NEET vs JEE: भारत में हर साल लाखों छात्र एक ही सवाल पर विचार करते हैं, कि आखिर कौन-सी परीक्षा ज्यादा कठिन है- NEET या JEE? मेडिकल में दाखिला चाहने वालों के लिए NEET और इंजीनियरिंग के सपनों को पूरा करने के लिए JEE ही रास्ता हैं। लेकिन इन दोनों परीक्षाओं की कठिनाई सिर्फ उनके सिलेबस से नहीं जुड़ी होती, बल्कि यह भी निर्भर करता है, कि छात्र की क्षमता, रुचि और भविष्य का करियर किस दिशा में जा रहा है। इंडिया टूडे के मुताबिक, शिक्षा विशेषज्ञ और Gradding.com की संस्थापक ममता शेखावत के अनुसार, कठिनाई को सिर्फ पेपर पैटर्न से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत ताकत और तैयारी के तरीके से समझना चाहिए।
NEET मेडिकल करियर का रास्ता-
NEET मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने का प्रवेशद्वार है। यह परीक्षा तीन घंटे की होती है जिसमें 200 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी शामिल रहते हैं, लेकिन बायोलॉजी को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। यही कारण है कि जिन छात्रों की समझ और याददाश्त मजबूत होती है, उनके लिए यह परीक्षा थोड़ी आसान हो सकती है। परीक्षा की मार्किंग स्कीम में सही उत्तर पर चार अंक और गलत उत्तर पर एक अंक काटा जाता है। NEET के कुल अंक 720 होते हैं और इसकी फीस कैटेगरी के हिसाब से तय की जाती है।
JEE इंजीनियरिंग की सबसे कठिन चुनौती
इंजीनियरिंग का सपना देखने वाले छात्रों के लिए JEE सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा है। इसे देश की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है। इसमें दो स्तर होते हैं – JEE Main और JEE Advanced। इसका मुख्य फोकस फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स पर होता है। लेकिन JEE की असली कठिनाई गणित में छिपी होती है। यहाँ सवाल सीधे याद करने से हल नहीं होते, बल्कि लॉजिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स की जरूरत होती है। इस परीक्षा में भी सही उत्तर पर चार अंक और गलत उत्तर पर एक अंक काटा जाता है, जबकि कुल अंक 300 होते हैं।
प्रतियोगिता और सफलता का स्तर
NEET और JEE दोनों ही परीक्षाएँ कठिन हैं, लेकिन अलग-अलग तरह से। NEET में हर साल लगभग 20 लाख छात्र बैठते हैं, जबकि JEE में करीब 10 से 12 लाख। NEET से देशभर के मेडिकल कॉलेजों में करीब एक लाख MBBS सीटें मिलती हैं, जबकि JEE से IITs, NITs और IIITs मिलाकर पचास हजार से अधिक सीटें उपलब्ध होती हैं। सफलता दर की बात करें तो NEET में सरकारी MBBS सीट पाने की संभावना सिर्फ 4 से 5 प्रतिशत है, वहीं IIT में यह दर 1 प्रतिशत से भी कम मानी जाती है।
करियर-
दोनों परीक्षाएँ भविष्य में करियर ग्रोथ का मजबूत आधार बनाती हैं। NEET से MBBS करने के बाद जब छात्र स्पेशलाइजेशन में जाते हैं तो उनकी शुरुआती सैलरी 20 से 30 लाख रुपये सालाना तक हो सकती है। दूसरी ओर JEE से पास होकर IIT से निकले छात्रों की पैकेज 30 से 60 लाख रुपये सालाना तक पहुँच जाती है और कई बार इंटरनेशनल ऑफर्स में यह 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा होती है।
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कठिनाई आप पर निर्भर करती है-
असल सवाल यह नहीं है कि NEET कठिन है या JEE, बल्कि यह कि आपके लिए कौन-सी परीक्षा सही है। अगर आप याददाश्त में अच्छे हैं और बायोलॉजी आपकी ताकत है तो NEET आपके लिए सही विकल्प है। वहीं अगर आपकी गणितीय सोच मजबूत है और जटिल समस्याओं को हल करने में मज़ा आता है तो JEE का रास्ता चुनना बेहतर होगा। ममता शेखावत का कहना है कि कठिनाई परीक्षा में नहीं, बल्कि छात्र की तैयारी और रुचि में छिपी होती है। इसलिए फैसला हमेशा अपनी क्षमता और सपनों को ध्यान में रखकर लेना चाहिए।
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