Russian Woman in Cave: कर्नाटक के गोकर्ण शहर में शुक्रवार को एक ऐसी घटना सामने आई जिसने सभी को हैरत में डाल दिया। रामतीर्थ पहाड़ियों की एक प्राकृतिक गुफा में एक 40 वर्षीय रूसी महिला अपनी दो छोटी बेटियों के साथ लगभग दो हफ्तों से रह रही थी। नीना कुतिना उर्फ मोही नाम की इस महिला ने अपनी 6 वर्षीय बेटी प्रेया और 4 वर्षीय बेटी अमा के साथ इस गुफा को अपना अस्थायी घर बना लिया था।
यह कहानी किसी फिल्म के जैसी लग सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से सच है। नीना एक व्यापारिक वीजा पर भारत आई थी, जो 2017 में समाप्त हो गया था। गोवा से यात्रा करते हुए वह गोकर्ण के इस आध्यात्मिक शहर में पहुंची, जो अपनी धार्मिक और ध्यान की परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।
Russian Woman in Cave गुफा बनी आध्यात्मिक स्थान-
घने जंगलों और पथरीले इलाके के बीच बसी इस प्राकृतिक गुफा को नीना ने एक आध्यात्मिक स्थान में बदल दिया था। उसने गुफा में रुद्र की मूर्ति स्थापित की थी और अपना पूरा दिन पूजा-पाठ और ध्यान में बिताती थी। यह दिखाता है कि कैसे एक विदेशी महिला को भारतीय संस्कृति और आध्यात्म से गहरा लगाव हो सकता है।
A Russian woman and her 2 daughters, found living in a Gokarna cave for nearly 2 weeks, have been rescued by Karnataka Police. Her visa had expired in 2017. Deportation process has begun with Russian Embassy's help.
— Press Trust of India (@PTI_News) July 13, 2025
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नीना और उसकी बेटियों का जीवन बेहद सादा था। वे प्लास्टिक की चादरों पर सोते थे और मैगी खाकर अपना गुजारा करते थे। यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि दो छोटी बच्चियों के साथ जंगल में रहना कितना मुश्किल रहा होगा। फिर भी इस परिवार ने किसी तरह से अपना जीवन निकाला।
Russian Woman in Cave पुलिस की चौकसी से मिली खोज-
शुक्रवार को हाल ही में हुए भूस्खलन के बाद नियमित गश्त के दौरान अधिकारियों को यह गुफा मिली। पुलिस निरीक्षक श्रीधर और उनकी टीम ने गुफा के बाहर कपड़े सूखते हुए देखे। अधिकारियों ने रामतीर्थ पहाड़ी की मोटी झाड़ियों से रास्ता बनाया और गुफा में मोही और उसके दो बच्चों को पाया।
उत्तरा कन्नड़ के पुलिस अधीक्षक एम नारायण ने बताया कि उनकी गश्ती टीम ने रामतीर्थ पहाड़ी की गुफा के बाहर साड़ी और अन्य कपड़े सूखने के लिए टंगे हुए देखे। जब वे वहां गए, तो उन्होंने मोही को उसके बच्चों के साथ देखा।
आध्यात्मिक खोज या मजबूरी-
नीना ने पुलिस को बताया कि वह गुफा के अंदर ध्यान और हिंदू रीति-रिवाजों का अभ्यास कर रही थी। पुलिस अधिकारी नारायण ने कहा कि यह काफी आश्चर्यजनक था कि वह और उसके बच्चे जंगल में कैसे जीवित रहे और उन्होंने क्या खाया। खुशी की बात यह है कि जंगल में रहने के दौरान उसके या बच्चों के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
शुरुआत में नीना ने पुलिस को बताया कि उसका पासपोर्ट और वीजा के कागजात जंगल में खो गए हैं, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें गुफा के पास से बरामद किया। यह साफ दिखाता है कि महिला शायद अपनी पहचान छुपाने की कोशिश कर रही थी।
अब क्या होगा इस परिवार का-
अधिकारियों ने परिवार को अस्थायी रूप से एक आश्रम में स्थानांतरित कर दिया है। नारायण ने बताया कि वे उसे गोकर्ण से बेंगलुरु ले जाने और वापसी की प्रक्रिया शुरू करने की कार्यवाही शुरू कर चुके हैं। इस महिला का वीजा 2017 में समाप्त हो गया था, इसलिए वह अवैध रूप से भारत में रह रही थी।
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एक मां की कहानी-
यह कहानी सिर्फ एक अवैध प्रवासी की नहीं है, बल्कि एक मां की है जो अपनी दो छोटी बेटियों के साथ जीवन की कठिनाइयों से जूझ रही थी। क्या वह सच में आध्यात्मिक खोज में थी या फिर किसी मजबूरी के कारण इस गुफा में रहने को मजबूर थी, यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। लेकिन यह घटना दिखाती है कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा विदेशियों को भी कितनी गहराई से प्रभावित करती है। अब यह परिवार वापस रूस जाने की तैयारी में है, लेकिन गोकर्ण की इस गुफा में बिताए गए, दिन हमेशा एक रहस्यमय कहानी बनकर रह जाएंगे।
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