Secure Online Payment
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    Secure Online Payment: भारत का UPI (Unified Payments Interface) सिर्फ़ एक पेमेंट सिस्टम नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन चुका है। कुछ साल पहले तक डिजिटल पेमेंट का मतलब सिर्फ़ कार्ड और कैशलेस ट्रांजैक्शन था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आज भारत का यह इनोवेशन न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रहा है।

    8 देशों में धूम, विदेश यात्रा होगी आसान-

    नई रिपोर्ट के अनुसार, अब UPI पेमेंट 8 अलग-अलग देशों में इस्तेमाल किया जा सकेगा, बिल्कुल वैसे ही जैसे हम भारत में करते हैं। ये देश हैं- नेपाल, भूटान, फ्रांस, मॉरीशस, सिंगापुर, श्रीलंका, यूएई और कतर। इसका मतलब है, कि अगर आप इन देशों में घूमने जाएं, तो लोकल करेंसी बदलवाने की टेंशन खत्म। बस QR स्कैन करो और आसानी से पेमेंट करो।

    खास बात यह है, कि इन देशों ने भारतीय इनोवेशन को खुले दिल से अपनाया है और इससे दोनों देशों के बीच व्यापार, टूरिज्म और लोगों की आपसी कनेक्टिविटी और मज़बूत होगी।

    पाकिस्तान और अमेरिका का रवैया-

    जहां भारत का UPI पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है, वहीं पड़ोसी पाकिस्तान और अमेरिका का रुख अलग है। पाकिस्तान ने साफ कहा, कि उन्हें UPI में कोई इंटरेस्ट नहीं है। दूसरी ओर अमेरिका का कहना है, कि वे इस पर “सोचेंगे”। दरअसल, अमेरिका जैसा देश कोई भी ऐसा कदम उठाने से पहले हजार बार सोचता है, जिससे उसका ग्लोबल ईगो कमज़ोर न पड़े। यही वजह है, कि फिलहाल वहां UPI को लेकर कोई ठोस कदम सामने नहीं आया है।

    भारत की सबसे बड़ी डिजिटल क्रांति-

    UPI सिर्फ़ एक तकनीक नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल इंडिया अभियान की रीढ़ बन चुका है। आज छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक, गली-मोहल्लों से लेकर मॉल और मार्केट तक हर जगह QR कोड और मोबाइल स्कैनर से पेमेंट करना आम बात हो गई है। यही वजह है, कि विदेशी लोग भी भारत आकर इस सिस्टम को देखकर हैरान रह जाते हैं।

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    दुनिया के कई देश आज भी कैशलेस सिस्टम को उतनी तेजी से अपनाने में पीछे हैं, लेकिन भारत ने UPI के जरिए यह साबित कर दिया है, कि सही सोच और सही तकनीक से कोई भी देश इनोवेशन में आगे निकल सकता है।

    ग्लोबल लेवल पर भारत की बढ़ती ताकत-

    UPI का 8 देशों में लागू होना केवल टेक्नोलॉजी का विस्तार नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती ताकत और साख का प्रतीक है। यह दिखाता है, कि अब भारत केवल टेक्नोलॉजी लेने वाला देश नहीं, बल्कि देने वाला देश भी बन चुका है।

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