Adulteration in Ice Cream
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    Adulteration in Ice Cream: कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) द्वारा की गई एक चौंकाने वाली जांच में बेंगलुरु में आइसक्रीम और शीतल पेय निर्माण में गंभीर नियम उल्लंघन का पर्दाफाश हुआ है। अधिकारियों ने पाया कि कई उत्पादों में डिटर्जेंट पाउडर और फॉस्फोरिक एसिड जैसे खतरनाक पदार्थ मिलाए जा रहे थे, जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।

    Adulteration in Ice Cream व्यापक जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे-

    टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 220 रिटेल आउटलेट्स के निरीक्षण के दौरान, अधिकारियों ने 97 दुकानों को अस्वच्छ परिस्थितियों में संचालित होते हुए पाया, जहां भंडारण सुविधाएं भी अत्यंत घटिया थीं। इससे भी अधिक चिंताजनक यह खुलासा था कि कुछ निर्माता आइसक्रीम में झूठा क्रीमी टेक्सचर बनाने के लिए डिटर्जेंट पाउडर का उपयोग कर रहे थे, जबकि शीतल पेय में कार्बोनेशन बढ़ाने के लिए फॉस्फोरिक एसिड मिलाया जा रहा था, जिसका सेवन हड्डियों को कमजोर करने से जुड़ा हुआ है।

    एफडीए के दो दिवसीय ऑपरेशन का लक्ष्य वे उत्पाद थे जिनका सेवन अक्सर बच्चे करते हैं, जिसमें व्यापक मिलावट का पर्दाफाश हुआ। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि कुछ निर्माता डिटर्जेंट, यूरिया, या स्टार्च से बने सिंथेटिक दूध का उपयोग कर रहे थे, जिसमें सैकरीन जैसे कृत्रिम मीठे पदार्थ और प्रतिबंधित रंजक एजेंट भी शामिल थे।

    Adulteration in Ice Cream रेस्टोरेंट और होटलों में भी गंभीर अनियमितताएं-

    एक साथ चलाए गए अभियान में, अधिकारियों ने 590 रेस्टोरेंट, होटल और मेस का निरीक्षण किया, जिसमें 214 प्रतिष्ठानों में उचित कीट नियंत्रण उपायों का अभाव पाया गया। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एफडीए ने स्वच्छता नियमों का उल्लंघन करने के लिए खाद्य निर्माताओं पर 38,000 रुपये और रेस्टोरेंट पर 1,15,000 रुपये का जुर्माना लगाया। फॉस्फोरिक एसिड, हालांकि कुछ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में सीमित मात्रा में कानूनी रूप से अनुमत है, लेकिन इसके दुरुपयोग से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम होते हैं। आमतौर पर कोला और औद्योगिक क्लीनर में पाया जाने वाला यह पदार्थ, अत्यधिक सेवन से समय के साथ हड्डियों के घनत्व में कमी का कारण बन सकता है।

    Adulteration in Ice Cream बेंगलुरु में खाद्य सुरक्षा के प्रति बढ़ती चिंताएं-

    इस साल फरवरी में, खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने बेंगलुरु के कुछ खाने के स्थानों पर परोसे जाने वाले इडली को कैंसरजनक पदार्थों की मौजूदगी के कारण असुरक्षित घोषित किया था। अब इस नई जांच के निष्कर्षों ने क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा मानकों को लेकर व्यापक चिंता जगा दी है, जिससे अधिकारियों ने कड़े प्रवर्तन और उपभोक्ता सतर्कता का आह्वान किया है।

    उपभोक्ताओं के लिए सावधानी बरतने की सलाह-

    अधिकारियों ने जनता को बिना ब्रांड वाले या असामान्य रूप से सस्ते खाद्य उत्पादों की खरीद के समय सावधानी बरतने की सलाह दी है क्योंकि जांच जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे उत्पादों का सेवन न केवल तत्काल स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताओं को भी जन्म दे सकता है। "हमारी टीम लगातार निगरानी कर रही है और सख्त कार्रवाई करेगी," एफडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा। "हम उपभोक्ताओं से अपील करते हैं कि वे केवल विश्वसनीय स्रोतों से खाद्य पदार्थ खरीदें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट तुरंत हमारे हेल्पलाइन नंबर पर करें।"

    खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नए कदम-

    इस घटना के बाद, कर्नाटक सरकार ने खाद्य सुरक्षा निरीक्षणों में वृद्धि करने और नियमित जांच के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित करने का निर्णय लिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, जल्द ही एक नया मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया जाएगा जिससे नागरिक संदिग्ध खाद्य पदार्थों की रिपोर्ट कर सकेंगे और तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी। स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुनीता राव का कहना है, "इस तरह के खुलासे हमारे खाद्य सुरक्षा प्रणाली में गंभीर कमियों को उजागर करते हैं। उपभोक्ताओं को अपने खाने के बारे में जागरूक होना चाहिए और क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए, न कि सिर्फ कीमत पर।"

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    स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे इस खबर से बहुत परेशान हैं। "हम अपने बच्चों को आइसक्रीम खिला रहे थे, बिना यह जाने कि उसमें क्या मिलाया जा रहा है," रमेश कुमार, एक चिंतित पिता ने कहा। "सरकार को ऐसे अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।" इस मामले ने खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में व्यापक कानूनी सुधारों की मांग को भी बढ़ावा दिया है, जिसमें सजा को और कड़ा करने और निरीक्षण प्रक्रियाओं को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।

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