल को पूरी श्रद्धा, संयम और भक्ति के साथ बिताते हैं, उन्हें न केवल आंतरिक शांति मिलती है बल्कि भगवान विष्णु की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।

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