La Nina winter 2025
    Photo Source - Google

    La Nina winter 2025: इस साल की सर्दी कुछ अलग होने वाली है और मौसम विज्ञानियों की चेतावनी सुनकर आपको भी अपने गर्म कपड़ों की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। दुनिया के शीर्ष मौसम विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं, कि ला नीना नाम की एक जलवायु घटना इस साल के अंत में वापसी कर सकती है और भारत में सामान्य से कहीं ज्यादा ठंडा मौसम ला सकती है। यह सिर्फ एक भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक आंकड़ों पर आधारित एक गंभीर चेतावनी है, जो हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर सकती है।

    ला नीना क्या है-

    ला नीना को समझना जरूरी है, क्योंकि यह सिर्फ एक मौसम विज्ञान का शब्द नहीं है, बल्कि एक ऐसी घटना है, जो पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित करती है। यह अल नीनो-दक्षिणी दोलन का ठंडा चरण है। जब भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, तो ला नीना की शुरुआत होती है।

    हजारों किलोमीटर दूर समुद्र में होने वाला यह बदलाव भारत तक क्यों पहुंचता है? इसका जवाब है, कि हमारा मौसम सिस्टम आपस में जुड़ा हुआ है। प्रशांत महासागर में हुआ यह बदलाव हवाओं के पैटर्न को बदल देता है, जो अमेरिका से लेकर एशिया तक बारिश और तापमान को प्रभावित करता है। भारत के लिए ला नीना की सर्दी का मतलब है ज्यादा पाला, तेज ठंडी हवाएं और उत्तर में भारी बर्फबारी।

    अमेरिकी मौसम केंद्र की चेतावनी और आंकड़े-

    11 सितंबर को अमेरिकी जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने ला नीना वॉच जारी किया है। इसका मतलब यह है, कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की 71 प्रतिशत संभावना है। दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच यह संभावना थोड़ी कम होकर 54 प्रतिशत हो जाती है, लेकिन चेतावनी बनी रहती है।

    यह आंकड़े सिर्फ संख्याएं नहीं हैं बल्कि साइंटिफिक मॉडल्स पर आधारित हैं। जब दुनिया का सबसे उन्नत मौसम विज्ञान केंद्र 71 प्रतिशत संभावना की बात करता है, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह वही संस्था है, जो दुनिया भर के मौसम विभागों को गाइडेंस देती है।

    भारतीय मौसम विभाग भी सतर्क-

    भारतीय मौसम विभाग भी इस संभावना को नकार नहीं रहा। फिलहाल स्थितियां तटस्थ हैं, यानी न तो अल नीनो है और न ही ला नीना, लेकिन मौसम विभाग के मॉडल बताते हैं, कि मानसून के बाद ला नीना शुरू हो सकता है।

    द् इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, “हमारे मॉडल अक्टूबर-दिसंबर में ला नीना विकसित होने की अच्छी संभावना दिखाते हैं, जो 50 प्रतिशत से ज्यादा है। ला नीना आमतौर पर भारत में ठंडी सर्दियों से जुड़ा होता है। हालांकि जलवायु परिवर्तन इसे कुछ हद तक संतुलित कर सकता है, लेकिन ला नीना के सालों में सर्दियां ठंडी होती हैं।” दिलचस्प बात यह है, कि अधिकारी ने यह भी कहा, कि 2025 सबसे गर्म सालों में से एक नहीं हो सकता क्योंकि भारी मानसून की बारिश ने पहले से ही चीजों को थोड़ा ठंडा कर दिया है।

    निजी मौसम एजेंसियों का रुख-

    निजी मौसम पूर्वानुमान कंपनी स्काईमेट वेदर के अध्यक्ष जी.पी. शर्मा भी अल्पकालिक ला नीना की संभावना से इनकार नहीं कर रहे। उन्होंने बताया कि प्रशांत महासागर पहले से ही सामान्य से ठंडा है, हालांकि यह अभी तक ला नीना की दहलीज को पार नहीं किया है।

    शर्मा के अनुसार, “अगर समुद्री सतह का तापमान -0.5°C से नीचे चला जाए और कम से कम तीन overlapping तिमाहियों तक ऐसा ही रहे, तब हम आधिकारिक तौर पर ला नीना घोषित करते हैं।” उन्होंने याद दिलाया कि 2024 के अंत में भी कुछ ऐसा ही देखा गया था जब नवंबर और जनवरी के बीच ला नीना संक्षेप में दिखाई दिया था और फिर तटस्थ हो गया था।

    शर्मा ने यह भी कहा, कि सख्त परिभाषाओं को पूरा किए बिना भी, ठंडा होने का रुझान अभी भी वैश्विक मौसम को प्रभावित कर सकता है। भारत के लिए इसका मतलब तेज ठंड की लहरें और उत्तरी तथा हिमालयी क्षेत्र में अधिक बर्फबारी हो सकती है।

    विज्ञान भी कहता है सर्दी होगी तेज-

    2024 में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, मोहाली और ब्राजील की राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था के एक अध्ययन ने ला नीना और उत्तर भारत में गंभीर शीत लहरों के बीच मजबूत संबंध पाया है। शोधकर्ताओं ने पाया, कि ला नीना के दौरान निचले स्तर पर एक चक्रवाती विसंगति उच्च अक्षांशों से बर्फीली हवाओं को भारत में खींचती है, जिससे शीत लहर की घटनाओं की आवृत्ति और अवधि दोनों बढ़ जाती है। सरल शब्दों में कहें तो ला नीना की सर्दियां जोरदार होती हैं।

    आम लोगों के लिए इसका मतलब-

    यह सारी वैज्ञानिक जानकारी आम लोगों के लिए क्या मायने रखती है? सबसे पहले तो यह कि इस साल सर्दी की तैयारी पहले से करनी होगी। गर्म कपड़े, हीटर, और घर को सर्दी के लिए तैयार करना जरूरी हो सकता है।

    ये भी पढ़ें- इस राज्य के लोगों में दहशत, फैल रहा दिमाग खाने वाले दुर्लभ अमीबा का प्रकोप

    किसानों के लिए यह खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि तेज ठंड और पाला फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। उत्तर भारत के राज्यों में रबी की फसल की बुआई और देखभाल के लिए इन पूर्वानुमानों को ध्यान में रखना होगा। शहरी इलाकों में भी बिजली की खपत बढ़ सकती है क्योंकि लोग हीटिंग का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे। यातायात और दैनिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है, खासकर अगर कोहरा और कम दृश्यता की समस्या हो।

    ये भी पढ़ें- Jewar Airport का अगले महीने इस तारिख को होगा उद्घाटन, इन शहरों को मिलेगी सीधी कनेक्टिविटी

    तैयारी का समय-

    हालांकि यह अभी भी पूर्वानुमान है और कई कारक इसे प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन बेहतर यही है कि हम तैयार रहें। जलवायु परिवर्तन के इस युग में मौसम की अनिश्चितता बढ़ गई है और ला नीना जैसी घटनाओं का प्रभाव भी अलग तरीकों से हो सकता है।