Indian Navy MIGM Test
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    Indian Navy MIGM Test: भारत ने अपनी उन्नत रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित अंडरवॉटर नौसेना माइन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह माइन आधुनिक स्टेल्थ जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई है।

    भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने संयुक्त रूप से मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का “कॉम्बैट फायरिंग” टेस्ट किया। यह माइन विशाखापत्तनम स्थित नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी द्वारा अन्य DRDO लैब्स के सहयोग से विकसित की गई है।

    रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को यह घोषणा की। यह परीक्षण पिछले महीने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच हुआ है।

    Indian Navy MIGM Test मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन के बारे में क्या जानना जरूरी है?

    रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा, “रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना ने देश में ही डिजाइन और विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का कॉम्बैट फायरिंग (कम विस्फोटकों के साथ) सफलतापूर्वक किया है।”

    DRDO, भारतीय नौसेना और इंडस्ट्री को बधाई देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सिस्टम भारतीय नौसेना की अंडरसी वारफेयर क्षमताओं को और भी बढ़ाएगा।

    DRDO ने टेस्ट फायरिंग का एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें कम विस्फोटकों के साथ पानी के अंदर विस्फोट होते हुए दिखाया गया है।

    Indian Navy MIGM Test, सिस्टम की खास बातें-

    MIGM सिस्टम कई सेंसर्स से लैस है जो समुद्री जहाजों द्वारा उत्पन्न ध्वनि, चुंबकीय और दबाव संकेतों का पता लगाने में सक्षम हैं। इसे जटिल समुद्री वातावरण में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, विशाखापत्तनम और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड, हैदराबाद इस सिस्टम के प्रोडक्शन पार्टनर हैं।

    इससे पहले, भारतीय नौसेना के नवीनतम डिस्ट्रॉयर, INS सूरत (D69) ने अरब सागर में एक सी-स्किमिंग टारगेट के खिलाफ मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (MRSAM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। MRSAM का सफल परीक्षण डिस्ट्रॉयर की आधुनिक हवाई खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की क्षमता को दर्शाता है, जिसमें वे भी शामिल हैं जो रडार डिटेक्शन से बचने के लिए निचली ऊंचाइयों पर आते हैं।

    Indian Navy MIGM Test भारत अपनी रक्षा स्थिति मजबूत कर रहा है-

    MIGM के ये परीक्षण ऐसे समय में किए गए हैं जब भारत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बढ़ते क्षेत्रीय खतरों के जवाब में अपनी रक्षा स्थिति को मजबूत कर रहा है। उस हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी।

    विशेषज्ञों का मानना है कि MIGM जैसे उन्नत रक्षा उपकरणों का विकास भारत की “आत्मनिर्भर भारत” पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इस तरह के स्वदेशी हथियारों का विकास न केवल भारत की सुरक्षा को बढ़ाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी स्थिति को मजबूत करता है।

    भविष्य के लिए क्या है भारत की योजना?

    नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने हाल ही में कहा था कि भारत को अपने समुद्री क्षेत्र में उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी नौसैनिक क्षमताओं को लगातार अपग्रेड करना होगा। MIGM का विकास इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “MIGM के सफल परीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब जटिल रक्षा प्रणालियों के डिजाइन और विकास में आत्मनिर्भर हो रहा है। हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों में रक्षा आयात पर निर्भरता को काफी कम करना है।”

    विश्लेषकों का कहना है कि पनडुब्बी-रोधी युद्ध क्षमताओं में सुधार करके, भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, जो चीन की बढ़ती उपस्थिति के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।

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    स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा-

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कई मौकों पर कहा है कि सरकार स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य 2025 तक रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। MIGM जैसे परियोजनाओं की सफलता इस दिशा में एक बड़ा कदम है।”

    सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया है, जिससे इस क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा मिला है। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड जैसी कंपनियां MIGM के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

    DRDO के एक वैज्ञानिक ने बताया, “MIGM का विकास एक टीम प्रयास था, जिसमें हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और निजी क्षेत्र के भागीदारों ने मिलकर काम किया। इस सहयोग से हमें अपने लक्ष्य को पाने में मदद मिली।” इस तरह से, भारत अपनी रक्षा तकनीक में निरंतर सुधार करके अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को मजबूत कर रहा है, जो वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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