Shravana Putrada Ekadashi 2025
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    Putrada Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व है, लेकिन पुत्रदा एकादशी उनमें भी खास मानी जाती है। इसका नाम ही अपने उद्देश्य को स्पष्ट करता है, पुत्र प्रदान करने वाली एकादशी। यह व्रत साल में दो बार आता है, पहली पौष माह में (दिसंबर–जनवरी) और दूसरी श्रावण माह में (जुलाई–अगस्त)। इस साल श्रावण पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। वैष्णव परंपरा में इसे पवित्रा एकादशी या पवित्रोपना एकादशी भी कहा जाता है।

    इस व्रत का पालन करने वाले भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे संतान, सुख और मोक्ष की कामना करते हैं। व्रत की महिमा इतनी अधिक है, कि यह केवल भौतिक लाभ नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और पारिवारिक उन्नति का मार्ग भी प्रदान करता है।

    व्रत की तिथि और पारण समय का महत्व-

    पुत्रदा एकादशी की शुरुआत 4 अगस्त 2025 को दोपहर 01:11 बजे से हो रही है और यह तिथि 5 अगस्त को दोपहर 02:42 बजे तक रहेगी। पारण का समय 6 अगस्त की सुबह 06:02 से 08:36 के बीच रहेगा। ध्यान दें, कि पारण हमेशा द्वादशी तिथि में करना अनिवार्य होता है, अन्यथा व्रत का फल शून्य हो सकता है। यह नियम धर्मशास्त्रों में स्पष्ट रूप से वर्णित है और धार्मिक अनुशासन का एक महत्वपूर्ण भाग है।

    पुत्रदा नाम क्यों पड़ा इस एकादशी का?

    संस्कृत में “पुत्रदा” का अर्थ होता है, संतान देने वाली। सनातन धर्म की मान्यताओं में पुत्र (या संतान) का विशेष महत्व रहा है, क्योंकि उन्हें पितरों के अंतिम संस्कार और श्राद्ध कर्म जैसे अनुष्ठानों का निर्वाहक माना जाता है। ऐसा विश्वास है, कि पुत्र के द्वारा किए गए कर्म ही पितरों को मोक्ष की ओर ले जाते हैं। इसलिए संतानहीन दंपत्तियों के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। वे भगवान विष्णु की आराधना कर पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं और साथ ही परिवार की सुख-शांति एवं समृद्धि की भी कामना करते हैं।

    एक व्रत, अनेक लाभ –

    श्रावण पुत्रदा एकादशी केवल संतान प्राप्ति के लिए ही नहीं, बल्कि मन, वचन और कर्म की शुद्धि के लिए भी बहुत खास है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति उपवास, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप, व्रत कथा का श्रवण और रात्रि जागरण करते हैं। विशेषकर इस व्रत में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह मंत्र मानसिक शांति, आत्मिक बल और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है।

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    परंपरा और श्रद्धा का मिलन-

    श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में संतुलन, संतान सुख और आत्मिक विकास चाहता है। यह दिन एक आध्यात्मिक द्वार है, जो भगवान विष्णु की कृपा से हमें एक नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करता है। परिवार में नई आशा, जीवन में नई गति और आत्मा में नई शुद्धि की शुरुआत इसी एकादशी से हो सकती है, बशर्ते श्रद्धा और नियम का साथ हो। इस 5 अगस्त को जब श्रावण पुत्रदा एकादशी आपके जीवन के दरवाज़े पर दस्तक दे, तो उसका स्वागत व्रत, भक्ति और विश्वास से करें।

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