Deep Sea Creatures: डीप सी के जीव एक मिस्टीरियस इवोल्यूशन से गुजर रहे हैं, वह अभी ऐट दिस वेरी मुमेंट विकसित हो रहे हैं, कुछ बहुत ही बदसूरत जीवो में। यकीन नहीं होता, तो यह देखो यह है शैलो वॉटर्स में रहने वाला Squid और यह डीप सी में रहने वाले इसी सेम जीव का कज़िन। आप क्लीयरली देख सकते हो, सेम स्पीशीज के होने के बावजूद भी, इस Squid ने अपने आप को एक खून चूसने वाले वैंपायर के रूप में इवॉल्व कर लिया है। रीज़न डीप सी में खुद को जिंदा रखने के लिए। तो क्या वाकई में डीप सी में सरवाइव करने के लिए सी क्रिएचर्स को डरावना रूप लेना पड़ता है। लेकिन आखिर क्यों और कैसे यह आगे हम डिटेल में जानेंगे। पर यू नो व्हाट सभी फिशिज़ एक्जेक्टली सिर्फ डरावनी ही नहीं होते, कुछ स्पीशीज़ वीयर्ड और अजीबोंगरीब भी होते हैं। जैसे यह Sarcastic Fringehead Fish ये भले ही दिखने में दो लीटर की बोतल जितना छोटा दिखता हो, लेकिन जैसे ही यह अपना मुंह खोलता है, तो इतना बड़ा दिखने लगता है, कि किसी इंसान के सिर को ही निगल ले और इन सब से अलग और सबसे निराला है, (Predatory Tunucate) इसे देखकर ऐसा लगता है।
एक सर्वाइवल स्ट्रैटेजी (Deep Sea Creatures)-
जैसे किसी ने एक आंख वाले पपेट में से उसके आईबॉल को निकाल लिया है, तो क्या स्केरीनेस के साथ-साथ यह वियर्डनेस भी डीप सी क्रिएचर्स की एक सर्वाइवल स्ट्रैटेजी है। क्योंकि अगर आप सोच रहे हो कि यह सिर्फ हार्ष एनवायरमेंट की वजह से हो रहा है, तो लेट मी टेल यू वन थिंग। लैंड एनिमल्स भी हार्ष एनवायरमेंट में रहते हैं, जैसे फॉर एग्जांपल कॉकरोच, यह हमारे घर में भी रहते हैं, रेगिस्तान में भी रहते है और अमेजन के रेनफॉरेस्ट में भी रहते है। यहां तक की यह वोल्केनो के क्रेटर में भी मिले हैं। लेकिन इन कॉकरोचेस में ना सिर्फ इनका साइज छोटा बड़ा होते रहता है। यह इतने ड्रेस्टिक चेंजिस इनमें नहीं देखे गए हैं। तो फिर समुद्र में आखिर ऐसी कौन सी खूबी है, जो गहराई बढ़ते ही जीवों को एकदम से कुरूप और अजीबोगरीब बना देती है।
सिर कटा मुर्गा (Deep Sea Creatures)-
अब इंटरस्टिंग्ली कुछ रिसचर्स इसका जवाब ढूंढ रहे थे, तब उन्होंने गहरे पानी में तैर रहा, एक हैडलेस चिकन देखा। जिसने उन्हें इन सभी सवालों के जवाब दिए। दरअसल 2018 की यह बात है, जब ऑस्ट्रेलियाई रिसर्च का एक ग्रुप अंटार्कटिका के डीप सी में अंडरवाटर कैमरा के जरिए फिशिंग स्पोट्स को खोज रहा था। तभी उनमें से एक रिसचर्स को पानी में एक सिर कटा मुर्गा तैरता हुआ नजर आया। अब अंटार्कटिक सी के बीचों-बीच एक मुर्गे का मिलना अपने आप में ही एक वियर्ड बात है ऊपर से इस मुर्गी का तो सिर ही नहीं था। इसीलिए हड़बड़ा कर उस रिसर्चर ने इस मुर्गी के बारे में अपने लीडर डर्क वेलस्फोर्ड (Welsford) को बताया पहले तो डर्क को इस पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब उन्होंने खुद अपनी आंखों से इसे देखा, तो ही वास ऑल्सो अमेज्ड। क्योंकि एक तो वह सच में किसी क्रिसमस टर्की जैसा लग रहा था और दूसरी बात उसकी बॉडी में सिर्फ एक ही ओपनिंग थी।
एक सी क्युकंबर (Deep Sea Creatures)-
जिसके जरिए वह सांसे भी ले रहा था, खाना भी खा रहा था और वहीं से ही अपना पचाया हुआ खाना निकाल भी रहा था, कैन यू बिलीव दैट। लेकिन इससे भी ज्यादा बड़ी बात यह थी, कि उसके इसी टू वे ओपनिंग को साफ रखने के लिए उसने अपने इस ओपनिंग में छोटी-छोटी फिशिज़ को भी पाल रखा था, जो बचे खुचे खाने को चट कर रहे थे। अब ओबवियसली यह सब देखकर डर्क और उनकी टीम काफी क्यूरस हो गई। क्योंकि उन्होंने अपने पूरे करियर में इतनी अजीबोगरीब चीज पहले कभी नहीं देखी थी, तो खोज करते वक्त उन्होंने उस जीव के फुटेज को बार-बार लूप पर देखना शुरू किया और अचानक से उनमें से एक ने कहा, कि अरे यह तो एक सी क्युकंबर है। वही सी क्युकंबर जो कई बार बीच वगैरह के शैलो वॉटर में ऐसे ही पैरों के नीचे पड़े मिलते हैं।
दोनों जीवों में जमीन आसमान का डिफरेंस (Deep Sea Creatures)-
यह कैसे मुमकिन है, क्योंकि आप देख सकते हो, कि एक सी क्युकंबर और इस नए मिले जीव में जमीन आसमान का फर्क है। तो आखिर इस कंक्लुजन पर वह रिसचर्स पहुंचे कैसे। अब इस पर उन रिसचर्स का कहना है, कि समुद्र में ऐसी सिंगल ओपनिंग और जिलेटिन जैसी सॉफ्ट स्किन जैसी प्रजाति सिर्फ एक ही है और वह है सी क्युकंबर और इसी वजह से उन्हें उसे पहचानने में कोई दिक्कत नहीं आई। लेकिन क्या वाकई में आई मीन अभी भी यह सवाल इधर ही है, कि सेम स्पीशीज के होने के बावजूद भी इन दोनों जीवों में जमीन आसमान का डिफरेंस कैसे आ सकता है। इसी दिशा में इसी क्वेश्चन के साथ जब डर्क ने जांच पड़ताल शुरू की, तब उन्हें यह पता चला कि यह सी क्युकंबर समुंद्र में माउंट एवरेस्ट जितनी गहराई में रहता है, जहां पर खाना इतनी आसानी से नहीं मिलता है और इसीलिए इसने नॉर्मल सी क्युकंबर के विपरित विंग जैसे फ्लैप्स को इवॉल्व किया। जिससे वह ज्यादा दूर तक तैर खाना ढूंढ कर खा सके और शायद इसलिए वह शैलो वॉटर क्युकंबर से अलग दिखता है। अब इस पार्टिकुलर केस की सच्चाई जानने के बाद डर्क के मन में एक और सवाल आया, कि डीप सी में ऐसे और भी तो कितने जीव होते होंगे, जो इसके जैसे ही या इससे भी ज्यादा अजीब तरीके से इवॉल्व हुए।
दुनिया का सबसे बड़ा क्रैब (Deep Sea Creatures)-
क्योंकि फर्दर रिसर्च करते वक्त उन्हें यह क्रिएचर मिला। एक क्रैब एक ऐसा क्रैब जिसका सिर्फ एक पैर फोटो में दिख रहे इंसान के चेस्ट से शुरू होकर उसके लेग्स पर आकर खत्म होता है। अब इस क्रैप को देखकर किसी भी इंसान के तरह डर्क को लगा, कि यह तो अब तक का सबसे बड़ा क्रैब है। लेकिन नहीं वह यहां पर गलत है, क्योंकि गहरे पानी में रहने वाले क्रैब की स्पीशीज के सबसे बड़े क्रैब का सिर्फ एक पैर ही एक एडल्ट इंसान की ऊंचाई जितना लंबा होता है। यह तो बस एक एवरेज साइज का क्रैब था। इन फैक्ट इतने बड़े होने की वजह से यह क्रैब आसानी से एक इंसान के बच्चे को भी निगल सकते हैं और इसी वजह से इन के साइटिंग के बाद लोगों ने इन्हें रेबज़िल्ला नाम दे दिया।
आपको शायद याद होगी थुल्लहु मॉन्स्टर की स्टोरी, जो सेलर्स को श़ीप्स में से घसीट कर पानी की गहराइयों में घसीट कर ले जाता था। वह स्टोरी भी इसी क्रैब से इंस्पायर थी। यानी कि इस जीव पर आते-आते डर्क समझ गए थे, कि डीप सी में सर्वाइवल गेम कुछ अलग ही चल रहा है, ऐसा जिसे गहराई से समझना और भी ज्यादा ज़रुरी हो गया है और यही वह चीज़ थी, जिसने उन्हें तीसरे सबसे वियर्ड जीव तक पहुंचाया, एक ऐसा जीव जिसके गले तक तेज़ नुकीले दांत थे, अब यह जीव विकसित हुआ था, एक सिंपल ईल से। जिसके अंदर यह परिवर्तन गहरे पानी में रहने की वजह से आए थे। अब इस पर्टिकुलर ईल में आखिर ऐसा क्या हुआ, वेल इन जैसे फिशिज़ की गहरे पानी में सर्वाइकल स्ट्रेटर्जी क्या होती है।
MIT की एक रिसर्चर सुज़ेन (Deep Sea Creatures)-
शैलो वॉटर में ईल्स शिकारी से बचने के लिए अपनी बॉडी में इलेक्ट्रिक करेंट पैदा करते हैं, जबकि गहरे पानी में ईल्स की यह प्रजाति खुद शिकारी है। इसीलिए उनके लिए ज्यादा इंपॉर्टेंट हो गया, कि उनके मुंह से शिकार न छूटे और इसी वजह से एज़ अ सर्वाइवल ट्रेड, उन्होंने अपने गले तक इनवर्ड फेसिंग दांत डेवलप कर लिए। अभी यहां तक आकर आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा, कि ओके अंडरस्टूड की जो नॉर्मल क्रिएचर्स हैं, वह डीप सी में जाकर वियर्ड हो जाते हैं। लेकिन यह इवोल्यूशन एक्जेक्टली होता कैसे हैं, कितना टाइम लगता है।
इन्हीं क्वेश्चंस के आंसर ढूंढने के लिए MIT की एक रिसर्चर सुज़ेन (Lindquist) लिंडक्विस्ट ने यूनिक रिसर्च करना शुरू किया। दरअसल अपने रिसर्च में उन्होंने कुछ मैक्सिकन टेट्रा फिशेज़ को लिया। अब स्पेसिफिकली इन्हीं फिशेज को क्यों लिया गया। क्योंकि सूज़ेन के मुताबिक, आज से कई साल पहले कुछ मैक्सिकन टेट्रा फिशेज़ शैलो वाटर से गहरे समुद्र के केव्स में रहने चली गई थीं और उस गहरे पानी में जाते ही, उनकी आंखें चली गई और वह अपने शैलो वॉटर कज़न से अलग दिखने लग गई। सूज़ेन को ऐसा लगा, कि अगर वह उनके इस एडमटेशन के पीछे की वजह ढूंढ पाए, कोलज़न इफेक्ट को ढूंढ पाए, तो शायद उन्हें डीपसी क्रिएचर्स के वियर्डनेस और स्केरिनेस के बारे में पता चल जाएगा।
म्यूटेशन लाने वाले एचसपी90 प्रोटीन का हाथ (Deep Sea Creatures)-
क्योंकि उसे ऐसा शक था, कि शायद इसके पीछे एनिमल्स के जींस में म्यूटेशन लाने वाले एचसपी90 प्रोटीन का हाथ हो सकता है और इसी को वह क्लेरिफाई करना चाहती थी। अब इसके लिए उन्होंने शैलो वॉटर में रहने वाले आंखों वाले कज़न्स में कुछ केमिकल को इंजेक्ट किया और उनके एसपी 90 प्रोटीन को वॉलैंटरी मैनिपुलेट किया और आप जानते हैं उसके बाद क्या हुआ, कुछ दिन गुजारने के बाद उन्होंने यह देखा, कि इन फिशिस की अगली जनरेशन में कुछ की आंखें ज्यादा बड़ी हो गई थी और कुछ की आंखें उनके डीप सी कज़न जैसी गायब हो गई थी।
उन्होंने यह भी देखा की मछलियों की आंखों के साइज में 83% का डिफरेंस था और इससे उन्होंने यह कंफर्म हो गया, कि जो मैक्सिकन टेट्रा गहरे समंदर में रहने गए थे। उनके एचएसपी90 प्रोटीन में वेरिएशन आ गए थे। आप डेफिनेटली यहां पर नेक्स्ट ऑवियस क्वेश्चन यह था, कि आखिर क्यों? अब उस टाइम पर जब यह फिशेज इवॉल्व हुए, तो एक्जेक्टली क्यों यह हुआ था, यह तो एक्जेक्टली फॉर श्योर जानने का कोई तरीका नहीं हैय़ शिवाय टाइम मशीन में पीछे जाने का।
इवोल्यूशन के पीछे कुछ पॉसिबल एक्सप्लेनेशन (Deep Sea Creatures)-
लेकिन हम इस इवोल्यूशन के पीछे कुछ पॉसिबल एक्सप्लेनेशन दे सकते हैं। जैसे फॉर एग्जांपल गहरे समुद्र में अंधेरा बहुत ज्यादा होता है। जिसकी वजह से कुछ भी दिखाई देने के चांसेस कम हो जाते हैं और इसी वजह से ऐसे में किसी भी फिश के लिए आंखों से ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाता है, पानी में हो रही हलचल यानी मुवमेंट्स को डिटेक्ट करना और इसीलिए नेचुरल सिलेक्शन के हिसाब से इन फिशिज़ ने आंखों को डिस्कार्ड करके पानी में हो रही, हलचल को महसूस करने वाले सेंसस को डेवलप कर लिया, तो आंखों की जब डीप सी में इतनी जरूरत ही नहीं थी, तो नेचरली इन आंखों में सर्वाइवल को बेनिफिट नहीं किया और अगर आंखों ने सर्वाइवल को बेनिफिट नहीं किया, तो कुछ म्यूटेशन वर्ज़न्स में आंखें नहीं थी।
फिर भी वह फिशिज़ अच्छे से सर्वाइव करने लगे, तो धीरे-धीरे करके आंख का ट्रेट न्यूअर वर्जन में कंपलीटली लिब्रेट हो गया और रिप्लेस हो गया, उन ट्रेड से जो कि वाकई में सर्वाइवल को बुस्ट कर रहे थे, इन द् डीप सी। लेकिन यहां पर एक कॉनफ्लिक्ट आता है। डीप सी में ऐसे भी तो कई फिशिज़ हैं, जिनकी आंखें हैं और अगर आंखें डीपसी में सर्वाइवल के लिए जरा भी बेनिफिट नहीं कर रही, तो उन सभी फिशेज की भी आंखें नहीं होनी चाहिए थी। अब यह सवाल बिल्कुल वैलिड है, लेकिन कांसेप्ट को थोड़ा सा फिर से समझते हैं। देखो HSP90 प्रोटीन का काम होता है, किसी भी जींस में म्यूटेशन लाना ना कि सिर्फ आई रिलेटेड जीन में ही म्यूटेशन लाना और इसलिए यह प्रोटीन अलग-अलग जीवों में अलग-अलग जींस को म्यूटेट कर सकता है।
यूज़ इट और लूज़ इट प्रिंसिपल (Deep Sea Creatures)-
लाइफ फॉर एग्जांपल कुछ फिशिज़ ने अपने आप को शिकारियों से बचाने के लिए अपने स्कीन कलर को डिटरमाइन करने वाले जींस में म्यूटेशन लाया और अपने बॉडी के कलर को ब्लैक किया रेड में कन्वर्ट कर दिया। क्योंकि गहरे समुद्र तक आते-आते सबसे पहले रेड लाइट स्कैल्टर होकर कहीं खो जाती है। जिसकी वजह से यह कलर वाले जीव डीपसी में एक तरीके से इनविजिबल हो जाते हैं और यही वजह थी। इवन डर्क ने भी जिन-जिन स्पीसीज़ को स्टडी किया, उनमें से मोस्ट ऑफ़ द डीपसी क्रिएचर का कलर या तो रेड था या फिर ब्लैक और यहां पर जस्ट टू आंसर द् ओरिजिनल क्वेश्चन। एक सेकंड लॉजिकल एक्सप्लेनेशन भी आता है।
आज हम सभी जानते हैं कि हम इंसानों के पास एक टेल बोन होता है। लेकिन वह टेल बोन हमारे किसी काम का नहीं होता। लेकिन फिर भी हमने वह ट्रेड इनहेरेट किया है, तो इवोल्यूशन के यूज़ इट और लूज़ इट प्रिंसिपल में कुछ एक्सपेक्टेशन भी हैं। इन मोस्ट ऑफ़ द् केसेस अगर आप उन ट्रेड को यूज़ नहीं करोगे, तो आप उसे लूज कर दोगे। लेकिन कई बार कुछ ट्रेड्स ईवन वह जो आपको बेनिफिट नहीं भी कर रही है, तो भी वह आने वाले जेनरेशन में कैरी फॉरवर्ड हो जाती है और ऐसा ही सेम बांकी फिशिज़ के साथ भी होता है। ईवन आंखें उन्हें उतना बेनिफिट नहीं कर रही होती, लेकिन इट हैज़ जस्ट बिकम लाइक ए मिस्टीजिय आर्गेन फॉर नाऔ।
मिस्ट्र कंप्लीटली सॉल्व? (Deep Sea Creatures)
अगर हम पीछे देखें, तो क्या मिस्ट्र कंप्लीटली सॉल्व हो चुकी है। जब सूज़न इस पर और डिटेल में रिसर्च करने लगी, तब उन्होंने पाया डिस्कवर किया, कि सभी क्रिएचर्स के अजीब और स्केरी दिखने के पीछे अकेले एचएसपी 19 प्रोटीन का हाथ नहीं है। पास्ट में हुए कई सारी स्टडीज़ यह भी बताती हैं, कि डीपसी में रहने वाले जानवर एक ऐसी स्पेशल चीज़ भी बनाते हैं, जिसकी वजह से उनका स्ट्रक्चर अजीब दिखने लगता है। दरअसल यूनिवर्सिटी ऑफ लंडन की एक रिसर्चर ABBIE Chapman ने देखा था, कि जिस तरह से टेंट के रोड्स या उसके फ्रेम उसे कॉलेप्स होने से बचाते हैं। उसी तरह से डीप सी के क्रिएचर्स के सेल्स भी फिजियो लाइट नाम के स्टर्क्चर्स होते हैंस जो उन्हें डीप सी के हाई प्रेशर में पिचकने से बचाते हैं। आई एम नॉट श्योर आपके दिमाग में यह सवाल आया था, कि नहीं की डीपसी में तो एक्सट्रीम प्रेशर होता है. तो आखिर यह क्रिएचर्स वाहन स्टैंड कैसे करते हैं। इसी Piezeolyte की वजह से आर्गेनिज्म्स के सेल्स नॉर्मल सेल्स से अलग दिखने लगते हैं, जो उनके फिज़िकल अपिरियंस में झलकता है। लेकिन यह एडप्टेशन भी सभी फिश़िज़ नहीं दिखाते। कुछ फिशिज़ एक अल्टरनेटिव मेकैनिज्म ही इस्तेमाल करते हैं, जिसमें वह अपनी बॉडी के शेप को कुछ इस तरह से एडजस्ट कर लेते हैं, कि उनकी बॉडी के हर एक पार्ट हर एक इंच पर कम से कम दबाव पड़े।
आईडियाल श़ेप क्या (Deep Sea Creatures)-
अब ऐसे केस में टू विद स्टैंड सच प्रेशर सबसे आईडियाल श़ेप क्या हो सकती है। अकॉर्डिंग टू फिजिक्स ईट इज़ असफियर और इसलिए डीपसी में जो सी क्युकंबर्स होते हैं। वह पहले फुले हुए गुब्बारे की तरह दिखते हैं और अब बात करें इन फिशिज़ की तो आप इन्हें देख सकते हो, इनका जो लोअर है। अनयूजुअल तरीके से बड़ा है, ऐसा इसीलिए है क्योंकि इन छोटे-छोटे फिशिज को ज्यादातर वही चीज खाने को मिलती है, जो ऊपर सरफेस के पास रहने वाले फिशिज़ के मुंह से छूटकर नीचे डीपसी तक चली जाती है और इसीलिए ऐसे में सबसे बेस्ट स्ट्रैटेजिक एडिशन यह होगा, की मुंह ही इतना बड़ा बना लो, कि वन गो में ही सब कुछ एक साथ समेट लो। नाओ वी नो, कि इन सभी जीवो को डीपसी के हार्ष एनवायरमेंट में रहने के लिए अपने जेनेटिक्स अपने सेल्यूलर स्ट्रक्चर यहां तक की अपनी श़ेप में भी बदलाव करने पड़ते हैं।
इसीलिए ऐसा रिजल्ट ना चाहते हुए भी वह काफी डिफरेंट और यूनिक दिखने लगते हैं। पर अब इस ज़रा चीज़ को कंसीडर करो, आपने यह चीज नोटिस की होगी, कि जब से हमने वीडियो स्टार्ट किया और जैसे-जैसे हमने इन फिशिज़ के स्ट्रक्चर को डिकोड करना शुरू किया. तो कुछ समय बाद सडनली वह इतने वियर्ड हमें नहीं लगने लगे, तो यहां पर बेसिकली आता है यह सवाल, की कोई चीज हमें स्केयरी और वियर्ड क्यों लगती है। क्यों अगर कोई चीज डिफरेंट दिख रही है, तो वह हमें स्केरी या वियर्स लगती है। आखिर स्केयरी या वियर्ड का मतलब ही क्या होता है और क्यों हमें कोई चीज शुरुआत में डरावनी लगती है। लेकिन बाद में हमें उसका स्केरीनेस कम हो जाता है। इस कांसेप्ट को एक सिंपल थॉट एक्सपेरिमेंट के साथ एक्सप्लेन करते हैं।
फंडामेंटल लेवल पर डर-
इमेजिन करो, कि आप एक सर्कस देख रहे हो और वहां पर एक एक्टर नन का कॉस्ट्यूम पहनकर आपको डराने के लिए आए, तो आपको डर लगेगा। एक्टर को छोड़ो उस सर्कस में अगर असली नन भी आ जाएगी, तो भी किसी को भी इससे डर नहीं लगेगा। लेकिन वही अगर आप अंधेरी रात में सुनसान से रास्ते पर चल रहे हैं और वहां पर एक एक्टर नन का कॉस्ट्यूम पहन कर आपके सामने आ जाए, तो पक्की गारंटी की आपको डर लगने लगेगा। तो अब एक्जेक्टली डर लग किससे रहा है। उस नन से या उस एन्वायरमेंट से। वेल एनवायरमेंट से क्योंकि एनवायरमेंट अननोन है, सो एक्चुअली में फंडामेंटल लेवल पर डर हमें उन चीजों से लगता है. जो हमारे लिए अननोन हैं। क्योंकि अननोन चीजों को हमारा दिमाग एक तरीके से रिस्क के साथ लेता है। अनसेफ होने के साथ लेता है और इसीलिए एक्चुअली में मोस्ट फंडामेंटल रिज़न।
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अननोन एनवायरमेंट-
क्योंकि हम डीपसी की बात करें, तो 95% डीपसी अनएक्सप्लोर है और जितने भी डीपसी के आप क्रिएचर्स देखते हो, यह क्रिएचरेस आपको नॉर्मली इधर-उधर नहीं दिखते, तो इनका आपके सामने एक्स्पोज़र बहुत कम होता है। इसी वजह से आपको यह क्रिएचर्स अननोन और एलियन नजर आते हैं और हमारा दिमाग उन्हें सोचता है। फियर इमोशन के साथ, तो यहां पर बेसिकली फियर, स्केरीनेस उन क्रिएचर्स से नहीं बल्कि उनके अननोन होने से और अननोन एनवायरमेंट में रहने से है। यहां से वह फियर क्रएट होता है। अगर इनका एक्स्पोज़र रिपिट हो गया आपके सामने। जैसे कि यब एक्यूएरिसम में इधर-उधर दिखने लगे, तो यह फियर भी कम हो जाएगा और एक वक्त पर खत्म हो जाएगा। तो होपफुली आपको आपके सवालों का जवाब मिल गया होगा कि डीप सी क्रिएचर्स डरावने क्यों होते हैं। अगर आपको इस वीडियो से कुछ सीखने मिला तो एक लाइक ज़रुर करना और कमेंट में यह बताना कौन सा क्रिएचर आपको ज्यादा इंटरस्टिंग लगा।
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