India's Got Latent Controversy
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    India's Got Latent Controversy: यूट्यूब की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुके कॉमेडियन समय रैना का शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' इन दिनों एक बड़े विवाद में फंस गया है। शो के एक मेंबर्स-ओनली एपिसोड में अरुणाचल प्रदेश की प्रतियोगी जेसी नाबम द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है, जिसके बाद उनके खिलाफ FIR भी दर्ज कर दी गई है।

    India's Got Latent Controversy की जड़-

    शो के दौरान होस्ट समय रैना ने जेसी नाबम से कुत्ते के मांस के सेवन को लेकर एक सवाल पूछा। इस पर जेसी ने अपने राज्य के लोगों के खान-पान को लेकर कुछ ऐसी टिप्पणियां कीं, जिन्होंने विवाद को जन्म दे दिया। उन्होंने कहा, "अरुणाचल प्रदेश के लोग कुत्ते का मांस खाते हैं, हालांकि मैंने कभी नहीं खाया।" वह यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, "मुझे पता है क्योंकि मेरे दोस्त खाते हैं। वे कभी-कभी अपने पालतू जानवरों को भी खा जाते हैं।"

    India's Got Latent Controversy जज पैनल की प्रतिक्रिया-

    इस बयान पर शो में मौजूद कॉमेडियन बलराज सिंह घई ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और कहा, "अब आप सिर्फ कहने के लिए कह रही हैं।" समय रैना भी इस बयान से हैरान दिखे। शो के जज पैनल में कॉमेडियन आकाश गुप्ता और मल्लिका दुआ भी मौजूद थे। हालांकि, जेसी ने अपने बयान पर कायम रहते हुए इसे सही बताया।

    कानूनी कार्रवाई-

    31 जनवरी, 2025 को अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले के सेप्पा निवासी अरमान राम वेल्ली बखा ने जेसी नाबम के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। FIR की एक कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें जेसी पर अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय लोगों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है। शिकायतकर्ता ने लिखा है, "मैं विनम्रतापूर्वक आपसे अनुरोध करता हूं कि इस मामले में जल्द कार्रवाई करें ताकि कोई भी व्यक्ति जेसी नाबम की तरह ऐसा दोबारा न कर सके।"

    सामाजिक प्रभाव और कानूनी पहलू-

    इस पूरे प्रकरण ने अरुणाचल प्रदेश में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जेसी के बयान ने उनकी संस्कृति और परंपराओं का अपमान किया है। यह ध्यान देने योग्य है कि 2021 में पेटा इंडिया की एक जांच में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड के कुछ बाजारों में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के उल्लंघन के मामले सामने आए थे। हालांकि यह प्रथा भारत में गैरकानूनी है, फिर भी कुछ क्षेत्रों में यह चलन जारी है।

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    सोशल मीडिया प्रतिक्रिया-

    सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं अधिकांश लोगों का मानना है कि किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयानों से बचना चाहिए।

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