Haryana Election Result
    Photo Source - X

    Haryana Election Result: हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए हैं, जिसमें भाजपा ने जीत हासिल की है। लेकिन 9 अक्टूबर को कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे को लेकर अपनी पहली शिकायत चुनाव आयोग को सौंपी है। यह शिकायत वोटिंग के समय ज्यादातर ईवीएम के पूरी तरह से चार्ज होने के बारे में की गई है। कांग्रेस ने तर्क देते हुए कहा है, कि वोटिंग के लिए इस्तेमाल की गई ईवीएम पूरी तरह से चार्ज नहीं हो सकती और इसीलिए यह इस बात की ओर इशारा करती है, कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई है या फिर उसे बदल दिया गया है।

    सीटों से संबंधित शिकायतें (Haryana Election Result)-

    अब तक पार्टी ने 10 विधानसभा सीटों से संबंधित शिकायतें दर्ज की है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है, कि 48 घंटे के अंदर और भी शिकायतें दर्ज की जाएंगी। कांग्रेस की शिकायत हरियाणा में हाल ही में खत्म हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे के एक दिन बाद आई। जिसमें भाजपा ने आश्चर्यजनक जीत की। यह आश्चर्यजनक इसलिए था, क्योंकि किसी भी एग्जिट पोल ने बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी नहीं की थी। कांग्रेस ने 8 अक्टूबर को बयान देते हुए कहा, कि वह इस फैसले को चुनौती देगी।

    कांग्रेस का दावा-

    तो इसमें अब इसमें सोचने वाली बात यह है, कि क्या सच में चुनाव में हेरा फेरी की गई है, जैसा कि कांग्रेस दावा कर रही है या फिर पार्टी अपनी सफलताओं के लिए बहाने ढूंढ रही है। द् क्विंट बड़ी पार्टियों की हार के लिए छोटी पार्टियों को दोषी ठहरना बहुत आम बात हो चुकी है और हर पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। इसलिए हमें स्पॉयलर जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतनी चाहिए। हालांकि इनेलो से गठबंधन के मामले में बीजेपी के समझौते के सबूत मिलते हैं। उदाहरण के लिए सिरसा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया और हरियाणा लोकहित पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की।

    विधानसभा चुनाव-

    लोकसभा चुनाव की तुलना में तीन विधानसभा क्षेत्र रतिया, ऐलनाबाद और डबवाली में बीजेपी का वोट शेयर पूरी तरह से गिर गया। इन दोनों सीटों पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट देने वाले करीब एक लाख लोगों ने अपना वोट बीजेपी को नहीं दिया। डबवाली में 82% बीजेपी के लोकसभा मतदाताओं, ऐलनाबाद में 72% ने विधानसभा चुनाव में किसी दूसरी पार्टी को वोट दिया। राष्ट्रीय दलों को लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच कुछ वोटो का नुकसान होता है। लेकिन यह कभी इतना बड़ा नहीं होता। इसके अलावा यह समझना मुश्किल है, कि भाजपा जैसी पार्टी की जिसके पास बहुत सारे संसाधन और बहुत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हैं।

    ये भी पढ़ें- Ratan Tata’s Net Worth: कभी अरबपतियों की लिस्ट में शामिल क्यों नहीं हुए रतन टाटा, अपार संपत्ति होने के बाद भी..

    बागी नेता-

    वह कुछ सीटों पर अपने 70% मतदाताओं को कैसे खो सकती है। आंकड़ों से पता चलता है, कि वह वोट कांग्रेस को नहीं मिले, कांग्रेस को भी डबवाली में लोकसभा चुनाव के मुकाबले 18,000 से ज्यादा वोटो का नुकसान हुआ और बाकी सीटों पर उसे मामूली वोट मिले। ऐसा लगता है कि वोट इनेलो के नेतृत्व वाले गठबंधन को ट्रांसफर हो गए। वहीं देखा जाए, तो कांग्रेस को मिली हार के पीछे कई बागी नेता भी हैं, जो बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व में कई हजार वोटों से जीत हासिल की। जिससे कई सीटें बीजेपी के खाते में चली गई। अब सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस के वोट शेयर में इतनी भारी गिरावट कैसे आई और आई तो पार्टी ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया।

    ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार सामने आई राहुल गांधी की टिप्पणी, कहा हम हरियाणा में…