DRDO Mounted
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    DRDO Mounted: भारत की रक्षा तकनीक में एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ के व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने एक ऐसी तोप बनाई है जो दुश्मनों के छक्के छुड़ा देगी। यह माउंटेड गन सिस्टम पूरी तरह से तैयार हो गया है और जल्द ही भारतीय सेना इसका परीक्षण करने जा रही है।

    इस तोप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे किसी भी आर्म्ड व्हीकल में लगाया जा सकता है। यानी यह एक चलती-फिरती तोप है जिसे सेना अपनी जरूरत के हिसाब से कहीं भी ले जा सकती है। चाहे रेगिस्तान हो, समतल मैदान हो या फिर सियाचिन के बर्फीले पहाड़ या उत्तर पूर्वी राज्यों के पहाड़ी इलाके हों, इस तोप को हर जगह तैनात किया जा सकता है।

    DRDO Mounted दुश्मन को नहीं मिलेगी भनक-

    इस तोप की सबसे बड़ी ताकत यह है कि जब यह फायर करती है तो दुश्मन को इसकी सही जगह का पता नहीं चल पाता। पारंपरिक तोपों की सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि एक बार फायर करने के बाद दुश्मन को उनकी लोकेशन का पता चल जाता है। लेकिन यह माउंटेड गन इतनी तेजी से अपनी जगह बदल सकती है कि दुश्मन इस पर सटीक निशाना नहीं लगा सकता।

    इसका परिवहन भी बेहद आसान है। इसे रेल से भी ले जाया जा सकता है और C-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से भी। यह सुविधा युद्ध के दौरान बेहद काम आती है जब तोप को तुरंत एक जगह से दूसरी जगह ले जाना पड़ता है।

    DRDO Mounted पूरी तरह से देसी तकनीक-

    इस तोप की सबसे गर्व की बात यह है कि यह पूरी तरह से भारत में बनी है। 155 मिलीमीटर और 52 कैलिबर वाली इस तोप में गोला बारूद से लेकर व्हीकल सिस्टम तक, 80 फीसदी सामान भारत में ही निर्मित है। यह Make in India का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस तोप की मारक क्षमता 45 किलोमीटर तक है। यानी यह 45 किलोमीटर दूर के लक्ष्य को भेद सकती है। एक मिनट में यह 6 राउंड फायर कर सकती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 85 सेकंड में यह तोप फायरिंग के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है।

    तबाही की ताकत-

    जब यह तोप अपना निशाना लगाती है तो जिस जगह पर इसका गोला गिरता है, वहां 50 स्क्वायर मीटर का इलाका पूरी तरह तबाह हो जाता है। यह इसकी विनाशकारी शक्ति को दर्शाता है। दुश्मन के लिए इससे बचना लगभग असंभव हो जाता है।

    रफ्तार में भी अव्वल-

    यह गन सिस्टम न सिर्फ मारक क्षमता में बेहतरीन है बल्कि रफ्तार में भी कमाल है। ऊबड़-खाबड़ इलाकों में यह 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है। समतल रास्तों पर इसकी रफ्तार 90 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। इसका कुल वजन करीब 30 टन है, जिसमें 15 टन व्हीकल का और 15 टन तोप का है।

    अत्याधुनिक तकनीक से लैस-

    इस माउंटेड गन में ATAGS यानी अडवांस टॉड गन सिस्टम फिट है। यह एक स्वदेशी एडवांस टॉड गन सिस्टम है जो पहले से ही भारतीय सेना में शामिल है। पूरी तरह से ऑटोमैटिक इसमें हर सिस्टम है। अगले ही पल लक्ष्य पूरी तरह से कॉर्डिनेट देने के बाद तबाह हो जाता है। इस तोप में सात लोगों के लिए जगह है। व्हीकल का आगे का केबिन बुलेट प्रूफ है जिससे चालक दल पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। इस पूरे सिस्टम को बनाने में सिर्फ ढाई साल का समय लगा है, जो भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता को दर्शाता है।

    कीमत में भी फायदा-

    इस सिस्टम की भारत में फिलहाल कीमत सिर्फ 15 करोड़ रुपये है। अगर इसी रेंज का सिस्टम विदेश से खरीदा जाए तो इसकी कीमत 30 से 35 करोड़ रुपये के आसपास होगी। डीआरडीओ का कहना है कि अगर ज्यादा आर्डर मिलते हैं तो कीमत और भी कम हो सकती है। भारतीय सेना को कम से कम 700 से 800 माउंटेड गन की जरूरत है जबकि अभी सेना के पास ऐसी एक भी गन नहीं है। यह एक बड़ी कमी थी जो अब पूरी होने वाली है।

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    विश्व स्तर पर पहचान-

    दुनिया में गिनती के ही कुछ देश हैं जो माउंटेड गन बनाते हैं और अब भारत भी उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है। यह भारत की रक्षा तकनीक के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

    रूस-यूक्रेन युद्ध ने हाल ही में दिखा दिया है, कि किस तरह से माउंटेड गन किसी जंग की दिशा बदल सकती है। दुश्मन के इलाके में आर्टिलरी गन के बदौलत ही फायर करके तबाही मचाई जा सकती है। इस लिहाज से यह तोप भारतीय सेना के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है। भारत की यह उपलब्धि न सिर्फ हमारी रक्षा क्षमता को बढ़ाती है बल्कि यह भी दिखाती है कि हम अब रक्षा तकनीक में किसी से कम नहीं हैं। Make in India का यह सफल उदाहरण देश के लिए गर्व की बात है।

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