PresVu Eye Drop: हाल ही में भारत की ड्रग रेगुलेटरी एजेंसी ने एक नई आई ड्रॉप्स को मंजूरी दी है, जो की प्रेसबायोपिया से पीड़ित लोगों के पढ़ने के चश्मे को हटाने में मदद कर सकती है। PresVu नाम से जाने जाने वाली यह दवाई मुंबई में मौजूद एनटोड फार्मास्यूटिकल द्वारा बनाई गई है। यह नई आई ड्रॉप अक्टूबर से फार्मेसी में उपलब्ध होगी और इन्हें 350 रुपए में डॉक्टर के पर्चे के जरिए बेचा जाएगा। सीडीएससीओ की समिति द्वारा पहले ही उत्पाद की सिफारिश किए जाने के बाद इन आई ड्रॉप्स को भारतीय औषधि महानियंत्रक से अंतिम मंजूरी मिल चुकी है।
चमत्कारिक दवा-
इसके अलावा इसे एक चमत्कारिक दवा भी कहा जा रहा है, क्योंकि यह सिर्फ 15 मिनट में आंखों से पढ़ने वाले चश्मे को उतार देती है। इसे बनाने वालों के मुताबिक, PresVu भारत में पहली आई ड्रॉप है, जिसे प्रेसबायोपिया से पीड़ित लोगों के पढ़ने के चश्मे की जरूरत को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। भले ही यह चरणों के बिना बढ़ रही हों, लेकिन हर आंकड़े के मुताबिक यह बिमारी बढ़ाना शुरू हो चुकी है। यह एक आयु संबंधित स्थिति है, जिसमें आंख का लेंस धीरे-धीरे पास की चीजों पर फोकस करना बंद कर देता है।
प्रेसबायोपिया के लक्षण-
ऐसा इसलिए होता है. क्योंकि समय के साथ-साथ लैंस कम लचीला हो जाता है, जिससे दूर से पास की वस्तुओं पर जाते समय आंख के लिए अपना फोकस मेंटेन करना मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर प्रेसबायोपिया 40 से 50 साल की उम्र में लोगों को प्रभावित करना शुरू करता है। आम लक्षणों में छोटे अक्षरों को पढ़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पढ़ने की सामग्री को दूर से पकड़ने की जरूरत और नजदीक से काम करते समय आंखों में तनाव शामिल है। प्रेसबायोपिया से पीड़ित लोगों को आमतौर पर नजदीकी की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने या पढ़ने में चश्मे की जरूरत पड़ती है।
चश्मे की जरूरत की ज़रुरत-
खासकर पढ़ते समय या कोई काम करते समय प्रेसबायोपिया से दुनिया भर में 1.09 मिलियन से 1.80 बिलियन लोग प्रभावित हैं। भारत में 40 वर्ष से ज्यादा की उम्र में 45% लोग को प्रेसबायोपिया है और उन्हें पढ़ने के लिए चश्मे की जरूरत पड़ती है। नई आई ड्रॉप प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए गैर प्रमुख प्रक्रिया है। इसे उम्र के साथ होने वाला धुंधली दृष्टि को दूर करने के लिए एक अलग तरीके से बनाया गया है।
ये भी पढ़ें- बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट को कांग्रेस ने दिया टिकट? हरियाणा में इन सीटों से लड़ेंगे चुनाव..
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि यह न सिर्फ पढ़ने की चश्मे की जरूरत को खत्म करता है, बल्कि आंखों को लाभ भी देता है। आई ड्रॉप में एक गतिशील बफर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो कि उन्हें आंसुओं के पीएच मान के मुताबिक, जल्दी से अनुकूलित करने में मदद करती है। आंसुओं का पीएच आमतौर पर 7.45 के आसपास होता है, लेकिन यह 7.14 से 7.82 तक हो सकता है, क्योंकि इन इस आई ड्रॉप का इस्तेमाल सालों तक किया जा सकता है। इसलिए यह विशेष रूप से सस्ती और सुलभ है।
ये भी पढ़ें- Aparajita Women and Child Protection Bill 2024: ममता सरकार ने बलात्कार की सज़ा को बढ़ाने के तैयार किया नया विधेयक..