Digital Privacy: आज के समय में हमारे मोबाइल फोन में हमारी पूरी जिंदगी का हिसाब-किताब रहता है। बैंक की जानकारी से लेकर व्यक्तिगत तस्वीरों तक, सब कुछ हमारे फोन में संग्रहीत होता है। इसी कारण से व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा का मसला आज बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। भारत सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम बनाया है, जो दुकानदारों और खरीदारों दोनों के लिए एक नया मोड़ साबित होगा।
पुराने जमाने की खरीदारी बनाम नए नियम-
पिछले कई सालों से जब हम किसी भी दुकान पर सामान खरीदने जाते थे, तो काउंटर पर बैठा व्यक्ति हमसे मोबाइल नंबर मांगता था। “साहब, सदस्यता कार्ड बनवाएंगे?” या “मैडम, छूट पाने के लिए अपना नंबर दे दीजिए”, ऐसे वाक्य हम रोज सुनते थे। लेकिन अब नया कानून इस पूरी व्यवस्था को बदलने वाला है। अब व्यापारियों को बहुत सावधानी बरतनी होगी, जब वे ग्राहकों की जानकारी इकट्ठा करते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की मानें, तो साइबर कानून के जानकार एस चंद्रशेखर कहते हैं, कि “छोटे-छोटे बदलाव, जैसे कि मुंह से नंबर बताने की बजाय मशीन पर टाइप करना, गोपनीयता की सुरक्षा को काफी बेहतर बना सकता है।” यह बदलाव इसलिए जरूरी है, क्योंकि जब हम अपना मोबाइल नंबर जोर से बोलते हैं, तो आसपास खड़े लोग भी सुन लेते हैं, जो हमारी निजता के लिए खतरा है।
साफ अनुमति की जरूरत-
नए कानून की सबसे बड़ी बात यह है, कि अब दुकानदार यह नहीं मान सकते, कि ग्राहक ने अपनी मर्जी से जानकारी दी है। हर व्यापारी को स्पष्ट रूप से बताना होगा, कि वे ग्राहक की जानकारी क्यों चाहते हैं, कितने दिन तक रखेंगे और कब मिटा देंगे। विशेषज्ञ चंद्रशेखर के अनुसार, “अब केवल अनुमान लगाकर सहमति मानना काम नहीं करेगा, हर अनुमति बिल्कुल साफ होनी चाहिए।”
इसका मतलब यह है, कि जब आप किसी दुकान में जाएंगे और वहां आपसे मोबाइल नंबर मांगा जाएगा, तो दुकानदार को आपको विस्तार से बताना होगा, कि यह जानकारी किस काम आएगी। आप कोई छूट वाली योजना में शामिल हो रहे हैं या वफादार ग्राहक बन रहे हैं, हर चीज़ एकदम साफ होनी चाहिए।
वफादार ग्राहक योजनाओं में आने वाले बदलाव-
अब तक की वफादार ग्राहक योजनाएं पूरी तरह से मोबाइल नंबरों पर निर्भर थीं। राशन की दुकान हो या कपड़ों का शोरूम, सभी ग्राहक के फोन नंबर के जरिए उनकी खरीदारी का हिसाब रखते थे और उन्हें विशेष छूट भेजते थे। लेकिन अब यह पूरा तरीका बदल जाएगा।
नए नियमों के हिसाब से, दुकानदार अब यह नहीं मान सकते, कि ग्राहक खुद-ब-खुद राजी हैं। उन्हें साफ तौर पर इजाजत लेनी होगी और ग्राहकों को यह अधिकार होगा, कि वे मना कर दें और फिर भी अच्छी सेवा पा सकें। यह उन व्यापारों के लिए खासकर मुश्किल होगा, जो ग्राहकों से बात करने के लिए बहुत ज्यादा फोन नंबरों का इस्तेमाल करते हैं।
जानकारी कितने दिन तक रखी जा सकती है-
नए कानून का एक और बड़ा पहलू यह है कि अब व्यापारी ग्राहकों की जानकारी हमेशा के लिए अपने पास नहीं रख सकते। पहले जो कंपनियां सालों तक ग्राहकों का ब्यौरा अपने पास रखती थीं, अब उन्हें निश्चित समयसीमा का पालन करना होगा। जानकारी केवल उतने समय तक रखी जा सकती है, जितने समय तक उसकी वास्तविक जरूरत है।
जैसे ही मूल काम पूरा हो जाता है या ग्राहक अपनी सहमति वापस ले लेता है, वैसे ही सारी जानकारी मिटा देनी होगी। इसके लिए कंपनियों को अच्छी व्यवस्था बनानी होगी, जो अपने आप पुराना डेटा साफ कर दे। यह उन दुकानदारों के लिए विशेष रूप से कठिन होगा, जिनके पास सालों का ग्राहक डेटा जमा है।
जवाबदेही और पारदर्शिता के नए मानक-
नया कानून व्यापारियों पर जवाबदेही की बड़ी जिम्मेदारी डालता है। अब कंपनियों को एकदम साफ शब्दों में समझाना होगा, कि वे जानकारी क्यों इकट्ठा कर रहे हैं, इसका क्या करेंगे, और कितने समय तक रखेंगे। उन्हें किसी भी तरह के खतरे के बारे में भी खुलकर बताना होगा और यह पक्का करना होगा कि निजी जानकारी गलत इस्तेमाल या बिना अनुमति के इस्तेमाल से बची रहे।
विशेषज्ञ चंद्रशेखर समझाते हैं कि “इस कानून का मुख्य मकसद व्यापार में रुकावट डालना नहीं है, बल्कि सभी को जिम्मेदार बनाना है। यह पक्का करना है कि जानकारी सिर्फ बताए गए काम के लिए ही इस्तेमाल हो और बाद में मिटा दी जाए।”
ग्राहकों के लिए क्या फायदा होगा-
आम ग्राहकों के लिए ये सभी बदलाव फायदेमंद साबित होंगे। अब आपको अपनी निजी जानकारी पर ज्यादा काबू मिलेगा। जब भी कोई व्यापारी आपसे कोई जानकारी मांगेगा, तो उसे साफ-साफ बताना होगा कि क्यों चाहिए। आपको यह हक मिलेगा कि आप अपनी मंजूरी वापस ले सकें और अपनी जानकारी मिटवा सकें।
हालांकि शुरुआत में यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी लग सकती है, लेकिन आगे चलकर यह आपकी निजता और सुरक्षा के लिए बहुत अच्छी होगी। अनचाही फोन कॉलों और मैसेजेस से भी छुटकारा मिल सकता है।
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व्यापारिक जगत के लिए नई चुनौतियां-
खुदरा व्यापार के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए यह बदलाव का दौर थोड़ा कठिन होगा। छोटी दुकानों से लेकर बड़े मॉलों तक, सभी को अपने मौजूदा तरीकों पर नए सिरे से विचार करना होगा। नई तकनीक लगानी होगी, कर्मचारियों को सिखाना होगा, और नए नियमों का पालन करना होगा।
लेकिन यह बदलाव होना ही था। दुनिया भर में देखें तो यूरोप में जीडीपीआर जैसे कानून और दूसरे देशों में भी इसी तरह के गोपनीयता नियम पहले से मौजूद हैं। भारत भी अब इसी राह पर चल रहा है, जो अंततः उपभोक्ताओं के हित में है।
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