Manmohan Singh: गुरुवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। डॉक्टर मनमोहन सिंह को अक्सर द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर कहा जाता है। क्योंकि साल 2004 में उन्होंने जिन परिस्थितियों में भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण थी। बहुत कम लोगों ने बल्कि असल में किसी ने भी यह नहीं सोचा था, कि डॉक्टर मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। साल 2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतंत्र गठबंधन सरकार को हराकर सत्ता में लौटी, तो सभी की निगाहें सोनिया गांधी पर थी। उनके बारे में कई लोगों का मानना था, कि वह भारत की प्रधानमंत्री बनेंगे।
विपक्ष को रास नहीं आया-
हालांकि सोनिया के प्रधानमंत्री बनने का विचार विपक्ष को रास नहीं आया। उमा भारती और सुषमा स्वराज जैसी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने सोनिया गांधी की इतालवी जड़ों का मुद्दा उठाया और धमकी दी, कि अगर वह प्रधानमंत्री बनेंगी, तो विरोध प्रदर्शन होगा। वहीं सुषमा स्वराज ने यहां तक कह दिया, कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनीं, तो वह अपना सिर मुंडवा लेंगी। विपक्ष के नेता ने सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने के विचार का विरोध किया। वहीं गांधी परिवार और कांग्रेस के अंदर भी इस पर विरोध जताया गया था।
कांग्रेस नेता नटवर सिंह-
वहीं पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता नटवर सिंह ने अपनी आत्मकथा वन लाइफ इज़ नॉट इनफ में लिखा, कि कैसे राहुल गांधी ने अपनी मां से भारतीय प्रधानमंत्री का पद न लेने का आग्रह किया था। उन्होंने पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी की हत्या का हवाला दिया, जब वह इस पद पर थे। प्रधानमंत्री बनने के लिए बाहरी और आंतरिक विरोध की वजह से सोनिया गांधी ने अपने कदमों को पीछे ले लिया। इसके साथ ही उन्होंने डॉक्टर मनमोहन सिंह का नाम प्रस्तावित किया, जो 1991 में वित्त मंत्री थे और किसी राजनीतिक तूफान में नहीं फंसे थे।
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एक अप्रत्याशित विकल्प-
डॉ मनमोहन सिंह भले ही एक अप्रत्याशित विकल्प थे। लेकिन उनके बेदाग राजनीतिक करियर और साधारण जड़ों की वजह से उन्हें कोई विरोध नहीं झेलना पड़ा। अपनी किताब टर्निंग पॉइंट्स में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने लिखा, कि कैसे राष्ट्रपति भवन सोनिया गांधी के शपथ ग्रहण के लिए तैयार था। लेकिन जब उन्होंने मनमोहन सिंह को इस पद के लिए आगे किया, तो वह हैरान रह गए। कलाम ने लिखा, कि निश्चित रूप से मेरे लिए यह हैरान कर देने वाला था और राष्ट्रपति भवन सचिवालय को डॉक्टर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ा।
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