WhatsApp Chat Proof: भारत ने ब्रिटिश काल के पुराने ‘इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872’ को अलविदा कह दिया है। उसकी जगह अब आया है, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023)। यह सिर्फ नाम का बदलाव नहीं है, बल्कि तकनीक से जुड़ी दुनिया के लिए एक बड़ा लीगल रिफॉर्म है। आज जब हमारी पूरी जिंदगी फोन में सिमट गई है, चैट्स, रिकॉर्डिंग्स और फॉरवर्डेड मैसेज रोज़मर्रा की बातचीत का हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में यह समझना ज़रूरी है कि अब कोर्ट इन्हें किस नजरिए से देखता है।
क्या स्क्रीनशॉट सबूत हैं? हां, लेकिन…
नया कानून कहता है कि सिर्फ इस आधार पर कोई डिजिटल रिकॉर्ड (जैसे चैट्स, वॉइस नोट्स, स्क्रीनशॉट्स, पीडीएफ्स) को कोर्ट से खारिज नहीं किया जा सकता कि वह डिजिटल है। यानी अब व्हाट्सएप चैट्स भी कोर्ट में पेश की जा सकती हैं। लेकिन उसे मान्य साबित भी करना होगा, सिर्फ दिखाने से काम नहीं चलेगा। चैट का प्रिंटआउट अगर आपके पास है या स्क्रीनशॉट है, तो उस एविडेंस को सेकेंडरी एविडेंस माना जाएगा और ऐसे में आपको देना होगा – Section 63(4) Certificate।
यह सर्टिफिकेट बताएगा कि वह रिकॉर्ड कैसे और किस डिवाइस में बनाया गया, उस डिवाइस की तकनीकी जानकारी क्या है, और यह सर्टिफिकेट उस व्यक्ति और विशेषज्ञ के सिग्नेचर से प्रमाणित होना चाहिए, जो उस डिवाइस की जिम्मेदारी में था। बिना इस सर्टिफिकेट के, चाहे स्क्रीनशॉट कितना भी दमदार क्यों न हो, उसे कोर्ट “अवैध” मान सकता है।
फॉरवर्ड किया मैसेज? अब कानूनी जिम्मेदारी आपकी!
यह नया कानून कहता है कि फॉरवर्डिंग = जिम्मेदारी। अगर आपने किसी भी प्रकार का भ्रामक, आपत्तिजनक, या राष्ट्रविरोधी कंटेंट बिना जांचे-परखे आगे बढ़ाया, तो आप आईटी एक्ट 2000 और भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधी माने जा सकते हैं। यहां तक कि ग्रुप चैट्स में सिर्फ मौन रहना भी आपकी ‘स्वीकृति’ मानी जा सकती है – खासकर अगर आप ग्रुप एडमिन हैं या चैट में हिस्सा ले रहे थे। तो अब सिर्फ ‘मैंने तो बस फॉरवर्ड किया था’ कहना बचाव का तरीका नहीं रहा।
व्हाट्सएप से जेल जाना मुमकिन है!
अगर आपने कोई भ्रामक न्यूज़, आपत्तिजनक वीडियो, एडिटेड फोटो, या किसी धर्म/समुदाय के खिलाफ बात फैलाई है और वह चैट पुलिस या कोर्ट के हाथ लगती है, तो आप पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। यह भी ध्यान में रखें कि अगर आप किसी केस में व्हाट्सएप चैट या स्क्रीनशॉट को बतौर सबूत देना चाहते हैं और आपने ऊपर बताए गए सर्टिफिकेशन के नियम नहीं माने, तो वह सबूत सीधे खारिज हो सकता है।
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अब सिर्फ प्राइवेट नहीं रहा आपका डिजिटल जीवन-
आजकल हर मैसेज, हर वॉयस नोट और हर इमोजी, आपकी डिजिटल छवि (Digital Footprint) बनाती है। और यह छवि अब कानून की नजर में भी आ चुकी है। तो अगली बार जब आप कोई स्क्रीनशॉट सेव करें या किसी ग्रुप में मजेदार लेकिन संवेदनशील जोक भेजें, एक पल रुककर सोचिए, क्या ये बाद में कोर्ट में मेरे खिलाफ इस्तेमाल हो सकता है?
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