Mallikarjuna Hill Excavation
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    Mallikarjuna Hill Excavation: रायचूर जिले के मास्की शहर में एक बार फिर इतिहास की गहराइयों से अनमोल खजाने निकले हैं। मल्लिकार्जुन पहाड़ी और हनुमान स्वामी मंदिर के पास हुई खुदाई में पुरातत्वविदों को लगभग 4000 साल पुराने अवशेष मिले हैं। यह वही इलाका है जहां कभी प्रसिद्ध अशोकन शिलालेख की खोज हुई थी और अब यह स्थान एक बार फिर पुरातत्व की दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है।

    विदेशी शोधकर्ताओं की मेहनत से मिली सफलता-

    इस महत्वपूर्ण खोज के पीछे है भारत, अमेरिका और कनाडा के 20 से अधिक शोधकर्ताओं की मेहनत। इन वैज्ञानिकों ने मास्की में 4000 साल पहले मानव गतिविधि के निशान खोजे हैं, जो यह साबित करते हैं, कि यहां कभी एक फलती-फूलती सभ्यता मौजूद थी। यह खोज न केवल स्थानीय इतिहास के लिए बल्कि पूरे दक्षिण भारतीय पुरातत्व के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। खुदाई में मिले अवशेषों से पता चलता है, कि ईसा पूर्व 11वीं से 14वीं सदी के बीच यहां एक विकसित मानव बस्ती थी। यह काल भारतीय इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय देश में कई सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव हो रहे थे।

    मिट्टी के बर्तनों से लेकर कलाकृतियों तक-

    इस खुदाई में जो चीजें मिली हैं, वे किसी भी पुरातत्व प्रेमी को रोमांचित कर सकती हैं। मिट्टी के बर्तन, कलात्मक वस्तुएं, औजार और खाना पकाने के बर्तन जैसी वस्तुओं से साफ पता चलता है, कि यहां रहने वाले लोग सिर्फ जीवनयापन नहीं कर रहे थे, बल्कि एक व्यवस्थित समुदाय के रूप में समृद्ध हो रहे थे। ये कलाकृतियां बताती हैं, कि प्राचीन मास्की के निवासी न केवल अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में कुशल थे, बल्कि उनमें कलात्मक सोच भी थी। मिले हुए बर्तनों की गुणवत्ता और डिजाइन से लगता है, कि वे मिट्टी के बर्तन बनाने में माहिर थे। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के औजारों से पता चलता है, कि यहां कृषि और अन्य उत्पादक गतिविधियां होती थीं।

    अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की मिसाल-

    इस परियोजना की खासियत यह है, कि यह सच्चे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. एंड्रू एम. बावर, मैकगिल विश्वविद्यालय के डॉ. पीटर जी. जोहानसन और शिव नादर विश्वविद्यालय के विद्वानों ने मिलकर इस काम को अंजाम दिया है। यह टीमवर्क दिखाता है, कि विज्ञान और पुरातत्व में सीमाओं की कोई बाध्यता नहीं होती। तीन महीने से चल रही, यह गहन शोध कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति के बाद शुरू हुई थी। इससे पहले शोधकर्ताओं ने 271 संभावित स्थलों की पहचान की थी, जिसमें से मल्लिकार्जुन पहाड़ी और मंदिर के आसपास का क्षेत्र सबसे आशाजनक लगा।

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    मास्की का बढ़ता पुरातत्विक महत्व-

    मुख्य शोधकर्ता कदंबी का कहना है, कि ये कलाकृतियां मास्की में 4000 साल पहले निरंतर मानव उपस्थिति का मजबूत प्रमाण देती हैं। यह खोज मास्की को दक्षिण भारतीय पुरातत्व के नक्शे पर और भी महत्वपूर्ण बना देती है। पहले से ही अशोकन शिलालेख के लिए प्रसिद्ध यह जगह अब प्राचीन सभ्यता अध्ययन के लिए भी एक मुख्य स्थान बन गई है।

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