Tirupati Laddu Scam
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    Tirupati Laddu Scam: श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के पवित्र लड्डू प्रसाद में मिलावट का मामला अब और गंभीर होता जा रहा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने अपनी जांच में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं, जो किसी भी श्रद्धालु को हिला कर रख देंगे। द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड की एक डेयरी, जिसने कभी एक बूंद दूध या मक्खन नहीं खरीदा, उसने 2019 से 2024 के बीच मंदिर ट्रस्ट को 68 लाख किलोग्राम घी की सप्लाई की, जिसकी कीमत करीब 250 करोड़ रुपये थी।

    नकली डेयरी का पूरा खेल-

    भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी, जो उत्तराखंड के भगवानपुर में स्थित है, इस पूरे घोटाले का केंद्र बिंदु है। इस डेयरी को पोमिल जैन और विपिन जैन नाम के दो प्रमोटर्स चलाते थे। CBI की जांच में पता चला कि यह यूनिट पूरी तरह से फर्जी थी। यहां ना तो कभी दूध की खरीद हुई और ना ही असली देसी घी का उत्पादन किया गया। जांचकर्ताओं ने पाया, कि दूध खरीदने और भुगतान के सभी रिकॉर्ड नकली थे। यह सब कागजों पर ही मौजूद था, हकीकत में कुछ भी नहीं था।

    CBI की SIT ने नेल्लोर कोर्ट में अपनी रिमांड रिपोर्ट में इन खुलासों का जिक्र किया है। जांच तब और तेज हो गई, जब अजय कुमार सुगंध नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। सुगंध पर आरोप है, कि उसने भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी को इंडस्ट्रियल केमिकल्स की सप्लाई की थी, जिसमें मोनोडिग्लिसराइड्स और एसिटिक एसिड एस्टर शामिल थे। ये केमिकल्स नकली घी बनाने में इस्तेमाल होते हैं।

    ब्लैकलिस्ट के बाद भी चलता रहा धंधा-

    सबसे चौंकाने वाली बात यह है, कि 2022 में TTD ने भोले बाबा डेयरी को डिसक्वालिफाई कर दिया था और ब्लैकलिस्ट भी कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद इन प्रमोटर्स ने अपना धंधा बंद नहीं किया। SIT की रिपोर्ट के मुताबिक, इन लोगों ने दूसरी डेयरियों के नाम से बिडिंग करके मिलावटी घी की सप्लाई जारी रखी। इनमें तिरुपति की व्यष्णवी डेयरी, उत्तर प्रदेश की मल गंगा डेयरी और तमिलनाडु की AR डेयरी फूड्स शामिल हैं।

    जांच में एक और गंभीर मामला सामने आया। जुलाई 2024 में TTD ने जानवरों की चर्बी से मिलावट वाले चार कंटेनर घी को रिजेक्ट कर दिया था। लेकिन इन्हीं प्रमोटर्स ने इसी घी को व्यष्णवी डेयरी के जरिए, फिर से मंदिर ट्रस्ट को सप्लाई कर दिया। यह सुनकर किसी की भी आस्था हिल सकती है, कि जिस घी को खराब मानकर खारिज कर दिया गया था, उसे दोबारा भगवान के प्रसाद में इस्तेमाल किया गया।

    घी के टैंकर्स की हेराफेरी-

    फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अधिकारियों और SIT की संयुक्त जांच में दिनडिगुल स्थित AR डेयरी प्लांट पर एक और खुलासा हुआ। पाया गया, कि जिन चार घी के टैंकरों को रिजेक्ट किया गया था, वे कभी AR प्लांट में वापस नहीं लौटे। इन टैंकरों को व्यष्णवी डेयरी के पास एक स्थानीय पत्थर तोड़ने वाली यूनिट में डायवर्ट कर दिया गया था।

    रिपोर्ट के अनुसार, SIT ने यह भी पता लगाया, कि अगस्त 2024 में व्यष्णवी डेयरी, जो अभी भी आंध्र प्रदेश सर्कल के तहत TTD के साथ एम्पैनल्ड थी, ने इन्हीं टैंकरों को रीब्रांड और रीलेबल कर दिया। सिंथेटिक घी की बनावट और कंसिस्टेंसी को रिफाइन किया गया और फिर से मंदिर ट्रस्ट को सप्लाई कर दिया गया। सबसे दुखद बात यह है, कि इसी घी का इस्तेमाल तिरुपति लड्डू प्रसाद बनाने में किया गया, जो दुनिया भर से आने वाले लाखों भक्तों में बांटा जाता है।

    श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़-

    यह मामला सिर्फ एक वित्तीय घोटाला नहीं है, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं और आस्था के साथ खिलवाड़ है। तिरुपति बालाजी का मंदिर दुनिया के सबसे अमीर और सबसे ज्यादा दर्शनार्थियों वाले मंदिरों में से एक है। यहां का लड्डू प्रसाद सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि भक्तों के लिए भगवान का आशीर्वाद माना जाता है। ऐसे पवित्र प्रसाद में मिलावट और धोखाधड़ी का यह खुलासा हर किसी को आहत करने वाला है।

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    CBI की जांच अभी जारी है और उम्मीद की जा रही है, कि जल्द ही इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश होगा। सवाल यह भी उठता है, कि इतने बड़े पैमाने पर, इतने लंबे समय तक यह घोटाला कैसे चलता रहा? क्या निगरानी और गुणवत्ता जांच में कोई कमी थी? इन सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं। लेकिन एक बात तय है, कि इस मामले ने TTD की व्यवस्था और निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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