Bangluru School News: बेंगलुरु के एक प्राइवेट स्कूल में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने शिक्षा जगत में एक बार फिर बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कक्षा पांचवीं में पढ़ने वाले एक नौ वर्षीय बच्चे के साथ स्कूल में कथित रूप से बेहद क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया। यह घटना चौदह अक्टूबर को उस समय घटित हुई, जब बच्चा दो दिन की अनुपस्थिति के बाद स्कूल लौटा था। जिस संस्था को बच्चों के भविष्य को संवारने का दायित्व सौंपा जाता है, वहीं इस मासूम के साथ इतनी क्रूरता हुई, कि पूरा समाज स्तब्ध रह गया।
घटना का विवरण और शिक्षक का व्यवहार
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, घटना की शुरुआत तब हुई जब बच्चे की शिक्षिका ने उसे कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी। बच्चे को लगातार दो घंटे तक खड़ा रखा गया और इस दौरान शिक्षिका ने कथित तौर पर उसे मारा भी। यह शुरुआत थी, असली यातना तो उसके बाद शुरू हुई। जब टीचर बच्चे को अपने साथ प्रिंसिपल के ऑफिस में ले गई, तो स्थिति और भी भयावह हो गई। एक शैक्षणिक संस्थान में जहां बच्चों को प्यार और देखभाल मिलनी चाहिए, वहां इस मासूम को इतनी पीड़ा झेलनी पड़ी, कि उसके शरीर पर चोट के निशान बन गए।
बच्चे के पिता ने अपने बयान में बताया, कि प्रिंसिपल के कमरे में बच्चे को सीपीवीसी पाइप से बेरहमी से पीटा गया। प्रिंसिपल ने बच्चे के कूल्हों, पैरों और हाथों पर पाइप से इतनी जोर से मारा, कि बच्चे के शरीर पर गहरी चोटें आ गईं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है, कि यह पूरी घटना टीचर और स्कूल के सचिव की मौजूदगी में हुई। स्कूल का सचिव प्रिंसिपल का पिता और स्कूल का मालिक भी है।
बच्चे की पीड़ा और भागने की कोशिश-
रिपोर्ट में यह भी सामने आया, कि जब बच्चा दर्द से तड़पते हुए वहां से भागने की कोशिश करता, तो टीचर प्रिंसिपल को और ज़्यादा मारने के लिए कहती। एक नौ साल के बच्चे के लिए यह अनुभव कितना भयावह रहा होगा। बच्चा पिछले तीन वर्षों से इसी स्कूल में पढ़ रहा है और उसका बड़ा भाई भी उसी में है। बच्चे को गंभीर चोटें आई हैं और वर्तमान में वह उपचाराधीन है। शारीरिक चोटों के साथ-साथ इस घटना ने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
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स्कूल प्रशासन का असंवेदनशील रवैया-
जब बच्चा घाव के निशानों के साथ घर लौटा, तो माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से इस बारे में बात करने की कोशिश की। लेकिन स्कूल का रवैया बेहद निराशाजनक रहा। प्रशासन ने न केवल अपनी गलती स्वीकार करने से इनकार कर दिया, बल्कि माता-पिता से ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने के लिए कहा।
इस असंवेदनशील व्यवहार ने माता-पिता को कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया। कमकशिपाल्या पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत मामला दर्ज किया है, जो बच्चों के प्रति क्रूरता के लिए सजा का प्रावधान करती है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता की धारा 118 के तहत खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाने और धारा 351 के तहत आपराधिक धमकी का भी मामला दर्ज किया गया है।
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