Jonnagiri Gold Mine: भारत के खनन क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा जाने वाला है। आंध्र प्रदेश में स्थित देश की पहली बड़ी निजी सोना खान जल्द ही पूर्ण उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार है। डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड (डीजीएमएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस महत्वपूर्ण खबर की पुष्टि की है। यह खबर उस समय आई है, जब भारत तेल के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना आयातक देश है। हमारा देश हर साल लगभग 1,000 टन सोना बाहर से मंगवाता है, जो एक बहुत बड़ी राशि है। इस नई खान से इस निर्भरता को कम करने में मदद मिल सकती है।
डीजीएमएल की महत्वाकांक्षी परियोजना-
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध एकमात्र सोना खोज कंपनी डीजीएमएल का जियोमैसोर सर्विसेज इंडिया लिमिटेड में हिस्सा है। यही कंपनी आंध्र प्रदेश में जोन्नागिरि सोना परियोजना विकसित कर रही है। अच्छी बात यह है, कि इस खान को जून और जुलाई में पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है, जबकि राज्य स्तर पर अनुमति की प्रक्रिया चल रही है।
सीआईआई इंडिया माइनिंग शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हनुमा प्रसाद ने बताया, “परियोजना का स्थिरीकरण चल रहा है। केवल प्लांट की तकनीक पर काम किया जा रहा है, पूर्ण उत्पादन बहुत जल्द शुरू होगा।”
वार्षिक 750 किलो सोने का उत्पादन-
उन्होंने बताया, कि परियोजना से पूर्ण उत्पादन शुरू होने पर प्रति वर्ष लगभग 750 किलोग्राम सोना निकालने की उम्मीद है। इतना ही नहीं, दो से तीन साल के भीतर इसे बढ़ाकर 1,000 टन तक ले जाने की योजना है। “आज भारत में सोने का उत्पादन महज 1.5 टन है, हमारी खान शुरू होने पर लगभग एक टन और जुड़ जाएगा,” उन्होंने समझाया। यह वृद्धि भारत के सोना उत्पादन में एक बड़ा योगदान होगा।
जोन्नागिरि भारत की पहली निजी सोना खान-
यह आने वाली सोना खान आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के तुग्गली मंडलम में जोन्नागिरि, एरागुड़ी और पगाडिराई गांवों के पास स्थित है। यह स्थान न केवल भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होगा। स्थानीय लोगों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। खान शुरू होने से इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। गांवों में रहने वाले लोगों को अपने घर के पास ही काम मिल सकेगा, जिससे उन्हें शहरों की तरफ पलायन नहीं करना पड़ेगा।
डीजीएमएल की पृष्ठभूमि और विस्तार-
2003 में स्थापित डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड को उद्योग के अनुभवी लोगों ने बनाया था। कंपनी भारत और विदेशों में सोना खोज के क्षेत्र में अग्रणी रही है। जोन्नागिरि परियोजना के अलावा, कंपनी की खनन संपत्तियां भारतीय प्रायद्वीप के साथ-साथ किर्गिज़स्तान, फिनलैंड और तंजानिया तक फैली हुई हैं। इससे पता चलता है, कि यह कंपनी केवल भारत तक सीमित नहीं है। बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सोना खनन में सक्रिय है। इस अनुभव से भारत में भी बेहतर उत्पादन की उम्मीद बढ़ जाती है।
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भारत की सोना निर्भरता कम होगी-
वर्तमान में भारत अपनी सोने की जरूरत का लगभग पूरा हिस्सा आयात करके पूरा करता है। यह न केवल विदेशी मुद्रा का नुकसान है, बल्कि देश की आर्थिक निर्भरता भी बढ़ाता है। जोन्नागिरि खान से सोने का उत्पादन शुरू होने से इस स्थिति में सुधार आएगा। हालांकि यह खान भारत की पूरी सोना जरूरत को पूरा नहीं कर सकती, लेकिन यह एक अच्छी शुरुआत है। अगर यह परियोजना सफल हो जाती है, तो भविष्य में और भी ऐसी खानें खोली जा सकती हैं।
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