Shani Jayanti: हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हिंदू पंचांग के मुताबिक, शनि जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों में माना गया है कि इस दिन सूर्य देव और माता छाया जी के बेटे शनिदेव का जन्म हुआ था और शनि देव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता कहा जाता है। इस सब की वजह से व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी शनि का महादशा का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में वैशाख मास की अमावस्या तिथि के दिन शनि देव की विधिवत पूजा करने से उनकी शुभ दृष्टि आप पर पड़ती है। आईए शनि जयंती के शुभ मुहूर्त विधि और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Shani Jayanti शुभ मुहूर्त-
सबसे पहले मुहूर्त की बात की जाए तो हिंदू पंचांग के मुताबिक, अमावस्या 7 मई को सुबह 11:40 से शुरू हो रही है, उसके बाद 8 मई की सुबह 8:51 पर समाप्त होगी, ऐसे में वैशाख मास की शनि जयंती 7 मई 2024 को मनाई जाने वाली है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, शनि जयंती का शुभ मुहूर्त 7 मई की शाम 5:20 से रात 7:01 बजे तक है।
Shani Jayanti विधिवत पूजा-
भगवान शनि की विधिवत पूजा शनि जयंती के दिन की जाती है, इसके साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है। अगर किसी की कुंडली में शनि दोष है या फिर शनि कमजोर है, तो आप शनि जयंती के दिन व्रत रखकर काले तिल, सरसों का तेल, नीले फूल, शमी के पत्ते आदि शनिदेव को अर्पित कर सकते हैं। इससे शनि देव के आशीर्वाद की प्राप्ति हो जाती है।
विधि-
शनि जयंती के दिन नित्य कामों से निवृत होकर स्नान करें, इसके बाद नीले रंग के कपड़े पहनकर शनि मंदिर जाएं, उसके बाद शनि देव को सरसों के तेल के अलावा शमी की पत्तियां, अपराजिता के नीले फूल चढ़ा दें, इसके बाद आरती करें। अब इस बात का ध्यान रखें की शनिदेव की आंखों में ना देखें, इसके साथ ही शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए सरसों का तेल, जूते, चप्पल, बादाम, उड़द की दाल, लोहा, कोयला आदिवासियों का दान करें।
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ज्येष्ठ मास में शनि जयंती कब-
इस दिन आप शनि देव के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि वैशाख मास को शनि जयंती आमतौर पर दक्षिण भारत में मनाई जाती है। इसके अलावा अमावस्या तिथि को भी शनि जयंती मनाई जाती है, जो कि उत्तर भारत में बनाई गई जाती है। इस साल की ज्येष्ठ मास में शनि जयंती 6 जून 2024 को होने वाली है।
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